यूक्रेन कि जनता भौतिक सुख सुविधाओं का भोग करने कि इतनी आदत हो चुकी है, कि उनके लिए ना तो राष्ट्र का कोई मतलब है और ना राष्ट्रवाद से कोई लेना देना। उन्हें इस बात की परवाह हि नहीं रही की युक्रेन उनका अपना देश है वो केवल इसे मिट्टी का एक टुकड़ा भर समझते रहे।
Let us see how nationalism in the recent times has received traction, with a strong intent for mass persuasion and influence in the matters of governance and political action.
पतंग के माझे से होली की पिचकारी तक चाइना की हो गयी किसी ने आह तक नहीं की आज जब सब बदल रहा है सब कुछ भारत में ढूँढा जा रहा है तो रामखेलावन को एक आत्मिक शांति की अनुभूति हो रही है।