Wednesday, April 17, 2024
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ओवैसी और नसिरुद्दीन शाह कि धमकी को हल्के में मत लेना

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Nagendra Pratap Singh
Nagendra Pratap Singhhttp://kanoonforall.com
An Advocate with 15+ years experience. A Social worker. Worked with WHO in its Intensive Pulse Polio immunisation movement at Uttar Pradesh and Bihar.

जी हाँ दोस्तों ये कड़वा पर अकाट्य सत्य है। जब इन जिहादियों के द्वारा दी गई धमकी को हमने “धर्म निर्पेक्षता” के एनक से देखने का दुस्साहस किया तब तब निरपराध हिन्दुओ का सामूहिक नरसंहार हुआ, उनकी माताओ और बहनो का पाशविक बलात्कार हुआ उनकी पत्नियों के कोख को चीरकर संसार मे आने को उत्सुक बच्चो को निकलकर, उन्हें हवा में उछालकर भाले को नोक से बेध दिया गया।

इतिहास साक्ष्य प्रस्तुत करते हुए हमें सावधान करता है और कहता कि याद करो
१:- जब अंग्रेज ईसाईयों ने तुर्की के इस्लामिक खलीफा को उखाड़ फेकने के लिए क्रुसेड किया तो भारत में बैठे अली भाईयो और अन्य इस्लामिक नेताओं ने मिलकर “खलिफत आंदोलन” का एलान कर दिया और इसमें मुसलिम तुष्टिकरण कि निति के कारण कान्ग्रेस ने भी साथ दिया। राष्ट्र के स्वतन्त्रता संग्राम से जुड़े कई बड़े और महान नेताओं ने खलीफत आंदोलन से दूर रहने कि आवाज़ उठाई पर मुसलिम तुष्टिकरण कि निति के आगे नतमस्तक हो गए पर इसका दुष्परिणाम निरपराध हिन्दुओ को उठाना पड़ा। इधर ईसाईयों ने तुर्की से ओटोमन साम्राज्य के आखिरी खलीफा को उखाड़ फेका और उधर भारत के केरल में मोपला मुसलमानो ने अपना असली जिहाद दिखाना शुरू किया और हजारों हिन्दुओ का कत्ल कर डाला, हजारों बच्चीयों के साथ सामूहिक बलात्कार किया, बूढ़ी बूढ़ी औरतों के साथ भी अपना मुँह काला कर उनका कत्ल कर दिया, उनकी सारी सम्पत्ति लूट ली और कॉन्ग्रेसी चुपचाप इस सामूहिक नरसंहार को देखते रहे। कॉन्ग्रेसीयो ने इन्हें हल्के में लिया और हजारों कि संख्या में हिन्दु खत्म कर दिए गए।

२:- जब मोहम्मद अली जिन्ना, जवाहर लाल नेहरू से हो रहे मतभेदों के कारण कान्ग्रेस को तोड़कर अलग पार्टी बनाने कि धमकी देते तो कॉन्ग्रेसी और अन्य कॉन्ग्रेसवादी इसे हल्के में लेते और आखिरकार जिन्ना ने पार्टी तोड़कर अपनी एक अलग पार्टी “मुसलिम लीग” बना ली। फिर जब मोहम्मद अली जिन्ना ने मुसलमानो को लेकर अलग दृष्टिकोण अपनाया तो एक बार फिर कॉन्ग्रेसी और अन्य कॉन्ग्रेसवादीयो ने इसे हल्के में लिया और इस कारण हिंदुओ ने भी इसे हल्के में लिया। आखिरकार जिन्ना ने मुस्लिमो के लिए अलग राष्ट्र कि माँग जोर शोर से उठा दी और अपनी हिस्सेदारी माँग ली, पर कॉन्ग्रेसी और अन्य कॉन्ग्रेसवादी और कॉन्ग्रेस पर भरोसा करने वाले हिन्दुओ ने इसे हल्के में ले लिया, परिणामस्वरुप मोहम्मद अली जिन्ना ने मुसलमानो कि ताकत दिखाने के लिए Direct Action Day कि घोषणा कर दी, मासूम बेचारे हिन्दू अभी भी इस आशा में थे कि कॉन्ग्रेसी और अन्य कॉन्ग्रेसवादी मिलकर उन्हें बचा लेंगे, कुछ नहीं होगा, पर परिणाम क्या निकला Direct Action Day पर मुसलिम लीग के शांतिदूतों ने हिन्दुओ को उनके घरों से खिचकर गली में ले जाकर काटना शुरू कर दिया, औरतों और बच्चीयों को सबके सामने सामूहिक बलात्कार का शिकार बनाया गया, बच्चे, बूढ़े, जवान, बीमार किसी को भी नहीं बख्शा गया और उन्हें गाजर मूली से भी भयानक तरीके से काटा गया। कॉन्ग्रेसी और अन्य कॉन्ग्रेसवादीयो के मुसलिम तुष्टिकरण का ये परिणाम था।

