मित्रो आजकल भारत के प्रवर्तन निदेशालय (ED) के द्वारा Amway India नामक कम्पनी के उपर की गयी कार्यवाही की चर्चा और परिचर्चा जोरो पर है। भारत के प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने १०० से अधिक देशों में सौंदर्य और कल्याण उत्पादों को बेचने वाली अमेरिकन कंपनी की सहायक कम्पनी “एमवे इंडिया” (जो भारत मे व्यापार करती है) से संबंधित ७५० करोड़ रुपये की संपत्ति को अस्थायी रूप से संलग्न/जप्त किया है।
भारत के प्रवर्तन निदेशालय (ED) के द्वारा की गई मनी लॉन्ड्रिंग जांच से पता चला है कि एमवे डायरेक्ट सेलिंग मल्टी-लेवल मार्केटिंग (एमएलएम) नेटवर्क की आड़ में एक पिरामिड धोखाधड़ी चला रहा है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने आरोप लगाया कि “कंपनी का पूरा फोकस यह प्रचार करने पर है कि कंपनी का सदस्य बनकर कैसे अमीर बन सकते हैं। AMWAY India का उत्पादों पर कोई ध्यान नहीं है। उत्पादों का इस्तेमाल इस एमएलएम पिरामिड धोखाधड़ी को डायरेक्ट सेलिंग कंपनी के रूप में करने के लिए किया जाता है।”
मित्रों आइये पहले देखते हैं कि ये एमवे क्या है और यह कैसे काम करता है:-
एमवे स्वास्थ्य, पोषण, सौंदर्य और घरेलू देखभाल बाजारों में एफएमसीजी (FMCG) उत्पादों की एक अमेरिकन प्रत्यक्ष (Direct) विक्रेता (Selling) कंपनी है। इसने १९९५ में AMWAY India के नाम से AMWAY के एक सहायक कंपनी के रूप में अपने व्यापार का भारत में संचालन शुरू किया। कंपनी अपने उत्पादों को बेचने के लिए प्रत्यक्ष बिक्री (DIRECT SELL) और बहु-स्तरीय विपणन (MLM) मॉडल दोनों का उपयोग करती है।
बहु-स्तरीय विपणन योजना ( MULTI LEVEL MARKETING PLANNING) के माध्यम से, एमवे इंडिया नए वितरकों (Distributors) को अपने उत्पादों (Products) को खरीदने के लिए प्रेरित करता है और फिर लोगों को वितरकों के दूसरे स्तर के रूप में अपने नेटवर्क से जुड़ने के लिए प्रेरित करता है और यह सिलसिला जारी रहता है। इसको इस प्रकार से हम समझ सकते हैं। मान लीजिये जोसेफ कंपनी का पहले से एक वितरक है, वितरक बनने से पहले उसने कंपनी को निर्धारित राशि (रुपये ५०००/- या इससे ज्यादा का भुगतान किया है और बदले में उसे कंपनी का वितरक बनाया गया है और एक बैग के साथ कुछ सामग्री किट के रूप में उसे दिया गया है)। अब जोसेफ दो प्रकार से लाभ कमाने के लिए कंपनी के द्वारा प्रेरित किया जाता है (१) एक तो वो बगैर सोचे समझे कंपनी के ऊँचे दामों पर मिलने वाले उत्पादों को ख़रीदे तथा (२) वो अपने दोस्तों या रिश्तेदारों को कंपनी का सदस्य अर्थात वितरक बनाने के लिए प्रेरित करे। अब कंपनी का उत्पाद खरीदने पर जोसेफ को कोई फायदा नहीं होता क्योंकि उसके ख़रीदे हुए उत्पाद का पूरा लाभ कंपनी के वरिष्ठ वितरकों (जो उसकी चेन में उससे ऊपर आते हैं और उससे पहले कंपनी के वितरक बन चुके होते हैं) में बट जाता है।
