Monday, November 4, 2024
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अंग्रेजो और अंग्रेज परस्तो कि जबरदस्त अंतराष्ट्रीय हार

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Nagendra Pratap Singh
Nagendra Pratap Singhhttp://kanoonforall.com
An Advocate with 15+ years experience. A Social worker. Worked with WHO in its Intensive Pulse Polio immunisation movement at Uttar Pradesh and Bihar.

जी हाँ मित्रों एक बार पुन: भारतीय बुद्धि, कौशल, ज्ञान और संस्कार के समक्ष अंग्रेज बुरी तरह परास्त हो गए और एक भारतीय के हाथों अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर उन्हें हार का कड़वा घूंट पीना हि पड़ा।

आप सोच रहे होंगे कि क्या भारतीय हॉकी या क्रिकेट टिम ने तो इन्हें पटकनी नहीं दी पर नहीं दोस्तों खेल के मैदान पर तो हम इन फिरंगीयों को कई बार उठा के पटक चुके हैं, पर अबकी बार अंतराष्ट्रीय न्यायालय के मुख्य न्यायधीश के पद को लेकर हुए चुनाव प्रक्रिया में आदरणीय नरेंद्र दामोदरदास मोदी जी कि भारतीय टिम ने अंग्रेजो कि महारानी एलिजाबेथ कि टिम को चारों खाने चित्त कर दिया।

हमारे देश के न्यायधीश श्री दलवीर भंडारी जी ने १९३ देशों के मतो में से १८३ देशों के मत हासिल कर अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय के मुख्य न्यायधीश का पद हासिल कर लिया और अंग्रजों को सदी कि सबसे शर्मनाक हार का मुँह देखने को विवश कर दिया।

(आपको बताते चलें कि न्यायमूर्ति भंडारी को भारत सरकार ने जनवरी 2012 में अपने आधिकारिक उम्मीदवार के रूप में नामित किया था। प्रधान मंत्री नियुक्त हुए जॉर्डन से पीठासीन अदालत के न्यायाधीश न्यायमूर्ति एवन शॉकत अल-खसवनेह के इस्तीफे के बाद पद रिक्त हुआ था। 27 अप्रैल 2012 को हुए चुनावों में, भंडारी ने अपने प्रतिद्वंद्वी फ्लोरेंटीनो फेलिसियानो के 58 के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र महासभा में 122 वोट प्राप्त किये, जिन्हें फिलिपीन्स सरकार ने नामित किया था।20 नवंबर 2017 को ब्रिटेन के नामांकित क्रिस्टोफर ग्रीनवुड द्वारा अपना नामांकन वापस लेने के बाद से वह दूसरे सत्र के लिए फिर से चुने गए।)

मित्रों जब भी हमारे मोदी जी या उनके मंत्रिमंडल के मंत्री या अधिकारी विदेशी दौरो पर जाते थे तो ये विपक्षी और तथाकथित अंग्रेजपरस्त और अंग्रेजियत के गुलाम छाती पीट पीट कर घड़ीयाली आंसू बहाकर शोर मचाते थे कि भारत के खजाने को लुटा रहे है पर सच ये मूर्ख मोदी जी के विदेश निति को कभी समझ हि नहीं पाये:-

ये समझ नहीं पाये कि आखिर मोदी जी ने कोरोंना काल में कोरोंना कि वेक्सिन पूरी दुनिया के देशों में खासकर छोटे छोटे देशों में क्यूँ पहुंचाई।

ये समझ नहीं पाये कि आखिर मोदी जी भूटान से लेकर उज्बेकिस्तान और सोमालिया से लेकर मंगोलिया तक कि यात्रा क्यों कर रहे थे। आखिर ब्राजील, मोरक्को, मेक्सिको, बुल्गारीया, केन्या, अर्जेंटिना, फ्रांस, OIC के मुसलिम देशों, अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया, फिलिपिंस, दक्षिण कोरिया, ईरान, रसिया, इजराइल, अल्जीरिया, अजरबेजान, जर्मनी, इटली इत्यादि एक दूसरे के विरोधी देशों से कैसे मधुर रिश्ते बना पाये।

मित्रों इसी विदेश निति का हि प्रभाव है कि आज इंग्लैंड के ७१ वर्षो के एकाधिकार को तोड़ते हुए बड़े हि राजाओं वाले अंदाज में हमारे श्री दलवीर भंडारी जी ने इंग्लैंड के Justice Christopher Greenwood को १०के मुकाबले १८३ मतो से पराजित कर अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय के मुख्य न्यायधीश के पद को हासिल किया और इससे एक बार फिर ये साबित हो गया कि भारतियों से बेहतर कोई नहीं।

इस चुनाव कि सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के कुल १५ सदस्य देशों में से १५ ने भारत के पक्ष में मतदान किया और इंग्लैंड के दावे को सिरे से नकार दिया।

वैसे बता दे कि अन्तरराष्‍ट्रीय न्यायालय, संयुक्त राष्ट्र का प्रधान न्यायिक अंग है और इस संघ के पाँच मुख्य अंगों में से एक है। इसकी स्थापना संयुक्त राष्ट्र संघ के घोषणा पत्र के अन्तर्गत हुई है। इसका उद्घाटन अधिवेशन 18 अप्रैल 1946 ई॰ को हुआ था। इस न्यायालय ने अन्तरराष्ट्रीय न्याय का स्थायी न्यायालय का स्थान ले लिया। न्यायालय हेग में स्थित है और इसका अधिवेशन छुट्टियों को छोड़ सदा चालू रहता है। न्यायालय के प्रशासन व्यय का भार संयुक्त राष्ट्र संघ पर है।

