The uneducated left cabal have only literates but not learned "journalists" and editors in their midst. Their so called journalistic ethics have already been shredded many a times in past but spreading fake news seems to be their favourite time pass
फासीवादी सरकार ने भी टिक टॉक स्टार्स की अद्भुत नौटंकी की कला को दबा नहीं सकी। संघ,भाजपा और आई टी सेल वालों द्वारा सोशल मीडिया पर tik tok को बैन करने के लिए बहुत झाँव-झाँव मचाया गया,साज़िशें रची गई ताकि TIK TOK के नाम पर माइनॉरिटी पीपल अर्थात पंचरवालों का शोषण किया जा सके और उन्हें दबाया जा सके (इसी शोषण की बात को सच्चर कमेटी ने स्वीकारा है।)
जब सीमित संसाधनों वाले भारत देश को विकास की तरफ ले जाना था, तो जहां इंदिरा गांधी ने 'हम दो हमारे दो' की बात की, जिससे आबादी की बढ़ोत्तरी में कमी आए, तब उत्तर भारत के वामपंथी सोच के तथाकथित सोशलिस्ट नेता अपने-अपने वोट-बैंक के लिए 'जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी (संसाधन लेने में, टैक्स भरने में नहीं)' का राग अलाप रहे थे।
जहां देश कोरोना के संकट से जूझ रहा था, मजदूर भूख से तड़प रहे थे, दिहाड़ी मजदूर दूसरे प्रदेशों में फंसे होने के कारण आत्महत्या करने को विवश थे और प्रधानमंत्री मंत्री लोगो को अपने मोबाइल में app install करने को विवश कर रहे थे। क्या यही लोकतंत्र है..??
रवीश का प्राइम टाइम के दर्शक एकदम मूर्ख होते हैं. वो प्राइमटाइम पहले टीवी पर देखते हैं. फिर यूट्यूब पर इसके बावजूद, जब भी किसी भक्त से भिडंत होती है तो हर बार उन्हें धोबिया पछाड़ का सामना करना पड़ता है.
Someone forwarded me few videos of the journalist Pushpendra Kulshreshtra a few days back.
https://www.youtube.com/watch?v=N8QwRvv6Ri8&t=216s
Being a newbie right winger and someone who is still trying...