मित्रो कुछ समय पूर्व ही मैंने एक शीर्षक पढ़ा था जो कुछ इस प्रकार था “१०० करोड़ हिन्दुओ की फिल्म इंडस्ट्री में ४ म्लेच्छ (मुस्लिम) सुपर स्टार, ऐसा केवल मुर्ख हिन्दू ही कर सकते हैं।” सच पूछिए मुझे अपने आप पर शर्म आने लगी क्योंकि उस शीर्षक का एक एक शब्द सच था। मैं सोचने लगा की आखिर हम इन म्लेच्छ सनातन विरोधियों को आखिर महानायक कैसे बना सकते हैं।
मित्रो इन्ही में से एक है आमिर खान। ये एक ऐसा म्लेच्छ है जिसने औरंगजेब की भांति अपने बड़े भाई के भविष्य के साथ ना केवल बलात्कार किया अपितु उसे मानसिक रूप से विक्षिप्त भी साबित करने की कोशिश की। इसने अपने पिता को वो जख्म दिए की वो भी अपने आखिरी दिनों में तड़प तड़प कर मर गए। इस म्लेच्छ ने दो हिन्दू स्त्रियों के साथ शादी की और दोनों को तलाक दे दिया। इस म्लेच्छ ने शुरुआत से ही भारत और सनातन धर्म के विरुद्ध अपने आतंकवाद का खुनी अध्याय लिखना शुरू कर दिया था।
सबसे पहले आपको याद होगा तो आमिर खान नाम के इस म्लेच्छ ने “सत्यमेव जयते” नामक एक धारावाहिक लेकर आया था और उसने भगवान शिव पर श्रद्धा से चढ़ाये जाने वाले दूध की आलोचना करते हुए कहा था की “पत्थर पर दूध चढ़ाने से अच्छा है की हम उस पैसे से किसी भिखारी को भोजन करा दे।” और इस प्रकार की ना जाने कितनी ही धर्मिक भावनाओ को ठेस पहुंचने वाली बाते कंही थी, परन्तु इस म्लेच्छ ने कभी भी दरगाहो पर चादर चढ़ाने के बजाय उसी पैसे से गरीबो को बिजन करने की बात नहीं की। इस म्लेच्छ ने हज करने के नाम पर लाखो रुपये पानी की तरह बहाने के स्थान पर उन्ही पैसो से गरीब बच्चों को पढ़ाने लिखाने की बात नहीं की। ये आमिर खान नाम का मलेच्छ बड़ा ही शातिर और खतरनाक है मित्रो।
जब आदरणीय नरेंद्र मोदी जी भारत के प्रधानमंत्री बने थे तब इस म्लेच्छ ने अपनी बीबी किरण के नाम का प्रयोग करते हुए, एक साक्षात्कार दौरान ये कहते हुए अपना विष वमन किया था कि “उसकी बीबी को हिंदुस्तान में डर लगता है, वो अपने बच्चों के लिए भयभीत रहती है”। और इस प्रकार इस नमकहराम ने भारत एक असहिष्णु देश है कह कर दुष्प्रचार करना शुरू कर दिया था।
हद तो तब हो गयी थी मित्रो जब इसने अपने नीचता की पराकाष्ठा को पार करते हुए PK जैसी फिल्म बनायीं और हिन्दुओ की धार्मिक भावनाओ के साथ जम कर जिहाद किया। इस फिल्म में म्लेच्छों ने हमारे भगवान शिव को टॉयलेट में दिखाया। म्लेच्छों ने हमारे देवी देवताओ को लापता बताया। हमारे हिन्दू धर्म और पंडितो की खूब खिल्ली उड़ाई तब इस गद्दार को डर नहीं लगा और बड़े ही आनंद से इसे वाक् अभिव्यक्ति की आज़ादी कह कर सीना तान कर घूमता रहा।
क्या इस म्लेच्छ में हिम्मत है की ये हलाला, मुतवा विवाह, ४ बीबी और चालीस बच्चे, इस्लामिक जिहाद, इस्लामिक आतंकवाद, लौंडियाबाजी, अल्लाह और अपने मजहब के अन्य मुद्दों पर फिल्म बनाये, मित्रो ये कभी नहीं कर सकता।
सूत्रों के हवाले से ये अक्सर ही मिडिया में खबरे में दिखाई जाती हैं की ये जिहादी आमिर खान कुछ ऐसे संगठनों को फंडिंग करता है जो रत दिन हमारे देश में आतंकवाद को फ़ैलाने और व्यवस्था को अस्थिर करने में लगे रहते हैं। ये उस अटनाकि भगोड़े और देश के सबसे बड़े गद्दार दावूद इब्राहिम के जरखरीद गुलाम है।
याद रखिये जब इजराइल के प्रधानमंत्री श्री बेंजामिन येतन्याहु भारत आये थे तब बॉलीवुड के लोगो को भोज पे बुलाया गया था, परन्तु इसका बहिष्कार आमिर खान के साथ साथ शाहरुख खान, सलमान खान, सैफ अली खान इत्यादि जैसे सभी म्लेच्छों ने एक साथ किया था।
