Friday, May 3, 2024
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Central Bank digital currency @E-rupya सफलता का नया मुकाम भाग-१

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Nagendra Pratap Singh
Nagendra Pratap Singhhttp://kanoonforall.com
An Advocate with 15+ years experience. A Social worker. Worked with WHO in its Intensive Pulse Polio immunisation movement at Uttar Pradesh and Bihar.

मित्रों UPI अर्थात Unified Payment Interface (जिसके माध्यम से मोबाइल प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करके अपने बैंक अकाउंट से किसी दूसरे के बैंक अकाउंट में पैसे ट्रांसफर किया जाता है) कि अभूतपूर्व सफलता के पश्चात, भारत सरकार ने लेन देन कि प्रक्रिया के रूप में एक नए माध्यम को लागू करने का कार्य किया है, जिसने सफलता का नया मुकाम हासिल कर लिया है कर ये माध्यम CBDC अर्थात Central Bank Digital Currency के नाम से जाना जाने लगा है, जिसे हम सामान्य भाषा में “e-Rupi” भी कह सकते हैं।

आइये देखते हैं लेन देन की यह नई प्रक्रिया आखिर है क्या? सर्वप्रथम हमें ये समझना होगा कि करंसी (Currency) किसे कहते हैं:- आधुनिक अर्थशास्त्र के अनुसार “मुद्रा धन का एक रूप है जो विशेष रूप से संप्रभु (या उसके प्रतिनिधि के रूप में एक केंद्रीय बैंक) द्वारा जारी किया जाता है।” इसे दूसरे शब्दों में यदि कहें तो “मुद्रा (currency, करन्सी) पैसे या धन के उस रूप को कहते हैं जिस से दैनिक जीवन में क्रय और विक्रय होती है। इसमें सिक्के और काग़ज़ के नोट दोनों आते हैं।

आमतौर से किसी देश में प्रयोग की जाने वाली मुद्रा उस देश की सरकारी व्यवस्था द्वारा बनाई जाती है। मसलन भारत में रुपया व पैसा मुद्रा है।” यह जारी करने वाले केंद्रीय बैंक (और संप्रभु) की देनदारी होती है और जिस नागरिक के पास होती है, उसकी संपत्ति मानी जाती है।

करेंसी एक “व्यवस्थापत्र” (FIAT) है, यह लीगल टेंडर है। मुद्रा आमतौर पर कागज (या बहुलक) के रूप में जारी की जाती है, लेकिन मुद्रा का रूप इसकी परिभाषित विशेषता नहीं है। दुनिया भर के केंद्रीय बैंक सीबीडीसी की खोज में लगे हुए हैं और कुछ देशों ने सीबीडीसी पर अवधारणा/प्रायोगिक प्रमाण भी पेश किए हैं।

आभासी/क्रिप्टो मुद्राओं के नियमन के लिए नीति और कानूनी ढांचे की जांच करने के लिए वित्त मंत्रालय, भारत सरकार (जीओआई) द्वारा गठित उच्च स्तरय अंतर-मंत्रालयी समिति ने नवंबर २०१७ में भारत में फिएट मनी को डिजिटल मुद्रा के रूप में सीबीडीसी के शुरुआत की सिफारिश की थी। अन्य केंद्रीय बैंकों की तरह, आरबीआई भी काफी समय से सीबीडीसी की शुरुआत के पक्ष और विपक्ष अर्थात लाभ और हानी के तथ्यों की खोज कर रहा था और एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में CBDC को चार प्रमुख शहरों (मुंबई, दिल्ली,बैंगलोर और भुवनेश्वर) के चार प्रमुख बैंको SBI, ICICI, IDFC इत्यादि के साथ शुरुआत की और इसमें अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की।

CBDC:- सीबीडीसी एक केंद्रीय बैंक द्वारा डिजिटल रूप में जारी की गई कानूनी निविदा है। यह Fiat (व्यवस्थापत्र) मुद्रा के समान ही है और फिएट मुद्रा के साथ एक-से-एक विनिमेय है। केवल उसका रूप भिन्न है। CBDC एक डिजिटल या आभासी मुद्रा है, लेकिन यह निजी आभासी मुद्राओं से तुलना योग्य  नहीं है जो पिछले एक दशक में तेजी से बढ़ी हैं।

