मित्रों प्रथम भाग में हमने AMWAY India कंपनी के व्यपारिक कार्यशैली और इनामी चिट और धन परिचालन स्कीम (पाबन्दी) अधिनियम, 1978 (Prize Chits and Money Circulation Schemes (Banning) Act, 1978 ) के कुछ प्रावधानों विशेषत: कुछ आवश्यक परिभाषाओं के बारे में चर्चा की, इस अंक में हम इस अधिनियम के कुछ अन्य प्रावधानों के सन्दर्भ में परिचर्चा करेंगे, जो निम्नवत हैं:-
इस अधिनियम की धारा ३ इनामी चिट और धन परिचालन स्कीम पर या उसमें सदस्यों के रूप में अपना नाम दर्ज कराने या उसमें भाग लेने पर पाबन्दी का प्रावधान करती है अर्थात “कोई भी व्यक्ति किसी इनामी चिट(Prize Chits) या धन परिचालन (Money Circulation) स्कीम का सम्प्रवर्तन (Promotion) या संचालन (Operation) नहीं करेगा या किसी ऐसी चिट या स्कीम के सदस्य (Member) के रूप में अपना नाम दर्ज नहीं कराएगा या उसमें अन्यथा भाग नहीं लेगा या ऐसी चिट या स्कीम के अनुसरण में कोई धन प्राप्त नहीं करेगा या प्रेषित नहीं करेगा।”
इस अधिनियम की धारा ४ के अंतर्गत धारा ३ के उपबन्धों (Provisions) के उल्लंघन (Violation) के लिए शास्ति (Punishment) का प्रावधान करती है, इस धारा के अनुसार “जो कोई भी इस अधिनयम के धारा 3 के अंतर्गत दिए गए प्रतिबंधात्मक उपबन्धों का उल्लंघन करेगा वह कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो पांच हजार रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से, दंड का भागी होगा”| इसके साथ यह भी प्रावधानित किया गया है कि “यदि किन्हीं प्रतिकूल विशेष (Specially adversarialy) और पर्याप्त कारणों (Sufficient reasons) के अभाव में जो न्यायालय के निर्णय में उल्लिखित (Outlined) किए जाएंगे, ऐसा कारावास एक वर्ष (not Less than One Year) से कम का नहीं होगा और ऐसा जुर्माना एक हजार रुपए (Not Less than Rupees One Thousand) से कम का नहीं होगा।
इसी प्रकार इस अधिनियम की धारा ५ इनामी चिट (Prize Chit) या धन परिचालन स्कीम (Money Circulation) से संबंधित अन्य अपराधों (Crimes) के लिए शास्ति (Punishment) का प्रावधान करता है। इसके अनुसार “जो कोई इस अधिनियम के उपबन्धों के उल्लंघन में किसी इनामी चिट या धन परिचालन स्कीम का सम्प्रवर्तन (Promotion) या संचालन (Operation)करने के उद्देश्य से या पूर्वोक्त रीति से सम्प्रवर्तित (Promoted) या संचालित (Operated ) किसी चिट या स्कीम के सम्बन्ध में-
(क) इनामी चिट या धन परिचालन स्कीम (Money Circulation Scheme) में प्रयोग के लिए कोई टिकट, कूपन या अन्य दस्तावेज (Document) का मुद्रण (Priniting) या प्रकाशन (Publication) करेगा; या (ख) इनामी चिट या धन परिचालन स्कीम के प्रयोग के लिए किसी टिकट, कूपन या अन्य दस्तावेज का विक्रय (Sale) या वितरण (Distribution) करेगा अथवा विक्रय या वितरण के लिए उसकी प्रस्थापना (Offer)करेगा या उसका विज्ञापन (Advirtisement) करेगा अथवा विक्रय या वितरण के प्रयोजन (Purpose)के लिए उसे अपने कब्जे (Possession) में रखेगा; या (ग) (i) इनामी चिट या धन परिचालन स्कीम के किसी विज्ञापन का; या (ii) इनामी चिट या धन परिचालन स्कीम के सदस्यों की किसी सूची (List) का, चाहे वह पूरी हो या नहीं; या (iii) इनामी चिट या धन परिचालन स्कीम की वर्णनात्मक (Descriptive) या उससे अन्यथा सम्बन्धित कोई ऐसी सामग्री का जो उस इनामी चिट या धन परिचालन स्कीम अथवा किसी अन्य