याद करिये किस प्रकार बड़े ही बेशर्मो की तरह ये अपनी बीबी के साथ तुर्की के राष्ट्रपति और उसकी बीबी से मिलने गया था, जबकि ये अच्छे तरिके से जानता था की, तुर्की का वर्तमान राष्ट्रपति एर्डोगेन किस प्रकार भारत को अपना दुश्मन मानता है और हमेशा पाकिस्तान की सहायता करता है। ये म्लेच्छ गद्दार उसके साथ अपनी फोटो भी प्रकाशित करवाता है।
परन्तु मित्रों जब से हम सनातन धर्मियों ने अपने शास्त्रों में दिए गए इस तथ्य को “प्रामाण्यबुद्धिर्वेदेषु साधनानामनेकता। उपास्यानामनियमः एतद् धर्मस्य लक्षणम्।। (वेदों में प्रमाणीकरण बुद्धि, साधना के रूप में विविधता, और पूजा के संबंध में नियमन का, यह केवल नियम ही नहीं बल्कि हमारे धर्म की विशेषताएं हैं) अंगीकार करना शुरू किया है, तब से इन म्लेच्छों का घमंड और दम्भ टूटता जा रहा है। कल तक जो लोग कहते थे “की आप हमारी फिल्मे मत देखो ” वो आज घड़ियाली आंसू बहाकर “हमारी फिल्मे देख लो” की विनती कर रहे हैं।
मित्रो हमारे धर्मिक पुस्तकों ने हमें सदैव ही सचेत किया और अपने धर्म के प्रति निष्ठावान होने के लिए सतर्क भी किया परन्तु ये हम ही हैं जो पाश्चात्य के गंदे नाले में गिर कर अपने यंहा की गंगा के पवित्र और निर्मल धारा को प्रदूषित समझ बैठे और जाने अनजाने में प्रदूषित कर बैठे, हमें पाश्चात्य सभ्यता की वासना में डूबी गंदगी को धारण करने से पूर्व उसकी विसंगतियों और दुष्प्रभाव के बारे में सोचना चाहिए था। हमारे शास्त्रों ने स्पष्ट कहा था कि :-
अविज्ञाय नरो धर्मं दुःखमायाति याति च।
मनुष्य जन्म साफल्यं केवलं धर्मसाधनम्।।
भावार्थ: जो अज्ञानी है, वही व्यक्ति धर्म को नहीं जानता, उसका जीवन व्यर्थ है और वह सदैव दुखी रहता है और जो धर्म के नियम का पालन करता है, वही व्यक्ति अपने जीवन को सफल बना सकता है। अपने जीवन को सुख और संपूर्णता के साथ जीता है। बस यही हमने करना शुरू कर दिया और आज सारी दुनिया हमारे कदमो में है।
मित्रों आज सच पूछिए तो ह्रदय को अत्यंत सुकून मिलता है जब इन घमंडी देशद्रोहियों की फिल्मे धड़ाधड़ सुपर फ्लॉप होती चली जा रही हैं और इन्हे इनकी औकात पता चल रही है। और ये सब एकजुटता का परिणाम है। हम हिन्दुओ ने जब से अपनी एकता की ताकत को पहचाना है, तब से सारी नकारात्मक शक्तियां (जैसे भूत, पिशाच, म्लेच्छ, बॉलीवुड के भांड, देश के गद्दार, भ्र्ष्टाचारी इत्यादि) बौखला से गए हैं और काम, साम, दाम, दंड और भेद का उपयोग करके हमें फिर से अपने षड्यंत्र के जाल में फ़साने की कोशिश कर रहे हैं, परन्तु हम इन्हे सफल नहीं होने देंगे।
मित्रों याद रखें यदि हमें एक सनातन धर्म से युक्त विशे गुरु की पदवी को धारण करने वाले भारतवर्ष की रचना करनी है, तो हमें बालयवस्था से ही अपने नौनिहालों को सनातन धर्म के रीती रिवाजो से जोड़ कर उनकी शिक्षा दीक्षा का प्रबंध करना होगा। मैकाले नामक अंग्रेज दानव के द्वारा प्रदत्त शिक्षा पद्धति केवल कुसंस्कारो का सृजन करती है। हमें अपने गुरुकुल वाली शिक्षा पद्धति का अनुसरण आधुनिकता के परिवेश में ढाल कर करना होगा। इसका संकेत तो स्वयं हमारे महात्माओं ने कुछ इस प्रकार दिया है:-
बाल्यादपि चरेत् धर्ममनित्यं खलु जीवितम्।
फलानामिव पक्कानां शश्वत् पतनतो भयम्।।
भावार्थ: सभी के लिए बचपन से ही धर्म का अभ्यास करना उचित है क्योंकि जीवन अधिक अस्थिर होता है और जब शरीर परिपक्व हो जाता है तो हम धर्म का अभ्यास नहीं कर सकते क्योंकि हमेशा पके फल गिरने का डर रहता है। जीवन के अंत समय में, धर्म का पालन करना कठिन है।
खैर आइये हम और आप उस म्लेच्छ आमिर खान की असफलता का आन्नद मनाये। स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव में हर्षोल्लाष से जयघोष करते हुए सम्मिलित हों और राष्ट्रध्वज और राष्ट्र का सम्मान करें। जय हिन्द।
Nagendra Pratap Singh (Advocate)