तर्क की एक पंक्ति जिसने निजी आभासी मुद्राओं (जैसे BITCOIN) को कुछ हद तक वैधता हासिल करने में मदद की है, वह यह है कि आधुनिक समाजों में अधिकांश पैसा वास्तव में पहले से ही निजी है क्योंकि वे निजी बैंकों के जमा देनदारियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। बैंक जमा (बैंक Deposit) निश्चित रूप से,पैसा है लेकिन “धन” के रूप में उनका कोई स्वतंत्र अस्तित्व नहीं है, किसी भी मामले में बैंक जमा, निजी मुद्राओं से बहुत अलग हैं, जिनमें (ए) कोई जारीकर्ता नहीं होता है और (बी) संप्रभु मुद्रा में एक-से-एक परिवर्तनीय नहीं हैं।

CBDC केंद्रीय बैंक द्वारा जारी की गई मुद्रा के समान है लेकिन कागज से अलग रूप में होता है।यह एक इलेक्ट्रॉनिक रूप में संप्रभु मुद्रा है और यह केंद्रीय बैंक की बैलेंस शीट पर देयता (परीसंचलित मुद्रा) के रूप में दिखाई देती है। CBDC की अंतर्निहित तकनीक, रूप और उपयोग को विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुसार ढाला जा सकता है।

सीबीडीसी को नकदी के बराबर विनिमय योग्य होना चाहिए। CBDCs में रुचि अब लगभग सार्वभौमिक है, बहुत कम देश अपने CBDCs को लॉन्च करने के पायलट चरण तक पहुँचे हैं। केंद्रीय बैंको के २०११ में BIS सर्वेक्षण में पाया गया कि लगभग ८६% देश अपने यंहा CBDC की संभावना हेतु शोध कर रहे हैं तथा उन ८६% में से ६०% प्रौद्योगिकी के साथ प्रयोग कर रहे थे बाकी बचे १४% पायलट प्रोजेक्ट लगा रहे थे।तो इस प्रकार हम देखते हैं कि CBDC एक मुद्रा है, जो electronic form में जारी किया गया है और ये कागजी मुद्रा से exchange (विनिमय) किये जाने योग्य होता है।

अब प्रश्न ये है कि, इसकी अवश्यक्ता क्यों पड़ी, इसका औचित्य क्या है? इसके जारी किये जाने के औचित्य को निम्न बिन्दुओ से समझा जा सकता है।

(i)केंद्रीय बैंक, कागजी मुद्रा के घटते उपयोग का सामना कर रहे हैं, अत: मुद्रा के एक अधिक स्वीकार्य इलेक्ट्रॉनिक रूप को लोकप्रिय बनाना चाहते हैं जैसे स्वीडन में किया गया है।

(ii)महत्वपूर्ण भौतिक नकदी जारी करने वाले क्षेत्राधिकार के प्रयोग को और अधिक कुशल बनाने के लिए CBDC  को उपयोग में लाना चाहते हैं (जैसे डेनमार्क, जर्मनी, या जापान यहां तक कि अमेरिका में भी किया जा चूका है।);

(iii)केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्राओं के लिए जनता की आवश्यकता को पूरा करना चाहते हैं, जो निजी आभासी मुद्राओं के बढ़ते उपयोग में प्रकट होता है,और इस प्रकार ऐसी निजी आभासी मुद्राओं (Virtual Money) के अधिक हानिकारक परिणामों से बचा जा सकता है।

जैसा की हम सभी यह जानते हैं कि डिजिटल भुगतान नवाचारों (Innovations) के मामले में भारत दुनिया में अग्रणी है। इसकी भुगतान प्रणाली २४x७ खुदरा और थोक ग्राहकों दोनों के लिए उपलब्ध है, वे काफी हद तक रीयल-टाइम हैं, भारत में लेनदेन की लागत शायद दुनिया में सबसे कम है, भारत में उपयोगकर्ताओं के पास लेनदेन करने के लिए विकल्पों का एक प्रभावशाली मेनू है और डिजिटल भुगतान ५५% (पिछले पांच वर्षों में) के प्रभावशाली सीएजीआर (CAGR) से बढ़ा है। विश्व के लिए UPI जैसी दूसरी भुगतान प्रणाली खोजना मुश्किल होगा जो एक रुपये के लेनदेन की अनुमति देती है। डिजिटलीकरण की इतनी प्रभावशाली प्रगति के साथ, CBDC नए आयाम स्थापित करती हुई सुनहरे भविष्य का निर्माण करेगी ,यह आसानी से समझा जा सकता है।

आइये देखते हैं CDBC से होने वाले लाभ:-

१: सीबीडीसी का उपयोग कर किया जाने वाला भुगतान अंतिम (Final) होता हैं अत: वित्तीय प्रणाली में निपटान जोखिम (Settlement risk) को यह कम करता हैं।

