China has spoiled relations with entire neighbourhood and well beyond its capacity to manage. The fool cards like BRI, blank cheque diplomacy and the debt-traps can buy few leaders of poor countries for short-term, but turn people of these nations into long-term enemies as well.
हर बार चीन ही भारत की सीमा पर हलचल की पहल क्यों कर जाता है? इसका जवाब 2013 में कॉन्ग्रेस सरकार के रक्षा मंत्री एंटनी ने दिया था, "आजादी के बाद से ही सीमावर्ती इलाकों में रोड इसलिए नहीं बनाईं गई क्योंकि भारत की सरकारों को डर था कि अगर चीन ने सीमा पर तैनात भारतीय जवानों को मार भी दिया तो भी वह खराब रास्तों की वजह से भारतीय क्षेत्र में ज्यादा अंदर नहीं घुस पाएगा!"
चीन की साम्राज्यवादी मानसिकता ने उसे हमेशा युद्ध में उलझा कर रखा है. औपनिविशिक काल के पहले जिस प्रकार एक राजा दूसरे पर हमला कर राज्य पर कब्ज़ा करते थे, चीन वैसा ही बाद में भी करता रहा.
The backbone of China’s politics is Mao Zedong’s ideology, their 'great' rulers, and their unfulfilled dreams. President Xi Jinping is vehemently pursuing this Chinese Superpower Dream, and his expansionist policies are his heritage.
विश्व का सर्वाधिक यूरेनियम उत्पादक देह ऑस्ट्रेलिया है जो चीन को यूरेनियम उपलब्ध करवाता था और मौजूदा समय में वह चीन के साथ किसी भी प्रकार का व्यापारिक और राजनितिक संबंध रखने को तैयार नहीं है। यूरेनियम की इसी जरुरत को पूरा करने के लिए चीन लद्दाख को अपने अधीन करने की नापाक कोशिश में जुटा है।
The republic of China is consistent in continuously trying to expand its territory by various tactics used by intellectual, monetary and military efforts.
1962 की हार सेना की हार नहीं थी बल्कि राजनैतिक नेतृत्व की हार थी। राजनैतिक नेतृत्व में गलतियां की थी इसकी वजह से हुआ था। 1962 में चीन के साथ युद्ध से ठीक पहले यही हो रहा था। प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और जनरल थिमैया से जुड़ी हुई कहानी है।