परन्तु यदि जोसेफ अपने मित्र मोजेस या उस्मान को कंपनी का सदस्य/वितरक बनाता है तो यंहा पर मोजेस या उस्मान के द्वारा जो रुपये ५०००/- की राशि कंपनी को जमा की जाती है, वितरक बनाने के लिए उसमे से जोसेफ को कुछ हिस्सा (रुपये ५००/-) अवश्य मिलता है और इसी प्रकार अब जोसेफ वाली चेन में उसके निचे मोजेस या उस्मान आ जाते हैं और ये भी कंपनी के उत्पाद खरीदते हैं और फिर अपने निचे किसी को सदस्य बनाने के लिए अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के नाक में दम कर देते हैं और ये सिलसिला यूँ ही चलता रहता है और अंततः कंपनी कई वितरकों के साथ समाप्त हो जाती है। याद रखिये आप जितना उत्पाद खरीदते हैं उससे ज्यादातर कंपनी और आपकी चेन या पिरामिड में जो आपसे ऊपर स्थान पर विराजमान हैं उन्हें लाभ प्राप्त होता है, आपको लाभ तब मिलने लगता है जब आपके चेन में आपके निचे वाले वितरक उत्पाद खरीदते हैं या आपकी चेन को बढ़ाने लगते हैं नए नए सदस्य बनाकर।
एमवे में ‘स्वतंत्र व्यवसाय स्वामी’ (आईबीओ) के रूप में, आप केवल तभी पैसा कमाते हैं जब लोग आपके द्वारा उत्पाद खरीदते हैं, कीमत में मार्क-अप और बिक्री बोनस दोनों के माध्यम से यदि आप लक्ष्य हासिल करते हैं। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जब आप लोगों को अपने अधीन उत्पाद बेचने के लिए भर्ती करते हैं तो आप को केवल कुछ हिस्सा ही कमाई के रूप में प्राप्त होता है परन्तु यह वही प्रणाली है जहां वास्तव में कंपनी पैसा कमाती है, क्योंकि जैसा ऊपर यह तथ्याङ्कित किया जा चूका है की कंपनी का वितरक/ सदस्य बनने के लिए, सभी को पंजीकरण शुल्क का भुगतान करना होता है जो निश्चित रूप से कंपनी की प्रत्यक्ष आय है।
पृष्ठभूमि:- AMWAY India पर ये कोई प्रथम बार आपराधिक कार्यवाही नहीं की गयी है अपितु वर्ष २०१४ में, एमवे के भारत के सीईओ विलियम एस पिंकनी को धोखाधड़ी और अन्य वित्तीय धोखाधड़ी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था और आंध्र प्रदेश के कुरनूल में जेल में डाल दिया गया था। विलियम एस पिंकनी के विरुद्ध आईपीसी की धारा ४२० (धोखाधड़ी) और प्राइज चिट्स एंड मनी सर्कुलेशन स्कीम्स (बैनिंग) एक्ट १९७८ की धारा ३, ४, ५ और ६ के तहत आरोप तय किए गए थे। एक साल पहले २०१३ में, विलियम एस पिंकनी को कंपनी के उपाध्यक्ष और निदेशक संजय मल्होत्रा और मुख्य वित्तीय अधिकारी अंशु बुद्धिराजा के साथ वर्ष २०११ में की गयी शिकायत के संबंध में कथित रूप से अधिक मूल्य निर्धारण, उनके प्रत्यक्ष बिक्री नेटवर्क के सदस्यों को धोखा देने और अन्य वित्तीय धोखाधड़ी के अपराध लिए केरल पुलिस ने गिरफ्तार किया था। कोझीकोड जिले में एमवे उत्पादों की एक महिला डीलर ने एमवे पर कंपनी के उत्पादों में निवेश किए गए धन को वापस नहीं करने का आरोप लगाया था क्योंकि वह बहु-स्तरीय विपणन संरचना के माध्यम से इन्हें बेचने में विफल रही थी।
भारत सरकार द्वारा इनामी चिटों (Prize Chits) और धन परिचालन स्कीमों (Money circulation schemes) के सम्प्रवर्तन (Promotion) या संचालन (Conduct) पर पाबन्दी (Ban) लगाने के लिए और उससे संबंधित या उसके आनुषंगिक (Incidental) विषयों के लिए दिनांक १२ दिसंबर, १९७८ को एक अधिनियम लागू किया गया जिसे इनामी चिट और धन परिचालन स्कीम (पाबन्दी) अधिनियम, 1978 (Prize Chits and Money Circulation Schemes (Banning) Act, 1978) के नाम से जाना जाता है। इस अधिनियम के कुछ मुख्य प्रावधान निम्नलिखित हैं:
चलिए एक दृष्टि प्राइज चिट्स एंड मनी सर्कुलेशन स्कीम्स (बैनिंग) एक्ट १९७८ पर भी डालकर देखते हैं की आखिर ये क्या है?
