एकता नगर पिछले बीस साल में धीरे-धीरे करके बसा था। निम्न मध्यमवर्गीय लोगो का मोहल्ला था। हर कोई अपनी जरुरत के हिसाब से कमा लेता था और अपने परिवार का पालन पोषण करता था। शरीफो का मोहल्ला था इसलिए कोई भी काम खुलेआम नही होता था। शराब पीना हो या सिगरेट जलानी हो या चिलम फूंकना हो छोटे से लेकर बडे तक अपने अपने हिसाब से छिप छिपकर नशा करते थे।
मुंबई में हिरानंदानी बिल्डर बहुत ही मशहूर है, पूरे पवई इलाके को उन्हीं के नाम से जाना जाता है। हिरानंदानी ने एकता नगर के सामने सालों से खाली पड़े मैदान को खरीद लिया और वहाँ पर बिल्डिंग बनाने का काम शुरु कर दिया। देखते देखते ४ साल में वहाँ दो बिल्डिंगे खड़ी हो गई। एक बिल्डिंग नौ महल्ले की थी उसका नाम था ध्रुव और दूसरी बिल्डिंग ग्यारह महल्ले की थी उसका नाम था तारा।
एक साल के भीतर ही बिल्डिंग के हर फ्लैट में लोग रहने आ गए। एकता नगर के सभी रहने वाले भी दिनभर अपने मोहल्ले के सामने खड़े होकर बारी बारी से बिल्डिंग पर निगरानी रखते थे। वैसे बिल्डिंग वालों ने चौकीदार रखा था परंतु खाली समय मे एकता नगर वाले क्या करते तो बिल्डिंग के लोगो पर निगरानी रखकर अपना समय व्यतीत करते थे, ठीक उसी तरह जैसे हम सब सोशल मीडिया पर समय व्यतीत करते है।
सब कुछ सुचारु रुप से चल रहा था कि अचानक एक दिन बिल्डिंग में एक नई लड़की का आगमन हुआ। लंबाई छ: फूट, रंग गोरा, नाक, नक्श और बदन की बनावट ऐसी थी जैसे कोई अप्सरा हो। एकता नगर के लोगों में ये बात दावानल की तरह फैल गई और सभी अपने अपने समय से उस सुंदरी को देखने आ जाते थे। एक दो दिन तो वो खूबसूरत युवती लोगों को दिखी परंतु जब उसका सारा सामन उसके घर में आ गया तो उसका बिल्डिंग से दिन में कई बार अंदर बाहर जाने का सिलसिला समाप्त हो गया।
मोहल्ले के लोग अब रुप की इस देवी के दर्शन ना मिलने पर परेशान रहने लगे और आपस में ही उसके ना दिखने के कयास लगाने लगे। सबसे दु:खी वो लोग थे जिन्होंने ने उस युवती के दर्शन एक बार भी नही मिले थे। अचानक मोहल्ले के एक सज्जन पुरुष ने उस युवती को रात ग्यारह बजे एक कार में बैठकर जाते देखा और दूसरे दिन सुबह उसे नौ बजे आते हुए कई लोगों ने देखा। देखते ही देखते ये बात एकता नगर के सभी लोगो के जुबान पर आ गयी की वो युवती रात को घर से बाहर जाती है और दिन में आती है।
अब लोग रोज उसके घर से बाहर जाने के समय और वापस आने के समय मोहल्ले के बाहर बिल्डिंग के गेट के सामने खड़े हो जाते थे। उस युवती ने एकता नगर के इन सज्जन लोगों को कभी नही देखा होगा परंतु एकता नगर के लोगों ने अब तक उसके एक एक अंग का निरीक्षण कर लिया था। उसके नितंब का आकार और उसके स्तन की गोलाई और ऊभार पर लोग आपस में चर्चा करते रहते थे, उसकी ब्रा और पैंटी के कलर को भी लोग उसके कपड़ों के उपर से जानने की कोशिश करतें थे।
जब मोहल्ले के सभी लोगों को उस युवती के नितंब, स्तन, नशीली आँखों, मांसल जांघों और अंदर पहने जाने वाले कपड़ो की चर्चा से फुरसत मिली तब जिक्र शुरू हुआ उसके चाल चलन का, अच्छे घर की लड़किया रात को घर से बाहर नहीं रहती हैं, एक जनाब ने मुँह में से पान थूकते हुए कहा अरे भाई रंडी होगी _ _ _ _ गाड़ी में आती है गाड़ी में जाती है और वो भी ड्राइवर रखा है किसी वैश्यालय में वैश्या का काम करती होगी। इतनी कम उम्र में इतने महंगे कपड़े खरीदने और इतने बड़ी बिल्डिंग में घर और गाड़ी और किस कमाई से मिल सकता है।
एक जनाब ने सुरति मसलते हुए उसे मुँह में दबाया और कहा पिछले कुछ दिनों से उसके साथ एक दो लड़किया और आने जाने लगी है, पहले अकेले वैश्या वृत्ति करती थी अब धीरे धीरे अपनी सहेलियों को भी इस काम में शामिल कर रही है। धीरे-धीरे पूरे एकता नगर के मोहल्लों में ये बात फ़ैल गयी की सामने वाली बड़ी बिल्डिंग में एक रंडी रहती है और धीरे धीरे उसके साथ कुछ और रंडिया आ कर रहने लगी है वो दिन दूर नहीं जब उनके दलाल यहाँ रास्ते पर घूमते मिलेंगे और हमारे घर-परिवार और बाल बच्चों पर इसका बुरा असर पड़ेगा।
उस सुंदरी के ये सब इल्जाम इस लिए लग रहे थे क्योंकि वो सुन्दर थी और एकता नगर का कोई भी रहने वाला उसके बारे में कुछ नहीं जानता था। अपने आप को सज्जन समझने वाले समाज ने उस सुंदर युवती को बिना जाने समझे उसका चरित्र हनन कर दिया। फिर एक दिन मैंने उस युवती को एक कॉल सेंटर से बाहर निकलते देखा और समाज के इस चरित्र हनन पर गुस्सा भी आया और हसीं भी आने लगी।