इनामी चिट या धन परिचालन स्कीम में भाग लेने के लिए व्यक्तियों को उत्प्रेरित (Motivate) करने के लिए प्रकल्पित (Presumed) है, मुद्रण (Printing) करेगा, प्रकाशन (Publication) करेगा, या वितरण (Distribution)करेगा अथवा प्रकाशन या वितरण के प्रयोजन (Purpose) के लिए उसे अपने कब्जे (Possession) में रखेगा; या (घ) इनामी चिट या धन परिचालन स्कमी में अथवा ऐसी इनामी चिट या धन परिचालन स्कीम के किसी विज्ञापन (Advirtisement) में प्रयोग (Use) के लिए कोई टिकट, कूपन या अन्य दस्तावेज, विक्रय या वितरण के प्रयोजन के लिए लाएगा या उसे भेजने के लिए किसी व्यक्ति को आमंत्रित (Invite)करेगा; या (ङ) इनामी चिट या धन परिचालन स्कीम के सम्प्रवर्तन (Promotion) या संचालन (Operation) से संबंधित प्रयोजनों (Purposes) के लिए किसी स्थान का प्रयोग करेगा या किसी ऐसे स्थान का प्रयोग करवाएगा या जानबूझकर अनुज्ञात (Allow) करेगा; या (च) उपरोक्त कार्यों में से किसी कार्य को किसी व्यक्ति से करवाएगा या कराएगा अथवा कराने का प्रयत्न करेगा, तो वो व्यक्ति अधिकतम २ वर्ष के कारावास या अधिकतम तीन हजार रुपये के जुर्माने या फिर दोनों से दण्डित किया जायेगा। परन्तु किन्हीं प्रतिकूल विशेष और पर्याप्त कारणों के अभाव में जो न्यायालय के निर्णय में उल्लिखित किए जाएंगे, व्यक्ति को दिए गए कारावास का दंड एक वर्ष से कम का नहीं होगा और यदि जुरमाना है तो ऐसा जुर्माना एक हजार रुपए से कम का नहीं होगा।
अब तक हमने एक व्यक्ति के द्वारा किये जाने वाले अपराध और उससे सम्बन्धित दंड के बारे में चर्चा की, आइये देखते हैं जब कोई संगठन, कंपनी या समूह के द्वारा किये जाने वाले अपराध के सन्दर्भ में ये अधिनियम क्या प्रावधान करता है:- इस अधिनयम की धारा ६ कम्पनियों द्वारा किये जाने वाले अपराध के विषय में प्रावधान करता है जो निम्नवत है :-
(१) जहां इस अधिनियम के अधीन कोई अपराध कम्पनी द्वारा किया गया है वहां प्रत्येक व्यक्ति जो उस अपराध के किए जाने के समय उस कम्पनी के कारबार के संचालन (Operation of Business) के लिए उस कम्पनी का भारसाधक (Officer-In-Charge) और उसके प्रति उत्तरदायी (Responsible) था और साथ ही वह कम्पनी भी ऐसे अपराध के दोषी समझे जाएंगे और तद्नुसार अपने विरुद्ध कार्यवाही किए जाने और दण्डित किए जाने के भागी होंगे :
PROVIDED: इस उपधारा (धारा ६ उपधारा १) की कोई बात किसी ऐसे व्यक्ति को इस अधिनियम में उपबन्धित किसी दण्ड का भागी नहीं बनाएगी यदि वह यह साबित कर देता है कि अपराध उसकी जानकारी के बिना (Without his Knowledge) किया गया था या उसने ऐसे अपराध के किए जाने का निवारण (Redressal) करने के लिए सब सम्यक् तत्परता (Proper readiness) बरती थी।
(२) उपधारा (१) में किसी बात के होते हुए भी, जहां इस अधिनियम के अधीन कोई अपराध किसी कम्पनी द्वारा किया गया है तथा यह साबित होता है कि वह अपराध कम्पनी के किसी निदेशक (Director), प्रबन्धक(Manager), सचिव (Secretary) या अन्य अधिकारी की सहमति (Consent) या मौनानुकूलता (Connivance) से किया गया है या उस अपराध का किया जाना उसकी किसी उपेक्षा के कारण माना जा सकता है वहां ऐसा निदेशक, प्रबन्धक, सचिव या अन्य अधिकारी भी उस अपराध का दोषी समझा जाएगा और तद्नुसार अपने विरुद्ध कार्यवाही किए जाने और दण्डित किए जाने का भागी होगा।
