अश्वपतिनाम की पुत्री सावित्री ने नारद मुनि के ये कहने के बावजूद कि सत्यवान की कुंडली में अल्प आयु दोष है, उन्ही से विवाह करना स्वीकारा था। शादी के एक वर्ष पश्चात ही जब सत्यवान और सावित्री जंगल में लकड़ी काटने गए थे उसी समय यम ने उनके प्राण ले लिए थे।
हमारे दादाजी ने मेरी माँ को गीताप्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित ‘नारी अंक’ नामक पुस्तक दी थी। बचपन में सावित्री की कथा हमने उन्ही से सुनी थी इसलिए मेरा सीमित ज्ञान इतना जानता है कि सावित्री अपने पति के प्राण लेकर जाते हुए यम के पीछे चल पड़ी थी। यमराज द्वारा बार बार समझाने पर भी वो नहीं पलटकर वापस जाती है और यम उन्हें हर बढ़ते कदम पर एक वरदान देते हैं जिसमें सावित्री अपने अंधे ससुर के लिए आँखे, फिर उनका राज्य और तीसरे वर में अपने लिए सत्यवान से 100 पुत्र माँग लेती है। यम सावित्री की कर्तव्य और पतिव्रत से प्रसन्न होकर सावित्री को सारे वर और सत्यवान को जीवन प्रदान करते हैं। चूँकि सावित्री को वर और सत्यवान को जीवन वट वृक्ष के नीचे प्रदान हुआ था इसलिए हिंदू धर्म में वटवृक्ष की पूजा की जाती है। सावित्री को उनके पतिव्रत के लिए सती के नाम से पूजा जाता है और हिंदू धर्म में सुहागन स्त्रियों में वट वृक्ष पूजा का विशेष महत्व है।
आमेजन प्राइम पर हाल में ही एक वेब सिरीज रिलीज़ हुआ है ‘पाताल लोक’। इस वेब सिरीज़ में एक कुतिया का नाम ‘सावित्री’ रखा गया है। वेबसिरीज़ से हिंदू धर्म को बदनाम किया जा रहा है या नही वो एक विस्तृत और विवादित विषय है इसलिए वो फ़ैसला आपके ऊपर छोड़ देते है (अगर आप अभी भी इसे पढ़ रहे हैं तो..) लेकिन एक कुतिया का नाम हिंदू पूजित सती सावित्री नाम पर ही क्यों?
वैसे आपको बता दूँ आज वटसावित्री की पूजा है, आधुनिकता की दौड़ में कैलेंडर को पीछे मत छोड़ देना!!