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सशक्त जनसंख्या नियंत्रण नीति की आवश्यकता
देश को अविलंब एक सशक्त जनसंख्या नियंत्रण नीति (policy) की अवश्यकता है। हमें एक ऐसे नीति की अवश्यकता है जो जनसंख्या नियंत्रण करने में तथा राष्ट्र प्रगति को गति देने में सक्षम हो। इस सम्बन्ध में मेरे भी कुछ विचार हैं।
ये रामानुज, लक्ष्मण की नगरी है
लखनऊ की स्थापना रामानुज श्री लक्ष्मण ने की थी और उन्ही के नाम पर इसका मूल नाम लक्ष्मणपुरी है. स्वयं हनुमान जी लखनऊ के नगर देवता हैं. नगर में होने वाले बड़े मंगल महोत्सव इसके प्रमाण हैं।
ये दर्द काहे खत्म नही होता, बे
aryaveer -
बुद्धिजीवि पत्रकार, प्रोफेसर, बिन्दी झोला ब्रिगेड, सर्पनगरी बॉलीवुड के शेषनाग इत्यादि लोग ऐसे तर्क प्रस्तुत करते है, जो हमारी सूक्ष्म सोच पर वज्र सा प्रहार करते है, मस्तिष्क सुन्न हो जाता है।
कंगना और रिया के बीच फसी शिवसेना !
आखिर इस में ऐसा क्या था जो संजय राउत जैसा शिवसेना के वरिष्ठ नेता बीच में कूद पड़ा। शिवसेना सरकार या राउत साहब की प्राथमिकता क्या होनी चाहिए? जो खुलासे करने को तैयार है उसे धमकाना या ड्रग की काली दुनिया को सबके सामने लाना।
प्रवेश-परीक्षाएं और कोविड-19: शिक्षा बनाम स्वास्थ्य
कुल मिलाकर एक ऐसी परिस्थिति है जिसमें 'शिक्षा और स्वास्थ्य' में से एक को चुनने जैसी दुविधा है। हालांकि स्वास्थ्य को सबसे महत्त्वपूर्ण मानकर प्रथम वरीयता देने में किसी को कोई हिचिकिचाहट नहीं है।
पितृ पक्ष और पिता की अंतिम स्मृति
“आत्माराम” जो एक अस्थि मानी जाती है, कई हज़ार चितायें जलने पर किसी एक में निकलती है और कहते हैं ये वो शरीर होते हैं, जिनकी आत्माएं पवित्र से भी पवित्र और ईश्वर के एकदम निकट होती हैं, .इस प्रश्न का उत्तर केवल भारतीय आध्यामिक परम्परा ही दे सकती है
पोषण अभियान: सही पोषण – देश रोशन
भारत सरकार द्वारा कुपोषण को दूर करने के लिए जीवनचक्र एप्रोच अपनाकर चरणबद्ध ढंग से पोषण अभियान चलाया जा रहा है, भारत सरकार द्वारा...
“हिंदुत्व” भारतवर्ष की उदारता एवं मानवता के श्रेष्ठ गुणों का निचोड़ है
हिंदुत्व ही राष्ट्रीयत्व है। जहां हिंदुत्व घटा, देश वहां बटां। पूर्वोत्तर के राज्य तथा जम्मू-कश्मीर इसका ज्वलंत प्रमाण है।
स्तरहीन पत्रकारिता का दौर
गर्व करने योग्य देश की उपलब्धियां हैं बल्कि जनमानस में सकारात्मकता फैलाने वाली खबरें हैं- आपदा को अवसर में बदलने की बहुत से कदम भी उठाए गए जैसे आत्मनिर्भर भारत की नींव और वोकल फ़ॉर लोकल का संकल्प। लेकिन शायद ही खुद को चौथा स्तंभ मानने वाली देश की मीडिया ने इन खबरों का प्रसारण किया हो अथवा किसी भी प्रकार से देश की इन उपलब्धियों से देश की जनता को रूबरू कराने का प्रयत्न किया हो।
अपराधियों की स्वीकार्यता वाला समाज नहीं चाहिए तो……
आतंकवादी तो हमेशा से ही गरीब हेड मास्टर के बच्चे, प्रोफेसर, सिविल सर्विस एसपाईरेंट या सुरक्षा बलों से प्रताड़ित दबे, कुचले शांतिप्रिय वगैरह वगैरह होते रहे हैं।