Friday, March 29, 2024
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कांग्रेस या हिन्दू और हिंदुत्व को बदनाम करने वाला गिरोह

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Nagendra Pratap Singh
Nagendra Pratap Singhhttp://kanoonforall.com
An Advocate with 15+ years experience. A Social worker. Worked with WHO in its Intensive Pulse Polio immunisation movement at Uttar Pradesh and Bihar.

मित्रो आपको याद होगा कि कुछ वर्ष पूर्व हि  मुबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर श्री राकेश मरिया जी (जिनके हाथों में 26/11 के जघन्य और इंसानियत को शर्मसार कर देने वाले आतंकी हमले की जाँच कि बागडोर थी) कि एक किताब ‘लेट मी से इट नाउ’ नामक शीर्षक से प्रकाशित हुई थी। श्री राकेश मारिया जी ने अपनी किताब के द्वारा कई सनसनीखेज राजों पर से पर्दा हटाते हुए बताया कि पाकिस्तान और उसकी शह पर काम करने वाले आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने मुंबई हमले को हिंदू आतंक’ का रंग देने की कैसी और कितनी बड़ी और गहरी साजिश रची थी। लेकिन दुर्दांत पाकिस्तानी आतंकवादी अजमल कसाब के जिंदा पकड़े लिये जाने से उनकी साजिश नाकाम हो गई थी। श्री राकेश मरिया जी ने अपनी किताब में लिखा है, “यदि सब कुछ योजना के अनुसार होता, तो कसाब समीर चौधरी के रूप में मर जाता और मीडिया हमले के लिए ‘हिंदू आतंकवादियों’ को दोषी ठहराती।” पर दोस्तों मामला केवल इतना हि नहीं था, इस भयानक आतंकी घटना को “हिन्दू आतंकवाद” घोषित करने कि जितनी बड़ी साजिश उन पाकिस्तानी दैत्यों ने कि थी उतनी हि बड़ी साजिश हिंदुस्तान में बैठे गद्दारों ने कि थी।

और आपको बता दे ये मात्र संयोग नहीं था वरना वर्ष २००४ से हिंदुओ और उनके धर्मगुरुओं को बदनाम करने कि गंभीरता पूर्वक शुरू कि गई सोची समझी साजिश का प्रयोग था जो आजतक कायम है।

आप सोच रहे होंगे कैसे? चलिए हम बताते हैं।

१:- याद करिये वर्ष ११/११/२००४ का वो दिन जब कांची मठ के शंकराचार्य (श्री जयेंद्र सरस्वती जी जो कि हिन्दू धर्म के सबसे बड़े धर्मगुरुओ में से एक माने जाते है), उनको कांची मठ के मैनेजर की हत्या के झूठे केस में गिरफ्तार कर लिया जाता है। सनातन धर्म के अनुयायी खून का घूंट पीने को विवश हो जाते हैं। अन्तत: स्वामी श्री जयेंद्र सरस्वती जी को न्यायालय द्वारा पूर्ण सम्मान के साथ छोड़ दिया जाता है। परन्तु सनातन धर्म को बदनाम करने का षडयंत्र सफल हो जाता है, याद रखिये केंद्र में कांग्रेस सरकार थी।

२:- दिनांक १८/२/२००७ को समझौता एक्सप्रेस (दिल्ली से लाहौर) में विस्फोट होता है, करीब ६६ लोग मारे जाते हैं। घटना का जिम्मेदार आतंकी पकड़ लिया जाता है। यंहा तक कि अमेरिका कि खुफिया एजेंसी पूरे दस्तावेज के साथ ये साबित करती है कि इसमें लश्कर-ए-तोयबा जैसे आतंकी का हाथ है, परन्तु हिंदुस्तान में बैठे गद्दारों के तो मंसूबे हि कुछ और थे, इसलिए पक्के सबूत होने के पश्चात् भी उस पाकिस्तानी सुवर को छोड़ दिया गया और उसके बदले में अपने अजेंडे पर कार्य करते हुए, आरएसएस के स्वामी असीमानंद और सुनील जोशी को मुख्य अभियुक्त बनाया गया। परिणाम क्या निकला कोई सबूत ना होने के आधार पर स्वामी असीमानंद को सम्मान सहित स्वतन्त्र कर दिया गया NIA के न्यायालय के द्वारा। परन्तु हिन्दू को बदनाम करने का उनका षडयंत्र एक बार फिर सफल हो गया।

३:- दिनांक  २९/९/२००८ को नासिक के एक छोटे से कस्बे मालेगाव कि मक्का मस्जिद में विस्फोट हुआ और एक बार फिर असली गुनाहगारों को छोड़कर भारतीय सेना के वीर सपूत कर्नल श्रीकांत प्रसाद पुरोहित और साध्वी प्रज्ञा सिंह सहित कुल ७ लोगों को अभियुक्त बनाया गया। कर्नल श्रीकांत प्रसाद पुरोहित और साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर पर सभी अमानवीय अत्याचार किये गए। परन्तु आखिरकार ७-९ वर्ष जेल में बिताने के पश्चात उन्हें जमानत दे दी गई और उनके ऊपर से MCOCA और UAPA से सम्बंधित सारे आरोप खारीज कर दिए गए। सेना को अपने कर्नल पर भरोसा था इसलिए जेल से छूटते ही सेना ने वापस अपने शेर को मस्तक पर बैठा लिया और साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को जनता ने अपने माथे पर बिठाकर भोपाल का सांसद चुन लिया।

