“बंगाल में, भाजपा का 2016 में, 3 सीटों से बढ़ कर 2021 में, 77 सीटों पर आना, निश्चित ही सामान्य बात नहीं है, जहां 2016 के विधानसभा चुनावों में भाजपा का मत प्रतिशत 10% था, वहीं 2021 में, 38.1% हो गया है, हालांकि 2019 के लोक सभा चुनवों से ये, 2.2 प्रतिशत की घटत है, पर भविष्य में ये कौन सा मोड़ लेता हैं, यह देखना रुचिकर होगा, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस व वाम दलों के शून्य पे सिमट जाने से, वर्त्तमान में, बंगाल के राजनीति का द्विध्रुवीकरण भी कई राजनैतिक आसंकाओ के उत्पत्ति का कारण है”।।
Common Hindus are raising questions because either they are directly affected by what is happening in Bengal today in the unprecedented post poll violence unleashed on the poor hapless and marginalized Hindus, or indirectly affected because they feel themselves akin to the sufferers on realizing that the Bengali reality will be their own reality in the near future.
मोदी जी का कहना है कि, ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास ‘ यही भारत के विकास के मूलमंत्र हैं। भारत की राजनीतिक पार्टियां इन नारों को आत्मसात कर ले, तो किसी प्रकार की खेला खेलने की जरूरत न होगी।
मता ने कभी देश की परवाह ही नहीं की, उनके लिए चुनाव जीतना ही हमेशा महत्वपूर्ण रहा। चुनाव जीतने के इसी लालच में उन्होंने बांग्लादेशी घुसपैठियों को भी पश्चिम बंगाल में आने दिया। न सिर्फ आने दिया बल्कि उनको बसाया भी।
According to NCRB (National Crime Record Bureau) their data shows Bengal recorded highest political murders in 2019, Police data showed that 47 political killings involving BLP and TMC workers since 2019 Lok Sabha Elections.
बंगाल का यह चुनाव तृणमूल बनाम भाजपा मात्र दो दलों के बीच का चुनाव नहीं रह गया है बल्कि यह चुनाव देश की राजनीति के लिए भविष्य की दिशा भी तय करेगा। बंगाल की धरती शायद एक बार फिर देश के राजनैतिक दलों की सोच और कार्यशैली में मूलभूत बदलाव की क्रांति का आगाज़ करे।
"बीजेपी और आरएसएस के एजेंट पाए जाने पर सख्त कार्यवाही होगी। बुकिंग था कि नहीं यह जांच का विषय नहीं है! धार्मिक आधार पर भेदभाव बर्दास्त नही होगी। "नो बॉडी विल ट्राय टू डिस्टर्ब कम्युनल हार्मोनी इन बंगाल! मा माटीर मानुस! जय बंगला! अमार बंगला! सोनार बंगला! विश्व बंगला! जय कोलकाता पुलिस।"