इस अधिनियम की धारा २ (क) के अनुसार: इस अधिनियम में, जब तक कि (unless) सन्दर्भ (the context) से अन्यथा अपेक्षित (otherwise requires) न हो:“संविदाजात चिट” (conventional chit) से ऐसा संव्यवहार (Transaction)अभिप्रेत है चाहे वह चिट, चिट फण्ड, कुरी या किसी अन्य नाम से ज्ञात हो जिसके द्वारा या जिसके अधीन कोई ऐसा व्यक्ति, जो चिट के संचालन (CONDUCT) के लिए उत्तरदायी (Responsible) है, विनिर्दिष्ट संख्या (specified number) में व्यक्तियों के साथ कोई ऐसा करार(agreement) करता है कि उनमें से प्रत्येक व्यक्ति एक निश्चित अवधि के लिए कालिक किस्तों (periodical installments) के रूप में निश्चित धनराशि का (या उसके बदले में अनाज की निश्चित मात्रा) अभिदाय (subscribe) करेगा और ऐसा प्रत्येक अभिदाता (subscriber) अपनी बारी पर जिसे लाट या नीलाम या निविदा द्वारा या चिट करार में उपबन्धित अन्य रीति से अवधारित (determined) किया जाएगा, इनामी रकम पाने का हकदार होगा।
स्पष्टीकरण (Explanation)-इस खंड में इनामी रकम” से ऐसी रकम चाहे वह किसी भी नाम से ज्ञात हो, अभिप्रेत है जो सभी अभिदाताओं (subscriber) द्वारा प्रत्येक किस्त (installments) पर संदत्त या संदेय (paid or payable) कुल रकम में से,-
(i) सम्प्रवर्तक (Promoter) या प्रधान (Foreman) या अभिकर्ता (an agent) की हैसियत में की गई सेवा के लिए प्रभार के रूप में प्रभारित कमीशन (commission charged as service charges) की; और
(ii) अभिदाता (SUBSCRIBER ) को संदत्त (Paid) किए जा रहे अतिशेष के प्रतिफल (In consideration of the balance) के रूप में प्रत्येक किस्त के कुल अभिदायों (total subscriptions) में से किसी ऐसी धनराशि (Sum) की जिसे अभिदाता (SUBSCRIBER) छोड़ने (forego)के लिए सहमत है, कटौती करके आए;
इस अधिनियम की धारा २ (ख) के अनुसार: “धन” के अन्तर्गत चैक, पोस्टल आर्डर, मांगदेय ड्राफ्ट, तार द्वारा अन्तरण या मनीआर्डर भी सम्मिलित है;
इस अधिनियम की धारा २ (ग) के अनुसार: “धन परिचालन स्कीम (“money circulation scheme”)” से कोई ऐसी स्कीम, चाहे वह किसी भी नाम से ज्ञात हो, अभिप्रेत है जो सदस्यों को उस स्कीम में नामांकित (Enrollment of members) करने से सम्बन्धित या उसको लागू किसी घटना (Event) या आकस्मिकता (contingency relative ) पर, तुरन्त (quick) या सुलभ धन (easy money) उपार्जित करने के लिए या धन के संदाय (pay money) के किसी वचन (promise) के लिए प्रतिफल (Consideration ) के रूप में किसी धन (Money) या मूल्यवान वस्तु (valuable thing) की प्राप्ति के लिए है, चाहे ऐसा धन या वस्तु ऐसी स्कीम के सदस्यों के प्रवेश धन (entrance money of the members) या कालिक अभिदानों (periodical subscriptions) से प्राप्त हुई हो या नहीं;
