We are losing our identity. We are allowing people to question the existence of Bhagwan Shree Ram. Some goons destroy a temple of Mata Durga, and we do nothing about it.
यदि समाज इतना ही पितृ सत्तात्मक था तो ब्रह्म वादिनी स्त्रियाँ कहाँ से आयीं? यदि समाज इतना ही पितृ सत्तात्मक था तो शंकराचार्य और मंडन मिश्र के शास्त्रार्थ का निर्णायक भारती को क्यों बनाया गया?
एक स्त्री जो अपने निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है, लिए गए निर्णय पर अडिग रहना जानती है, निर्णय का कुछ भी परिणाम हो उसे स्वीकार करने के लिए प्रस्तुत है, अपने प्रेम के लिए राजमहल को त्याग वन को जा सकती है, अपने प्रिय की प्राणरक्षा के लिए सीधे यमराज से टकराने का साहस और विजयी होने का सामर्थ्य रखती है क्या वो स्त्री निरीह या अबला हो सकती है?
After white masters, our brown masters ensured that the newly freed slave population is blind to their culture and adopts it's oppressors as their forefathers. ensuring that the local history is removed from history books.
जिन्होंने अपनी पहचान छोड़ी हैं वह हमेशा मिट गया, क्या हुआ फारस का? मिस्र की संस्कृति अब कहाँ सिर्फ पिरामिडो में? माया सभ्यता क्यों नहीं अब? जिन्होंने समझौता किया वो मिट गए, क्या ये सिलसिला अब भारत में नहीं चल पड़ा
After all the advantage Muslims have had in India, they don’t seem to be content, especially now that the current government is trying to equalize the status of all Indians irrespective of their religion.