1980 तक अन्तरराष्ट्रीय समाज इस न्यायालय का अधिक प्रयोग नहीं करता था, पर जब से अधिक देशों ने, विशेषतः विकासशील देशों ने, न्यायालय का प्रयोग करना शुरू किया है।

आज भारत में बैठे अंग्रेजो और अंग्रेजी के गुलाम इस गौरव के पलों का आनंद नहीं ले सकते क्योंकि वे सदैव हीन भावना से ग्रस्त रहने वाले अंग्रेजियत के मारे हुए जीव हैं। वे आज भी अंग्रेजी बोलने वालों को हि पढ़ा लिखा और बुद्धिमान मानते हैं और अपनी राज भाषा या मातृ भाषा पर गर्व करने वालों को हिकारत कि दृष्टि से देखते हैं। ये अंग्रेजियत के गुलाम विदेशो से खासकर इंग्लैंड और् अमेरिका से प्राप्त कि जाने वाली दो कौड़ी कि डिग्रियों को हि अपना सबकुछ मानते है और बड़े गर्व से कहते हैं कि भईया हम तो हावर्ड या न्युयॉर्क या बरमिंघम विश्विद्यालय से पढ़ा लिखा हूँ, हम अंग्रेजी बोलता हूँ, भारत के विश्विद्यालय कि डिग्रियां हमारी डिग्री के सामने कुछ भी नहीं।

मूर्ख अंग्रेजियत के गुलाम इतना भी नहीं समझते कि यूरोप खासकर अमेरिका या इंग्लैंड में भी डिग्रियों के स्थान पर योग्यता को महत्व दिया जाता है।

और आज देखिये गूगल, ट्विटर, अमेजान, टेस्ला, इंस्टाग्राम, या दुनिया कि बड़ी से बड़ी कम्पनी का नाम लीजिये वंहा उनके महत्वपूर्ण पदों पर कोई ना कोई भारतीय अवश्य मिल जाएगा।

आज दुनिया का शायद हि कोई ऐसा देश होगा चिन और नापाक पाकिस्तान को छोड़कर जिसका भारत के साथ विश्वास का रिश्ता ना हो। दुनिया के ५६ मुसलिम देश हो या यूरोप के बड़े से बड़े और छोटे से छोटे देश या फिर अफ्रीका महाद्विप के देश सभी देशों के साथ भारत के अच्छे सम्बन्ध स्थापित हक चुके हैं।
अब आप ज़रा सोचिए जो व्यक्ति २ बार भारत का प्रधानमंत्री, ३ बार गुजरात का मुख्यमंत्री, ७ देशों के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार का विजेता, चैम्पियंस ऑफ चैम्पियन पुरस्कार का विजेता तथा दुनिया का सबसे लोकप्रिय नेता घोषित किया जा चुका हो, उस व्यक्ति कि विदेश निति कितनी बेमिशाल होगी।

एक समय था जब हमें अमेरिका आँखे दिखाता था और हम सहम कर पीछे हट जाते थे और अपने देश कि सुरक्षा के साथ समझौता कर लेते थे, परन्तु आज अमेरिका कि धमकी के बावजूद भी हमने ना केवल रुस के साथ S-400 जैसे सुरक्षा कवच का सौदा किया अपितु उसकी पहली यूनिट भारत लाने में सफल भी हो गए।

हमारी मातृ भूमि पर कब्जा कर भारत के खजाने को लूट ले जाने वाले अंग्रेज आज हमारे देश के सामने एक छोटे राज्य के बराबर भी नहीं। आज विदेश निति कि हि सफलता है कि अयोध्या मे प्रभु श्रीराम का मंदिर बनने से पहले सऊदी अरब में मंदिर का निर्माण हो गया।

वैसे दलवीर भंडारी जी को निम्न पुरस्कारो से नवाजा जा चुका है:-मई २०१६ में वर्धमान महावीर ओपन यूनिवर्सिटी, कोटा द्वारा डॉक्टर ऑफ़ लेटर्स डिग्री प्रदान कि गई। वर्ष २०१४ में, भारत के राष्ट्रपति ने श्री दलवीर भंडारी जी को भारत में तीसरा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण, प्रदान किया। श्री भंडारी जी को उत्तरी पश्चिमी विश्वविद्यालय लॉ स्कूल, शिकागो, संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा, अपनी 150 साल (1859 -2009) की सालगिरह समारोह में, अपने 16 सबसे प्रतिष्ठित पूर्व छात्रों में से एक मनाते हुए चुना। टुमकुर विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टर ऑफ लॉ (एलएलडी) डिग्री प्रदान कि गई।

तो मित्रों याद रखो अब अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय के मुख्य न्यायधिश श्री दलवीर भंडारी जी हैं और ये पूरे ९ वर्ष इस पद पर बने रहेंगे। आइये हम इस महान पल पर खुशियां मनाये और अंग्रेजपरस्तो को मिठाईया खिलाये।

भारत माता कि जय, वन्देमातरम, जयहिंद।
Nagendra Pratap Singh(Advocate)
[email protected]

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