अनुच्छेद ३५ ए व धारा ३७० असंविधानिक व भूतकाल में स्वार्थपिपाषा से पूर्ण सत्तारूपी यश व विश्वशांति के नोबेल पुरस्कार की आकांक्षा का एक राष्ट्र विरोधी व घृणित अलोकतांत्रिक पक्ष था जिसे वर्तमान देशभक्त संवैधानिक लोकतांत्रिक निस्वार्थ सरकार ने निष्काम भाव से विपक्षित किया।
भारत मां के वीर निष्कामी खेल-समर्पित रत्न मेजर ध्यानचंद को कौन सी सरकार कब कैसे क्यों भारत रत्न देगी या नहीं यह विषय उपयुक्त नहीं है, राष्ट्रीय वलिदेवी पर अत्याधिक वीर क्रांतिकारियों को क्या भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया है?
हज़ारो वर्षो से वैदिक सभ्यता,भारतीयता का जो उपहास व निम्नस्तरीयता का जो भाव विदेशी आक्रांताओ द्धारा प्रचलित रहा है वो आज भी जीवित है, तर्क, आलोचना, टिप्पड़ियाँ, कुंठा से ना हमारा भूतकाल पुनः राम राज्य बन जायेगा ना ही हम भारतियों की व्यथा को शांत कर पायेगा।
इस्लामिक, वामपंथी, क्रिसियन व अधार्मिक विचारों की बात ना कर उन चेतन भ्रांन्तिक सनातन हिंन्दुओ की चर्चा करेंगे, जो मुख्यता गौवंश के पतन के लिए मुख्यता जिम्मेदार हैं।