तो इस प्रकार हम देखते हैं की धारा ३ और धारा ५ में दिए गए प्रावधानों का उलंघन कंपनी या किसी भागीदारी फर्म के द्वारा किया जाता है तो कंपनी या भागीदारी फर्म का प्रत्येक व्यक्ति जो उस अपराध के किये जाते वक्त कंपनी या भागीदारी फर्म के रोजमर्रा के कार्यो के लिए उत्तरदायी था, दंड का भागी होगा। यदि यह साबित हो जाता है की कंपनी या भागीदारी फर्म के द्वारा अपराध किये जाने के समय, उस अपराध के लिए कंपनी या भागीदारी फर्म के किसी निदेशक, प्रबंधक या सचिव या किसी अन्य अधिकारी की सहमति थी या मौन स्वीकृति थी या उसकी लापरवाही/उपेक्षा के कारण उस अपराध की घटना घटी तो वो भी दंड का भागी होगा।
अब तक हमने अपराध और उसके दंड के बारे में चर्चा की, आइये अब हम कार्यपालिका को प्रदत्त अधिकारों के बारे में जानने का प्रयास करते हैं| – इस अधिनयम की धारा ७ संदिग्ध स्थान में प्रवेश करने, स्थान या व्यक्ति विशेष की तलाशी लेने और प्राप्त दस्तावेजों तथा अन्य साजो समान के अभिग्रहण करने की शक्ति के संदर्भ में प्रावधान करते हुए स्पष्ट करती है की:-
(१) किसी पुलिस अधिकारी के लिए जो पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी (Officer In Charge) की पंक्ति से नीचे का न हो, यह विधिपूर्ण होगा कि वह,- किसी परिसर का प्रयोग किसी इनामी चिट या धन परिचालन स्कीम से संबंधित प्रयोजनों के लिए किया जा रहा है, ऐसी शिकायत मिलने पर या ऐसा संदेह होने पर या किसी प्रकार की विश्वसनीय जानकारी प्राप्त होने पर उक्त परिसर में (चाहे दिन हो या रात) प्रवेश कर सकता है, उक्त परिसर की तथा उस परिसर से जुड़े सभी व्यक्तियों की तलाशी ले सकता है तथा उस परिसर से प्राप्त सभी वस्तुओं और दस्तावेजों के साथ साथ सभी व्यक्तियों को अभिग्रहण (Custody) में ले सकता है।
उपधारा (२ ) के अनुसार “राज्य सरकार द्वारा इस निमित्त प्राधिकृत अधिकारी को वो सभी शक्तियां प्राप्त हैं जो उपधारा (१) के अनुसार एक पुलिस अधिकारी को प्राप्त है शिवाय व्यक्ति को Custody में लेने के।
उपधारा (३ ) के अनुसार इस धारा के अधीन सभी तलाशी दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 (1974 का 2) के उपबन्धों के अनुसार की जाएंगी।
इस अधिनयम की धारा ८ के अनुसार “जहां किसी समाचारपत्र या अन्य प्रकाशन में इस अधिनियम के उपबन्धों के उल्लघंन में सम्प्रवर्तित (Promoted) या संचालित (Operated) किसी इनामी चिट या धन परिचालन स्कीम से संबंधित कोई सामग्री है या उससे संबंधित कोई विज्ञापन है वहां राज्य सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, ऐसे समाचारपत्र की प्रत्येक प्रति को और ऐसे प्रकाशन की प्रत्येक प्रति को जिसमें ऐसी सामग्री या विज्ञापन है, राज्य सरकार को समपहृत (Confiscated) घोषित कर सकेगी।
इस अधिनियम की धारा ९ के अनुसार “अपराधों के विचारण की शक्ति “मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट” के न्यायालय से अवर किसी अन्य न्यायालय के पास नहीं होगी।
इस अधिनयम धारा १० के अनुसार “इस अधिनियम के अधीन दण्डनीय सभी अपराध संज्ञेय (Cognizable) होंगे।
इस अधिनियम की धारा ११ कुछ अपवादों के विषय में प्रावधान करती है।
अब इस प्रकार यदि हम AMWAY India के व्यापार करने की शैली को दृष्टिगत करे तो Enforcement Directorate (ED) की कार्यवाही उचित ही जान पड़ती है। अगले अंक में हम प्रवर्तन निदेशालय की कर्यवाही और Amway India के बचाव का विश्लेषण करेंगे।