४:-फिर आया २६/११/२००८ का काला अध्याय। एक ओर पाकिस्तानी सुवर झुण्ड में भारत कि धरती को अपवित्र करने के लिए आ रहे थे, वंही दूसरी ओर भारत में बैठे गद्दार इसे “हिन्दू आतंकवाद” साबित करने के लिए कमर कस चुके थे। 

परन्तु दोस्तों जैसा कि आप जानते हैं, इस देश में गद्दारों कि जंहा कमी नहीं है वंही देशभक्तों कि भी कमी नहीं है और ऐसे हि मुंबई पुलिस के एक वीर देशभक्त योद्धा श्रीमान ओम्बाले ने अपने लकड़ी के पुलिसिया डंडे के बल पर AK-47 का मुकाबला किया और बिस २० से ज्यादा गोलियां खाने के पश्चात भी एक पाकिस्तानी सुवर अजमल कसाब को अपने मजबूत बाहुपाश में जकड़ लिया और तब जाके इस कायराना हमले कि साजिश का भन्डाफोड़ हुआ।

साथियों अभी जांच  पड़ताल चल हि रही थी कि देश में बैठे गद्दारों ने देश कि आर्थिक राजधानी मुंबई में हुए आतंकी हमले को RSS से जोड़ने में जुट गए थे।  उस समय कॉन्ग्रेस की ऐसी ही थ्योरी को आगे बढ़ाने वालों में एक नाम हिंदू विरोधी अजीज़ बर्नी (Aziz Burney) का था। बर्नी, उस समय रोजनामा राष्ट्रीय सहारा, बज़्म-ए-सहारा, आलामी सहारा जैसे सहारा प्रकाशनों के समूह संपादक था। उसने उस दौरान आरएसएस पर लग रहे आरोपों को साबित करने के लिए ‘26/11 RSS की साज़िश’ नाम से एक किताब प्रकाशित की थी। इस किताब को प्रमाणिकता दिलवाने के लिए कॉन्ग्रेस नेता दिग्विजय सिंह खुद इसका लोकार्पण करने एक नहीं बल्कि दो बार समारोह में पहुँचे थे। एक बार दिल्ली और दूसरी बार मुंबई में।

हिंदू विरोधी अजीज़ बर्नी (Aziz Burney) के  इस किताब में उसके उर्दू अखबार में प्रकाशित सैंकड़ों संपादकीय और लेख  थे जिसके द्वारा उसने हिन्दू धर्म और आरएसएस के विरुद्ध जम कर विषवमन किया था। इस किताब का अंग्रेजी नाम, “26/11: Biggest attack in India’s history” था।

 अपने लेखों में हिंदू विरोधी अजीज़ बर्नी (Aziz Burney) ने मुंबई हमले से पाकिस्तान को क्लिन चिट देते हुए लिखा था कि इस हमले में आईएस या लश्कर-ए-तैयबा नहीं, बल्कि आरएसएस के लोग शामिल थे, जिन्हें Mossad और CIA का समर्थन प्राप्त था।

और यही नहीं उसने अपनी इस किताब में भारतीय सेना को भी  इस आतंकी साजिश का  जिम्मेदार ठहरा दिया था। साल 2009 की शुरुआत में लिखे गए उस लेख में हिंदू विरोधी और देश विरोधी और साथ में हि सेना विरोधी अजीज़ बर्नी (Aziz Burney) का दावा था कि एटीएस चीफ हेमंत करकरे  को भारतीय सेना ने मारा। 

इस बुक की रिलीज में दिग्विजय सिंह ने महाराष्ट्र एटीएस चीफ हेमंत करकरे को लेकर एक झूठा बयान दिया था। उसने दावा किया था कि मुंबई में हुए आतंकी हमले में वीरगति प्राप्त होने से 2 घंटे पहले महाराष्ट्र एटीएस चीफ करकरे ने उन्हें फोन पर बताया था कि चूँकि वह मालेगाँव विस्फोट मामले की जाँच कर रहे हैं, इसलिए उन्हें हिंदूवादी संगठनों से धमकी मिली है और, इस तरह दिग्विजय ने मुंबई हमले को पाकिस्तान से जोड़े बिना सीधा हिन्दुओं व आरएसएस पर सारा इल्जाम मढ़ दिया था।

इस गद्दारों कि गद्दारी का सबसे बड़ा सबूत ये किताब थी और इसके विमोचन के अवसर पर राज्यसभा के तत्कालीन उपसभापति रहमान खान ने एक कदम आगे बढ़ते हुए कहा, ‘आरएसएस की साजिश 26/11′ केवल मुंबई घटना की ओर ही नहीं, बल्कि उस मानसिकता की ओर भी इशारा करती है जिस मानसिकता ने गांधीजी की हत्या की। वह मानसिकता आज भी बनी हुई है।’ 

