हिंदी की पुस्तक ‘रिमझिम’ को पढ़ते हुए लगता है देवनागरी लिपि में उर्दू और अंग्रेजी को पढ़ रहे हैं। इन शब्दों को बलात डाला गया है, जबकि इनके स्थान पर हिंदी के लोकप्रिय शब्द हिंदी में उपलब्ध हैं। लेकिन नरैटिव चलाने वालों के दिमाग में हिंदी है ही कहां?
British govt considered the suggestion of making Hindi as more pragmatic and wanted to accept it in 1867, Sir Syed Ahmad Khan started opposing it and launched a campaign to make Urdu the second official language.
The problem with the Urdu script is that it is not just a living reminder of the evils of invaders and slavers and worse, but it also interferes with the proper implementation of a Justice Delivery System in India, because it aims to place the delivery of Justice solely in the hands of those who can read Urdu script.
जिन्हे हम ‘हिन्दी गाली’ कहते हैं, जितने भी फूहड़ और यौन-कुंठा के शब्द हिन्दी गालियों के रूप में बताए जाते हैं। अगर उनके उद्भव की पड़ताल करें तो हिन्दी क्या किसी भी भारतीय भाषा से उनका संबंध दूर-दूर तक नहीं मिलता।