Saturday, October 5, 2024
HomeHindiराष्ट्रीय पक्षी से प्रधानमंत्री के प्रेम पर खाक क्यों हो गये वामपंथी

राष्ट्रीय पक्षी से प्रधानमंत्री के प्रेम पर खाक क्यों हो गये वामपंथी

Also Read

बीते दिन प्रधानमंत्री मोदी के ट्विटर समेत अन्य सोशल मीडिया हैंडल पर एक वीडियो जारी किया जाता है जिसमें प्रधानमंत्री मोदी अपने आवास 7 लोक कल्याण मार्ग पर मोर के साथ समय बीता रहे है और उसे दाना खिला रहे हैं। वीडियो के साथ कुछ पंक्तियाँ भी लिखी गयी थी, वे इस प्रकार है –

ट्वीटर हैंडल पर डाले गये वीडियो की प्रतीकात्मक फोटो

प्रधानमंत्री नियमित अपनी सुबह की सैर में मोर को दाना खिलाते हैं और ये मोर भी प्रधानमंत्री आवास पर ही रहते हैं। निःस्वार्थ प्रेम से आप मूक वाणी वाले प्राणी को भी अपने वशीभूत कर सकते हैं और फिर मोर तो प्रकृति की सुंदरता का बेजोड़ नमूना है भगवान कृष्ण का सहचर और हमारे देश का राष्ट्रीय पक्षी भी है. यदि सालो से कोई छुट्टी न लेने वाले नरेंद्र मोदी अपने ही आवास पर अपनी दैनिक दिनचर्या में कोई कार्य कर रहे है तो उस पर इतना रोना पीटना क्यों भाई?

हाय हाय देश में कोरोना संकट है केस नियमित बढ़ रहे है, बेरोज़गारी बढ़ रही है, आधा देश बाढ़ की चपेट में है, चीन बॉर्डर पर लगातार षड्यंत्र हो रहे है, पाकिस्तान लगातार साज़िश रच रहा है, जनसंख्या बढ़ रही है, राम मंदिर के निर्माण से समुदाय विशेष बेहद आहत है और इस स्तिथि में भला प्रधानमंत्री की सुकून के पल बिताने की हिम्मत कैसे हुई ? प्रधानमंत्री को तो बिना रूके बिना थके बिना सोये बिना दिनचर्या में जाये चौबीस घंटे बस 365 दिन लगे रहना चाहिए, अरे क्यों भाई? एक प्रधानमंत्री का विदेशी लड़कियों की गोद में खेलना जायज़ है, एक प्रधानमंत्री का विदेशी लड़की से शादी करना जायज़ है यहाँ तक परिवार के साथ नौसेना के सेवारत युद्धपोत पर छुट्टियों के लिये जाना भी जायज़ है और यहाँ पर नरेंद्र मोदी का अपने ही आवास पर वॉक पर जाना और मोर को दाना खिलाना घनघोर अपराध की श्रेणी में लाता है। इतनी हिप्पोक्रेसी लाते कहाँ से हो भाई?

ये जो चिंताये तुम जता रहे हो इसके ज़िम्मेदार अब तक शासन करने वाले प्रधानमंत्री क्यों नहीं है? 1947 से अब तक जितना विकास स्वाभाविक रूप से होना चाहिए वो क्यों नही हुआ? क्यों हर योजना हर सौदे से भ्रष्टाचार की बू आती रही? स्वास्थ्य सेवाएँ ग्रामीण भारत तो छोड़ ही दें शहरों में भी इतनी दुर्दांत कैसे है? कोरोना के केस बढ़ रहे है तो साथ ही स्वास्थ्य सुविधाओं में भी बढ़ोत्तरी हो रही है स्वास्थ्य मंत्रालय के हालिया जारी आँकड़ों के अनुसार टेस्टिंग आठ लाख प्रतिदिन पहुँच चुकी है और रिकवरी रेट भी अन्य देशों की तुलना में बेहतर हो रहा है। बेरोज़गारी की समस्या स्वतंत्रता से अब तक यथावत है किसने कितने प्रयास किये प्रत्यक्ष दिखाई देता है और जब मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत जैसे अभियान चलाये जाते है तो यही विपक्षी अपनी ग़रीबी वाली राजनीति की दुकान बंद होती देख हाय तौबा मचाने लगते है।

चीन बॉर्डर पर भारत आक्रमक है इसकी गवाह अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी है, पाकिस्तान बैकफुट पर है ये वहाँ के नेताओं और अधिकारियों की बिलबिलाहट बता देती है, राम मंदिर जैसे फैसले इस देश की सेक्यूलर व्यवस्था की नाकामी है जहां करोड़ों बहुसंख्यक अपने आराध्य को खुलेआम पूज नहीं सकते और जब उन्हें मंदिर बनाने का अधिकार कोर्ट ने दिया तो पूरे देश का लोकतंत्र खतरे में आ गया, देश तो छोड़ो विदेशों में सलवार पहने बैठे इनके बिन मूंछो वाले आका धमकियां जारी करने लगे, कितना हास्यास्पद है।

समस्या क्या है न कि वामपंथी के और बनावटी सेक्यूलरो के स्थान विशेष में 2014 से दर्द और रक्त रिसाव हो रहा है उन्हें न भ्रष्टाचार के मुद्दे मिल रहे और न ही आर्थिक, सामरिक विफलता के तो वो चुगली बाज बच्चे की तरह कभी मोदी को राफेल के झूठे आरोप मे अशिष्टता पूर्वक फंसाने का प्रयास करते है तो कभी उनके द्वारा बोले गये शब्दों मे आये फम्बल से ही खुश हो लेते है और ये इतने नालायक है कि जब एक उम्रदराज़ प्रधानमंत्री सीढ़ियों पर फिसलते है तो ये मक्कार उसी में खुश हो लेते है।

समस्या प्रधानमंत्री का मोर के साथ प्रेम जता कर फ़ोटो खिंचवाने से नहीं है समस्या है इनको की मोदी इन सब के बाद भी इतने कूल कैसे है। मोदी को तो रोज हाथ जोड़कर एक बार इनसे राय लेनी चाहिए की काम कैसे करे, घोटाले कैसे करे, आंतकवादियो के सगे कैसे बने, चीन से दोस्ती कैसे करे पर मोदी तो मोदी है वो मोर भी इसी लिये पालते है उनके आस्तीन मे पल रहे सांपो का सफाया हो जाये और वो अपना काम भी कर रहे है बिल्कुल इस बाद की परवाह किये की लोग क्या कहेंगे। मोदी अपने लक्ष्य को लेकर बिल्कुल स्पष्ट है और इस बीच वो हर एक चीज का समय निकाल लेते हैं अब इससे वामियों के स्थान विशेष में मिर्च इत्यादि लग रही है तो इसमें प्रधानमंत्री मोदी का कोई दोष नहीं है।

  Support Us  

OpIndia is not rich like the mainstream media. Even a small contribution by you will help us keep running. Consider making a voluntary payment.

Trending now

- Advertisement -

Latest News

Recently Popular