३:- जम्मू कश्मीर में जब पाक परस्त मुसलिम आतंकी वंहा के हिन्दुओ को कहते थे कि कश्मीर छोड़ कर चलें जाओ नहीं तो खत्म कर दिए जाओगे, तो वंहा के हिन्दू और तब कि सरकार इसे हल्के में लेते थे। आतंकी छोटे छोटे समूहों में हिन्दुओ के कत्ल कर अपने इरादों को दुनिया के सामने ला रहे थे पर तब भी वंहा के हिन्दुओ ने इसे हल्के में लिया। फिर पाकिस्तान कि सहायता से एक आतंकी ने जम्मू कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट नामक एक आतंकी समूह बनाया और खुले आम हिन्दुओ को जम्मू कश्मीर छोड़ कर चलें जाने कि धमकिया दी जाने लगी, उनकी औरतों और बच्चीयों को अगवा किया जाने लगा और इसके साथ हि हिन्दुओ का बड़े पैमाने पर कत्ले आमशुरू हो गया। कोढ में खाज तब हुआ जब केंद्र में विश्वनाथ प्रताप सिंह कि सरकार बनी और देश में पहली बार एक शांतिदूत को गृहमंत्री बनाया गया और फिर क्या था , कश्मीर के आतंकियों को मुँह मांगी मुराद मिल गई और वर्ष १९९० और १९९२ के मध्य करीब ४ लाख हिंदुओ को अपनी जन्मभूमि छोड़ कर भागना पड़ा, क्योंकि उनके इबादतगाहों से सीधे सीधे पैगाम आने लगा कि हिन्दुओ तुम अपनी बीबीयो, बच्चीयों और बहन बेटियों को छोड़कर चलें जाओ वरना अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहो और फिर दिया गया समाप्त होने पर घरो से खींच खींच कर काटा जाने लगा। क्रूरता का तांडव इतना था कि एक ट्यूशन पढ़ाने वाली शिक्षिका जो सही सलामत कश्मीर छोड़ कर निकल आयी थी, उसको कई कसमे वादे करके और ट्यूशन फीस देने के नाम पर उसका विश्वास जीतकर उसे पुन: उन हैवानों ने उसे बुलाया और जब वो मासूम वंहा पहुंची तो उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया और उसे जिंदा पेट से चिरकर दो भागो में काट दिया गया।

इतिहास के गर्भ में ऐसी कई तारीखे हैं जब ओवैसी और नसिरुद्दीन शाह जैसे जिहादियों ने धमकीया देनी शुरू कि और पूरी तैयारी कर लेने के पश्चात् हिंदुओ पर दरिंदो कि तरह धावा बोल दिया गया। हमें याद रखना चाहिए कि हमारे देश का बटवारा धर्म के नाम पर इन्हीं जिहादियों ने मोहम्मद अली जिन्ना के नेतृत्व में कराया था,परन्तु जिन लोगों ने मुस्लिम लीग को वोट दिया था वो सम्पूर्ण ” गजवा ए हिंद” करने के लिए आज भी ताक में बैठे हैं, क्योंकि आधा “गजवा ए हिंद” वो पाकिस्तान लेकर पहले हि कर चुके हैं।