अब आप स्वय इस तथ्य के बारे में सोच सकते हैं कि हिन्दू विरोध में शामिल इतने बड़े बड़े पदों पर बैठने वाले किस प्रकार अपने हि देश का विरोध कर रहे थे और यंहा तक कि गद्दारों कि गद्दारी भी शर्मिंदा थी इनके इस देशद्रोहिता पर।

26/11 हमले के दौरान मारे गए मुंबई एटीएस के प्रमुख हेमंत करकरे को लेकर दिग्विजय सिंह के द्वारा दिए गए बयान का खंडन करते हुए उनकी पत्नी श्रीमती कविता करकरे ने इसे  अपने पति की शहादत का मजाक उड़ाने वाला बताया। श्रीमती कविता करकरे ने कहा, ”ऐसे बयान लोगों को गुमराह करेंगे और इससे पाकिस्तान को फायदा होगा.”

मित्रों आपने डेविड हेडली का नाम तो सुना हि होगा, यह वहीं आतंकी, जो 26/11 को मुंबई में हुए आतंकी हमलों की प्लानिंग में शामिल था। डेविड हेडली मुंबई आता है और महेश भट्ट के बेटे के जिम में वर्क आउट करता है और उसी के साथ पूरे मुंबई में घूमता फिरता है, क्या इस सच्चाई से मुँह मोडा जा सकता है।

डेविड हेडली को 2009 में पाकिस्तान जाते हुए शिकागो के इंटरनेशनल एयरपोर्ट से गिरफ्तार कर लिया जाता है और मुंबई हमलों में भूमिका सिद्ध करने के लिये उस पर केस चलाया जाता है।  मुकदमे की गवाही के दौरान डेविड हेडली ने बताया कि मुंबई हमला पाकिस्तान की गुप्तचर संस्था इंटर सर्विसेज़ इंटेलीजेंस (ISI) ने प्रायोजित किया था। सरकारी गवाह बनाने के बाद हेडली ने अमेरिकी व भारतीय जांच अधिकारियों के साथ सहयोग किया।

उसकी गवाही के बाद आतंकी संगठन जमात-उद-दावा (JUD) के सरगना हाफिज मुहम्‍मद सईद का भी बयान सामने आया था। सईद ने ट्वीट कर कहा था कि ’26/11-आरएसएस की साजिश’ नॉवेल पढ़ रहा हूं, जो साबित करता है कि 26/11 हमलों से जेयूडी और आईएसआई का कुछ लेना-देना नहीं है।’ 

इसके पश्चात् मित्रों विक्लिक्स् नामक पत्रिका ने ये दावा किया और सबूत भी दिए कि दिनांक २० जुलाई २००९ को राहुल गाँधी ने अमेरिकी राजदूत से बात करते हुए, लश्कर-ए-तोयबा नामक अतंकवादी संघटन के सन्दर्भ में प्रश्न पर पूछने पर खा था कि” देश को लश्करतोयबा से ज्यादा खतरा अतिवादी हिन्दुओ से है

चिदम्बरम ने दिनांक २५/०८/२०१० को बयान दिया कि देश मे नौजवान लड़के लड़कियों को उग्र बनाने कि कोशिशो कि इजाजत नहीं दी जा सकती।“

सुशील कुमार शिंदे ने जहरीला बयान देते हुए दिनांक २०/०१/२०१३ को कहा कि जांच के बाद हमने पाया कि BJP और RSS अपने प्रशीक्षण शिविरों में हिन्दू आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे हैं।“

फिर दिग्विजय सिंह ने दिनांक २५/०७/२०१३ को बयान देते हुए कहा कि “आरएसएस बम बनाने का प्रशीक्षण देता है।” फिर इसी दिग्विजय सिंह ने २१/६/२०१७ को कहा कि” संघी आतंकवाद होता है, हिन्दू आतंकवाद कभी नहीं होता”।

फिर इनके नेता राहुल गाँधी का वो चर्चित बयान क्या आप भूल सकते हैं, जिसमें उसने कहा था कि “मंदिर में लोग लड़कियां छेड़ने जाते हैं”

अभी कुछ दिन पहले हि सलमान खुर्शीद ने अपनी किताब प्रकाशित करवाई और हिन्दू और हिंदुत्व को बोकोहराम और ISIS जैसे खूंखार आतंकी डकैत गिरोहों से जोड़ दिया और तो और राशिद साल्वी जैसा चम्मचतोड़ चमचे भी कहते हुए पाये गए कि “जय श्रीराम कहने वाले निशाचर होते हैं।”

तो ये हिन्दू और हिंदुत्व को बदनाम करने कि साजिश को अंजाम पूरे दम खम से दिया जा रहा है। बस हमें सावधान रहकर इन्हें उत्तर देने कि आवश्यकता है। 

Nagendra Pratap Singh (Advocate) [email protected]

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