हिंडौनसिटी (करौली)। डिजिटल इंडिया के दौर में भी विध्यालय जर्जर स्थिति में है यह सब सरकारों की राजनीति और भ्रष्ट अधिकारियो का कारनामा है। कमरा है लेकिन ऊपर छत नही है बच्चे खुले आसमान के नीचे बैठने को मजबूर है। पंचायती समिति हिंडौन के गांव कालाखाना (नाई का पूठ) का राजकिय प्राथमिक विध्यालय बुरी हालात मे पडा है कमरा है लेकिन ऊपर से छत गायब है।
बच्चों के माता पिता को भय रहता है कही किसी दिन छत उनके बच्चों पर ना गिर जाये, इस कारण माता पिता अपने बच्चों को विध्यालय भेजने से कतराते है छत पहले से गिरी हुई है और बाकि जर्जर कमरों की छत गिरने का भय हमेशा बना रहता है। विध्यालय मे 35 से 40 नामांकन है बची हुई छत कब गिर जाये पता नही। बच्चे भगवान भरोसे अपनी जान जोखिम मे डालने जा रहे है। सरकार और अधिकारियो द्वारा बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ महंगा पड़ सकता है। ऐसा नही है की किसी अधिकारी को पता नही है, सबको अवगत भी करा दिया गया है लेकिन विध्यालय के नाम पर उनका बजट जीरो बोलते है। बजट को सरकार खा जाती या अधिकारी खा जाते है पता नही? लेकिन बच्चों के भविष्य के साथ ऐसा मजाक कहा तक उचित है? ऐसे में बच्चों को खुले आसमान के नीचे शिक्षा देना शिक्षकों की मजबूरी है।
मुख्यमंत्री को भी किया ईमेल-
समाजिक कार्यकर्ता नेमिचंद मीना ने बताया की विध्यालय की स्थिति के बारे मे मुख्यमंत्री को ईमेल भेजकर अवगत कराया गया है लेकिन उनके तरफ से अभी तक कोई जवाब नही आया है।
बजट नही है-
सामजिक कार्यकर्ता नेमी चंद मीना ने विध्यालय की स्थिति के बारे में जिला कलेक्टर व जिला शिक्षा अधिकारी को भी ज्ञापन देकर व फ़ोन के माध्यम से भी कई बार अवगत करा दिया गया है लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी का कहना है की उनसे पास बजट नही है।
घटना का जिम्मेदार कौन-
टूटी-फूटी छतों के गिरने से अगर कोई घटना घट जाती है तो ऐसे में बच्चों के साथ होने वाली घटना की जिम्मेदारी कौन लेगा? शिक्षा मंत्री, जिला कलेक्टर या मुख्यमंत्री!