माखनलाल पत्रकारिता विवि में अब नौकरी के लिए नए मानक तय किए गए हैं। विवि ने उन लोगों को नौकरी दी जा रही है जिन्हें देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गरियाने में महारथ हासिल है, जिन्होंने मोदी को गरियाने में पीएचडी की हो। आपको थोड़ा हैरानी जरूर हो सकती है पर जिस तरह से नियुक्तियां की गई है उससे तो यही लगता है कि मोदी और केंद्र सरकार को भला बुरा कहने से बेहतर योग्यता कुछ नहीं हो सकती है।
सबसे खास बात है कि इन नियुक्तियों के लिए कहीं भी इश्तिहार नहीं निकाले गए और न ही किसी का साक्षात्कार किया गया। बस मोदी को गरियाने को मानक मानकर नियुक्ति कर दी गई। विवि ने दिलीप चंद्र मंडल, मुकेश कुमार, पुण्य प्रसून बाजपेई और अरुण कुमार त्रिपाठी को एडजंक्ट प्रोफेसर के पद पर नियुक्त किया है। आप सोशल मीडिया से लेकर तमाम मंचों पर इनको पढ़ सकते हैं। ये सभी लिखने और पत्रकारिता के नाम पर जहर की खेती करते हैं। ये जनमानस को भड़काने और उकसाने का काम करते हैं। ऐसे लोग अगर शिक्षण संस्थानों में आएंगे तो बच्चों का ब्रेन वॉश करेंगे और उनके मन में कुंठित मानसिकता को जन्म देंगे।
दिलीप चंद्र मंडल दिन रात मोदी के खिलाफ सोशल मीडिया पर जहर उगलते रहते हैं। आप चाहे तो इनका सोशल अकाउंट देख सकते हैं।
मुकेश कुमार तो इनसे भी दो कदम आगे हैं। वे तो हर एक घण्टे बाद सोशल मीडिया पर केन्द्र सरकार के खिलाफ जहर उगलते रहते हैं।
अरुण कुमार त्रिपाठी तो पक्के वामपंथी हैं। बाकी पुण्य प्रसून बाजपेयी को तो आप जानते ही है। बेचारे रोजगार के लिए मीडिया इंडस्ट्री में भटक रहे हैं। लेकिन हताश, परेशान और कुंठित पत्रकार को कोई जगह नहीं दे रहा है।