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मनुस्मृति और जाति प्रथा! सत्य क्या है? (part-2)
जन्म आधारित जातिव्यवस्था महर्षि मनु द्वारा प्रतिपादित समाजव्यवस्था का कहीं से भी हिस्सा नहीं है. जो जन्मना ब्राह्मण अपने लिए दण्डव्यवस्था में छूट या विशेष सहूलियत चाहते हैं – वे मनु, वेद और सम्पूर्ण मानवता के घोर विरोधी हैं और महर्षि मनु के अनुसार, ऐसे समाज कंटक अत्यंत कड़े दण्ड के लायक हैं
मनुस्मृति और जाति प्रथा! सत्य क्या है?
मनुस्मृति उस काल की है जब जन्मना जाति व्यवस्था के विचार का भी कोई अस्तित्व नहीं था. अत: मनुस्मृति जन्मना समाज व्यवस्था का कहीं भी समर्थन नहीं करती.
ऐसे थे हमारे प्रणव दा
यह किस्सा राजनीतिक जीवन में कितना प्रेरणादायक है कि किस तरह अपने सिद्धांतों से समझौता किये बिना अपने मित्र धर्म का पालन किया जा सकता है और समाजिक जीवन में किस तरह से समाज के उत्थान का कार्य हम कर सकते हैं अपने पद की मर्यादा का ध्यान रखते हुए।
EVM और चुनाव?
चुनाव आयोग लगातार मतदान को स्वच्छ एवं पारदर्शी बनाने के लिए प्रयासरत है. आयोग तो आने वाले समय में बूथों का सीसीटीवी रिकॉर्डिंग करने की योजना पर काम कर रही है, जिससे कि किसी उम्मीदवार को परेशानी होने पर उन्हें सम्बंधित बूथ की रिकार्डिंग उप्दब्द कराया जा सके .
राष्ट्रीय पक्षी से प्रधानमंत्री के प्रेम पर खाक क्यों हो गये वामपंथी
Vitthal -
समस्या प्रधानमंत्री का मोर के साथ प्रेम जता कर फ़ोटो खिंचवाने से नहीं है समस्या है इनको की मोदी इन सब के बाद भी इतने कूल कैसे है।
जातिवादी नेताओं कि हिंदुओं को तोड़ने वाली राजनीति
सदियों से सोया हुआ हिंदू समाज आज जागरूक हो गया है. देश में जब से एक राष्ट्रवादी सरकार बनी है और अन्य प्रदेशों में भी उसका प्रभाव दिखाई देने लगा है और जनता ने इन सर्कुलर वामपंथी और समाजवादी पार्टियों को खदेड़ दिया है.
प्रवासी मजदूर- आगमन से प्रस्थान तक
उद्योगपति, जो उतने दूर से ऐसे लक्ज़री बसे भेज सकते हैं, वो इन कामगारों को अपने पास रख कर इनको दो जुन की रोटी उपलबध क्यूँ नहीं करवा सकते थे।
उठापटक के बीच अब इस्तीफे के मूड में ‘सोनिया गांधी’
सूत्रों की मानें तो अब कांग्रेस पार्टी की अंतरिम अध्यक्षा कभी भी अपने पद से इस्तीफा दे सकती हैं। सोनिया गांधी के द्वारा लगातार यह कहा जा रहा है कि अब पार्टी को नए अध्यक्ष की तलाश करनी चाहिए।
दिल्ली दंगों को हिन्दू आतंकवाद की झूठी कहानी बनाने में विफल रहे अर्बन नक्सली और इस्लामी कट्टरपंथी समूह
हिन्दू विरोधी दिल्ली दंगों को गुजरात दंगो के तौर पर हिन्दू आतंकवाद की झूठी कहानी बनाने में कसाब की तरह फिर से विफल रहे अर्बन नक्सली और इस्लामी कट्टरपंथी समूह
सुनो तेजस्विनी, धर्म तुम्हारा, दर्द तुम्हारा फिर एजेंडा उनका क्यों?
यदि हिन्दू धर्म में स्त्री उन दिनों में अछूत या अपवित्र समझा जाता तो उन दिनों को “मासिक धर्म” क्यों कहा जाता, “मासिक अधर्म” क्यों नहीं? यदि रजस्वला स्त्री अपवित्र होती तो स्वयं श्री कृष्ण, रजस्वला द्रौपदी की रक्षा करने क्यों आते? यदि मासिक धर्म अपवित्र होता तो माँ के योनि रूप की पूजा क्यों होती?