Tuesday, November 5, 2024

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कंगना रनौत का समर्थन करने पर पाकिस्तानी ब्लॉगर सरमद इकबाल को मिली सजा

भारत में जो लोग हमेशा बिना सोचे समझे अपने देश की आलोचना करते हैं, उन्हें खुद देखना चाहिए कि हमारे पड़ोस में क्या हो रहा है, हमारी प्राचीन और परिष्कृत हिंदू सभ्यता हमारा गौरव है।

अमेरिका का अफगानिस्तान से जाना भारत के लिए खतरे की घंटी

अमेरिकी सरकार ने अफगानिस्तान में अपने सबसे बड़े सैन्य ठिकाने बगराम छावनी को खाली कर दिया है। 11 सितंबर के पहले अमेरिकी फौज पूरी तरह से काबुल के पास स्थित बगराम सैनिक छावनी को पूरी तरह से खाली कर देगी।

मोदी जी का आना और बहुत कुछ बदल जाना: किसी को सबकुछ मिल जाना और किसी का सबकुछ लुट जाना

हर मर्ज की दवा मोदी जी नहीं हो सकते। आपको विदेशी कंपनियों के उत्पादों का वहिष्कार करना होगा, इसके लिए मोदी जी के बैन लगाने का इंतज़ार न करिये, ये काम हम आप भी मिल कर सकते हैं।

भारत की महान बेटी भगिनी निवेदिता का भारत से जुड़ाव – जन्म जयंती विशेष

सिस्टर निवेदिता का असली नाम मार्गरेट एलिजाबेथ नोबुल था। स्वामी विवेकानन्द की शिष्या भगिनी निवेदिता का जन्म 28 अक्टूबर, 1867 को आयरलैंड में हुआ था। वे एक अंग्रेज-आइरिश सामाजिक कार्यकर्ता, लेखक एवं एक महान शिक्षिका थीं। भारत के प्रति अपार श्रद्धा और प्रेम के चलते वे आज भी प्रत्येक भारतवासी के लिए देशभक्ति की महान प्रेरणा का स्रोत है।

भारतीय धर्म निरपेक्षता का सच

बेंगलुरु के हिन्दू विरोधी दंगों ने एक बार फिर तथाकथित धर्मनिरपेक्षता के ध्वज वाहकों को नग्न कर दिया है। भारत में धर्मनिरपेक्षता का अर्थ हिन्दू घृणा हो चुका है।

चीन और पाकिस्तान को नहीं हुआ घी हजम: भारत और अमेरिका ने दिया कायम चूर्ण

भारत और अमेरिका जैसे जिन मालिकों ने इन्हे घी पिलाया अब वही इन्हे कायम चूर्ण भी दे रहे हैं फिर चाहे वो व्यापार बैन करने वाले कायम चूर्ण हों या फिर गलवान घाटी में चीनियों को दिया गया भारतीय कायमचूर्ण, या फिर बालाकोट में पाकिस्तान को दिया गया कायमचूर्ण।

हॉकी का जादूगर राष्ट्रप्रेम से राष्ट्रीयखेल तक! भारत रत्न एक खोज?

भारत मां के वीर निष्कामी खेल-समर्पित रत्न मेजर ध्यानचंद को कौन सी सरकार कब कैसे क्यों भारत रत्न देगी या नहीं यह विषय उपयुक्त नहीं है, राष्ट्रीय वलिदेवी पर अत्याधिक वीर क्रांतिकारियों को क्या भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया है?

दुर्बलता मृत्यु है

हमारे राष्ट्र और हमें अब शक्तिशाली बनना ही होगा। शक्तिसंपन्न हुए बिना भला अशोक और गाँधीजी का अहिंसा और विश्वशांति का सन्देश "श्रेष्ठतम की उत्तरजीविता" जैसे जंगल के कानून में विश्वास करने वाले संसार को कैसे हम समझा पाएंगे?

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