इस अधिनियम की धारा २ (ङ) के अनुसार:- इनामी चिट (“Prize Chit”)” के अन्तर्गत कोई ऐसा संव्यवहार (transaction) या ठहराव (arrangement) भी है, चाहे वह किसी भी नाम से ज्ञात हो, जिसके अधीन कोई भी व्यक्ति (Person), सम्प्रवर्तक (Promoter), प्रधान (Foreman), अभिकर्ता (Agent) के रूप में या किसी अन्य हैसियत में एकमुश्त राशि (monies in one lump sum) में या अभिदायों (contributions) या अभिदानों (subscriptions) के रूप में किश्तों (installments) में या यूनिटों (sale of units), प्रमाणपत्रों या अन्य लिखतों (instruments) के विक्रय द्वारा या किसी अन्य रीति से या किसी बचत (savings), पारस्परिक फायदे (mutual benefit), प्रत्यय (thrift) या किसी अन्य स्कीम या ठहराव (arrangement), चाहे वह किसी भी नाम से ज्ञात हो, के लिए या उसके सम्बन्ध में सदस्यता फीस (membership fees) या प्रवेश फीस (admission fees) या की गई सेवा के लिए प्रभार (service charges) के रूप में धनराशि एकत्र करता है और इस प्रकार एकत्र की गई धनराशि का या उसके किसी भाग का या ऐसी धनराशि के विनिधान से या अन्य प्रयोग से प्रोद्भूत होने वाली आय (income accruing from investment) का निम्नलिखित सभी या किन्हीं प्रयोजनों (purposes) के लिए उपयोग करता है, अर्थात्-
(i) विनिर्दिष्ट संख्या में अभिदाताओं (specified number of subscribers) को जिनका अवधारण (determined) लाट, ड्रा या किसी अन्य रीति से किया जाए, कालिकतः (periodically) या अन्यथा नकद या वस्तु के रूप में इनाम या उपहार देना या प्रदान करना (prizes or gifts in cash or in kind), चाहे ऐसे इनाम या उपहार का प्राप्तिकर्ता (the recipient) ऐसी स्कीम या ठहराव (such scheme or arrangement) के सम्बन्ध में आगे कोई संदाय (further payment) करने के लिए दायी (under a liability) हो या नहीं;
(ii) ऐसी स्कीम या ठहराव की समाप्ति पर (on the termination of the scheme or arrangement) अथवा उसमें अनुबद्ध अवधि की समाप्ति पर (after the expiry of the period stipulated therein) या उसके पश्चात् अभिदाताओं (subscribers) या उनमें से ऐसे अभिदाताओं (subscribers)को जिन्होंने कोई इनाम या उपहार नहीं जीता है, एकत्र किए गए सम्पूर्ण अभिदान (subscriptions), अभिदाय (contributions) या अन्य धनराशि या उसका कोई भाग किसी बोनस, प्रीमियम, ब्याज या अन्य फायदे के, चाहे वह किसी भी नाम से ज्ञात हो, बिना या उसके सहित, वापस करना, किन्तु इसके अन्तर्गत संविदाजात चिट (conventional chit) नहीं है।
इस अंक में बस इतना ही शेष अगले अंक में जरूर देखेंगे हम लोग।