आज एक बार फिर छोटा ओवैसी १५ मिनट पुलिस हटाने पर १०० करोड़ को सबक सिखाने कि धमकी देता है। आज सलमान खुर्शीद हिंदुओ को बोको हराम और ISIS के बराबर रखता है। आज वारिस पठान २० करोड़ मुसलमानो के साथ चढाई करने कि बात करता है। आज नसिरुद्दीन शाह मुसलमानो द्वारा गृह युद्ध छेड़ने कि धमकी देता है। आज बड़ा ओवैसी कभी यह कहते हुए धमकी देता है कि यदि मोदी और योगी चलें गए तो तुम्हें कौन बचायेगा, कभी अपनी हिस्सेदारी मांगता है तो कभी मुसलमानो के लिए आरक्षण कि माँग करता है।

उनके रसूल के ऊपर टिप्पड़ी करने पर स्वर्गीय कमलेश तिवारी को दो वर्ष के बाद उनके हि घर में दोस्त के भेष में घुसकर ये शांतिदूत बड़े शांतिपूर्ण ढंग से उनका गला काट देते हैं और गोली मार देते हैं। पर माता कौशल्या और माता सीता के ऊपर अश्लील टिप्पड़ी करने वाला अकबरउद्दीन ओवैसी आज भी जिंदा है और हिन्दुओ का लगातार अपमान करता रहता है।

स्वर्गिय् रिंकू शर्मा को दिल्ली के एक इलाके में केवल “जय श्रीराम” बोलने पर उन शांतिदूतों द्वारा कत्ल कर दिया जाता है, जिनकी मदद रिंकू शर्मा वक़्त बेवक्त करता रहता था यंहा तक कि एक हत्यारे कि बीबी को तो उसने अपने शरीर का खून भी दान में दिया था।

साथियों ये सब महज संयोग नहीं है, अपितु एक भयानक प्रयोग है, जो हमें हाल हि के दिनों में दिल्ली के दंगो में देखने को मिल गया और यही नहीं ये तो भला हो मोदी जी का जिन्होंने कैप्टन अमरिंदर सिंह के द्वारा दी गई रिपोर्ट पर भरोसा करके किसान क़ानून को रद्द कर दिया अन्यथा एक और प्रयोग का भयानक मंजर हमें देखने को मिलता।

धर्मसंसद में हमारे साधु संतो ने जो कुछ उपदेश दिया वो यूँ हि नहीं दिया अपितु आज से हम अपने शास्त्र और शस्त्र दोनों पर भरोसा नहीं करेंगे तो पारसियों, यहुदियों और रेड इंडियन्स कि तरह मिटा दिए जाएँगे। हमें शास्त्र और शस्त्र दोनों को अपनाना होगा और याद रखो मर्यादा #पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के हाथो में धनुष बाण, भगवान् श्रीकृष्ण के हाथो में सुदर्शन चक्र, परमेश्वर शिव के हाथो में त्रिशूल, भगवान् इंद्र के हाथो में वज्र, भगवान् बजरंगबली के हाथों में गदा यूँ हि नहीं दिखाई देता। ये सभी शास्त्रों के प्रकांड विद्वान् हैं परन्तु शस्त्र पर भी उतना हि भरोसा करते हैं। अहिंसा परमो धर्म:, धर्म हिंसा तथैव च! इसीलिए गीता अध्याय ४ श्लोक ७ और ८ में उपदेश देते हुए परमेश्वर कहते हैं “
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् ।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ॥॥

अर्थात :- मैं अवतार लेता हूं, मैं प्रकट होता हूं ,जब जब धर्म की हानि होती है, तब तब मैं आता हूं। जब जब अधर्म बढ़ता है तब तब मैं साकार रूप से लोगों के सम्मुख प्रकट होता हूं, सज्जन लोगों की रक्षा के लिए मै आता हूं, दुष्टों के विनाश करने के लिए मैं आता हूं, धर्म की स्थापना के लिए में आता हूं और युग युग में जन्म लेता हूं।

अब यंहा चर्खा चलाकार या तुष्टिकरण कि निति अपनाकर या अधर्मीयों के दुष्कृत्यों के प्रति आंखे मुदकर धर्म कि स्थापना नहीं कि जा सकती उसके लिए कभी धनुष बाण, कभी त्रिशूल, कभी गदा तो कभी सुदर्शन चक्र उठाकर और अधर्मीयों का सर्वनाश कर हि धर्म को स्थापित किया जा सकता है।

नागेंद्र प्रताप सिंह (अधिवक्ता)
[email protected]

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