This year has been notably different in welcoming the end rather than exceptional individual achievements, Geo-political developments, economical headwinds or natural calamities.
चैत्र मास का वैदिक नाम मधु मास है अर्थात आनंद से परिपूर्ण मास क्योंकि इसी मास में समस्त वनस्पति एवं सृष्टि प्रस्फुटित होती है चारों तरफ कोयल की स्वर लहरी होती है यह पवित्र दिन इसलिए भी पूजनीय है क्योंकि लंका विजय के पश्चात प्रभु श्री राम के अयोध्या वापस आने के बाद इसी दिन उनका राज्याभिषेक हुआ था सिखों के द्वितीय गुरु श्री अंगद देव जी का भी प्रकट उत्सव है।
मजबूत इच्छाशक्ति और आत्मबल से हम स्वयं में बदलाव लाकर "परिवार, समाज, देश" को दीर्घकालीन लाभप्रद स्थिति प्रदान कर सकते हैं तो उस पर दृढ़ निश्चय से हम सभी को प्रयत्न अवश्य करना चाहिए।