२: हमारे देश में खुदरा लेन देन के लिए नकदी पर अधिक भरोसा किया जाता है  और RBI द्वारा दिसंबर २०१८ से जनवरी २०१९ के मध्य ६ शहरो में कराये गए  एक सर्वे के अनुसार रुपये ५०० तक के भुगतान के लिए लोग अक्सर नकदी भुगतान प्रणाली का उपयोग प्राथमिकता के साथ करते हैं अर्थात नकद भुगतान करना ये लोगो की प्राथमिकता आज भी बना हुआ है। ये CDBC इस नकदी भुगतान प्रणाली का स्थान नहीं ले सकता परन्तु बड़े नकदी लेन देन का स्थान ये अवश्य ले सकता है।

जैसा की हम सभी जानते हैं की एक १०० रुपये का नोट छापने के लिए कम से कम १५ से १७ रुपये का खर्चा आता है, अत: देश में करोड़ो की संख्या में नोटों का चलन होता है, इस हिसाब से देखे तो नोटों की संख्या के हिसाब से लागत भी आती है जिसमे परिवहन और भंडारण भी शामिल होता है। डिजिटल करेंसी के माध्यम से कागजी मुद्रा की छपाई, परिवहन, भंडारण और वितरण की लागत को कम किया जा सकता है।

३: मित्रो आपने BITCOIN नामक virtual currencies (VCs) के बारे में तो अवश्य सुना होगा। ये एक निजी क्षेत्र द्वारा संचालित आभासी मुद्रा (virtual currencies) है। इस  BITCOIN की जो वैल्यू अर्थात मूल्य है वो एक समान नहीं होता है  ये भिन्न भिन्न परिस्थितियों में भिन्न भिन्न होता  है। इससे किये जाने वाला लेन देन असुरक्षित होता है, क्योंकि पैसा कहा से आया और कहा गया इसे ट्रैक करना संभव नहीं होता। सही अर्थो में यदि कहे तो निजी आभासी मुद्राओ जैसे BITCOIN का कोई माँ बाप नहीं होता। इसका वितरण विकेन्द्रित (Decentralised) होता है।

अत: ऐसी निजी आभासी मुद्राओ के प्रचलन को रोकने और इनके विकल्प के रूप में CBDC अर्थात  डिजिटल रुपये को जारी किया जा रहा है। ये एक केंद्रित (Centerlised) व्यवस्था के अंतर्गत जारी किया जा रहा है। इसका प्रमुख स्त्रोत RBI है। इसका उपयोग करने हेतु बैंक आपको एक डिजिटल वॉलेट का आवंटन करेंगे, जिसमे आप अपने डिजिटल करेंसी को उसी प्रकार रख सकेंगे जैसे अपने वॉलेट में नकदी रखते हैं। इस डिजिटल करेंसी को आप नकदी में बदल भी सकते हैं।

डिजिटल करेंसी के भुगतान के लिए भी हमें UPI का ही उपयोग करना पड़ेगा। यंहा पर आपको QR Code भी बैंक के द्वारा प्रदान किया जायेगा। याद रखिये यदि इन निजी आभासी मुद्राओं (Private Virtual Currency जैसे BITCOIN) को मान्यता मिल जाती है, तो सीमित परिवर्तनीयता वाली राष्ट्रीय मुद्राओं के खतरे में आने की संभावना है बढ़ जाती है।

४: मित्रो UPI का उपयोग करते हुए जब हम GPay, फोनपे या PayTM से पैसे का भुगतान कर किसी वस्तु का क्रय करते हैं तो भुगतान किया हुआ पैसा हमारे बैंक एकाउंट से डेबिट होकर दुकानदार के बैंक एकाउंट में क्रेडिट होता है, परन्तु इस प्रक्रिया को पूरा होने के लिए २४ घंटे का समय लगता है क्योंकि इसमें हमारे और दुकानदार के जो बैंक है वो बिचौलिए का कार्य करते हैं, और इसके लिए वो कुछ मेहनताना भी वसूल करते हैं। परन्तु डिजिटल करेंसी द्वारा भुगतान करने में हमारे वॉलेट से पैसा सीधे दुकानदार के वॉलेट में चला जायेगा और किसी को कुछ देने की आवश्यकता भी नहीं पड़ेगा।

CBDC से जुड़े लेख के इस अंक में बस इतना ही दूसरे भाग में हम अन्य लाभों के बारे में चर्चा करेंगे।

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