आपको बताते हैं पहले वक्फ बोर्ड है क्या:
वक्फ धार्मिक और धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए अल्लाह के नाम पर दी गई संपत्ति है। सरल भाषा में कानूनी दृष्टि से इस्लाम को मानने वाले व्यक्ति द्वारा किसी भी चल या अचल संपत्ति को धार्मिक कार्य के लिए किया गया कोई भी दान। ये दान पैसा या संपत्ति हो सकता है। इसके साथ ही यदि किसी संपत्ति को लंबे समय तक धर्म के काम में उपयोग किया जा रहा हो, तो उसे भी वक्फ माना जा सकता है। यदि कोई एक बार किसी संपत्ति को वक्फ कर देता है तो उसे फिर वापस नहीं लिया जा सकता है। एक गैर-मुस्लिम भी वक्फ बना सकता है लेकिन व्यक्ति को इस्लाम कबूल करना होगा और वक्फ बनाने का उद्देश्य इस्लामी होना चाहिए।
परंतु समय के साथ ये अर्थ बदल गया है। 1947 में जब हिंदू पाकिस्तान में अपनी जमीनों को छोड कर भारत आए और, मुस्लिम भारत में अपनी जमीनें छोडकर पाकिस्तान गए। तो, पाकिस्तान ने हिंदुओं की पूरी जमीन पर कब्जा कर लिया। और, इस जमीन को मुस्लिमों और राज्य सरकार को दे दिया। लेकिन, महात्मा गांधी और जवाहर लाल नेहरू ने इसका ठीक उलट किया।
उन्होंने कहा कि, पाकिस्तान जा चुके मुस्लिमों की जमीनों को कोई हिंदू नहीं छुएगा। उन्होंने इन जमीनों की जानकारी इकट्ठी की और इसे वक्फ को दे दिया। 1954 का वक्फ बोर्ड कानून उतना कठोर नहीं था। लेकिन, असली बदलाव 1995 में आया। कांग्रेस नेता और प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव वक्फ कानून 1995 लाए। और वक्फ बोर्ड को जमीनों के अधिग्रहण के असीमित अधिकार दे दिए।
तो आप देख सकते है कैसे हिंदुओ के साथ छल किया गया और देश में वक्फ बोर्ड का गठन किया गया। वही आज वक्फ बोर्ड हिंदुओ के सम्पति पर कब्जा कर रहे है। आज टीम शंखनाद के साथ मिलकर सभी हिंदू न्याय के लिए आआज बुलंद कर रहे है।