There is no mistaking that the Ram Janmabhoomi Movement appealed to the depressed castes and classes. Viewing through that lens, one would justly regard it as a truly subaltern movement.
6 दिसंबर भारतीय समाज के लिए गौरव/शौर्य का दिन हैं। क्योंकि इसी दिन जन-जन के आराध्य अयोध्या पति प्रभु श्री राम के भव्य मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ था। भारतीयों ने इसे शौर्य दिवस के रूप में मनाया तो वामपंथियों ने खुलकर तो कांग्रेस ने लुकाछिपी करते हुए खून के आंसू बहाऐ!
t would make robust common, logical and legal sense to de-clutter the maze to appreciate and possibly understand that it would be unfair and unjust to accuse the Judiciary of forsaking its duty or even allude to any unseen hand of the executive.
No matter what the verdict is , let us all pray to Ram/Rahim, for a ‘miracle’ - everlasting peace, harmony in ‘sovereign, socialist, secular, democratic India’, as in our Constitution’s Preamble.
अगर मक्का या वेटिकन सिटी जैसे किसी विशेष विश्वास की जगह पर उनके पूजा स्थल को तोड़कर किसी अन्य धर्म का पूजा स्थल बनाया होता तो क्या ऐसा संभव था? अगर एक बार ऐसा मान भी ले तो समाधान की क्या संभावनाए होगी?
बाबरी के गुस्से से दंगो को जस्टिफाई करने वालों ये बताओ की जून 1851 में "माइनॉरिटी"-पारसी दंगो को कैसे जस्टिफाई करोगे? बस एक छोटा सा लेख ही तो लिखा था "चित्रा दिनन दर्पण" नामक मैगजीन ने।