Tuesday, November 5, 2024
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भारत की कूटनीति और सामरिक नीति- दो पाटन के बीच

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Prof (Dr) Ratnesh Dwivedi is a Seasoned and Award Winning Media Academician,Author,Journalist,NASA Certified Educator,Interdisciplinary Scientist,Award Winning Security,Intelligence and Defense Expert,Peace Prize Winner and Board Member with 20+ years in teaching and corporate and is best termed as Interdisciplinary Scientist. Prof Dwivedi is awarded seven certifications from NASA and have attended a 3 credit course in which his son Ratnanshu Dwivedi was an Active Respondent at age of 7 years. He conducts its Essay Contest in India since 2012.He is widely published Author in interdisciplinary area with 25 Books to his credit and 36 Paper publications and presentations across globe with 30000+ downloads,which itself is a record. He holds membership with a dozen Globally Reputed Research Organizations such as Lifeboat Foundation,USA,American Astronomical Society,USA and AusieHem,Australia. He is on reviewer’s panel of ECREA,Brussels and AITNER,Greece and serves on Advisory Board with more than two dozen global firms. Prof (Dr) Ratnesh Dwivedi is an Award Winning Academic by Russian Communication Association,Moscow, Globally recognized Journalist & Writer for Russian International Affairs Council,Moscow & Global Ethics Network,Carnegie Council,Washington, Interdisciplinary Scientist,NASA Trained Educator & Scientist with Seven Certifications,Adviorsy Borad member with Three Dozen Research organizations and firms,Awarded Intelligence Officer,Terrorism Expert & Defense Expert by OSI Intelligence,USA and Peace Prize Winner by Center for Peace Studies,Colombo. He is Chancellor of Yesbud University's India Campus which is Head Quartered in Lusaka,Zambia and is also Prof & Dean-Academics. Prof Dwivedi is CEO of Belgium based firm E-NIce Center and a Defense & Security firm Idronewall based in Peru which has 30000 personnel on its roll. He is Director-TNM with Global Institute for IT Management,NY,USA and ESJ-Paris set up in 1899.He serves as Country Head with AEJ, USA and is Partner with Pro Energy Trade Inc USA.He is also Asset Manager with globally reputed finance company Equiti.com headquartered in Jordan,Dubai and London. He is Expert Writer with RIAC,Russia & Global Ethics Network,USA. He is Country Director/Professor/Sec,Intel & Def Expert with OSI Intelligence, an Israel & USA based Intelligence agency and works along Central Intelligence Agency,C.I.A. He is Founder of a Research Consultancy firm Global Advisers & Consultants Corporation which has network in 34 countries. He carries five curated e-newspapers daily.

भारत की सामरिक नीति और कूटनीति जो अभी तक रक्षात्मक रही है प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल से वह धीरे धीरे आक्रामक होती जा रही है। भारत के एक ओर जहां पाकिस्तान है वहीं दूसरी ओर चीन है ऐसे में उसकी स्थिति दो पाटन के बीच वाली है। जहां एक और उसे पाकिस्तान चोट पहुंचाने की कोशिश करता है वहीं दूसरी ओर चीन भी भारत के हितों पर सामरिक, कूटनीतिक, आर्थिक और राजनीतिक हमले करता रहा है ।ऐसे में यह विश्लेषण करना जरूरी है की रक्षात्मक होने के फायदे क्या हैं और आक्रामक होने के फायदे क्या है। जब पुलवामा में और पठानकोट में हमले हुए और सेना के जवान शहीद हुए तो भारत ने तुरंत कार्यवाही करते हुए पाकिस्तान के आतंकवाद के अड्डों को सीमा के उस पार जाकर तहस-नहस किया। पहले एक कमांडो कार्यवाही में और फिर एक एयर स्ट्राइक में।

उसी तरह जब चीन ने लद्दाख में गलवान घाटी में पिछले 1 साल से भारतीय सेना के सामने एक चुनौती पेश की तो भारत ने उसका बड़े ही आक्रामक तौर से जवाब दिया। पिछले 70 सालों में जो सामरिक और कूटनीतिक रक्षात्मक रही जिसमें नो फर्स्ट अटैक की शैली अपनाई गई उसको तो बरकरार रखा गया लेकिन साथ में अटैक की स्थिति में अटैक की शैली अपनाई गई।पुलवामा में हुए हमलों के बाद जिस तरह आतंकवाद के अड्डों को तहस-नहस किया गया उससे दुनिया को यह संदेश गया कि भारत चुप बैठने वालों में नहीं है। चीन के साथ हुए 1 साल के लंबे स्टैंड ऑफ में भारत कहीं से भी पराजित नहीं हुआ और उसने चीन को मुंहतोड़ जवाब दिया। साथ ही कूटनीतिक स्तर पर विश्व बिरादरी से यह समर्थन भी हासिल किया गलती चीन की थी और भारत ने अपनी सीमाओं का सिर्फ बचाव किया।भारत की सामरिक जीत होने के साथ-साथ कूटनीतिक जीत भी हुई।इसी तरह पठानकोट और पुलवामा में हुए हमलों के बाद जब भारत ने सीमा के उस पार आतंकवादी अड्डों को तहस-नहस किया तो साथ में यह समझाने में कामयाब रहा की पाकिस्तान आतंकवादियों को प्रश्रय देने वाला देश है और गाहे-बगाहे  भारत को नुकसान पहुंचाता रहता है इसलिए कार्यवाही जरूरी थी।

साल भर चले चीन के साथ लंबे स्टैंड ऑफ में करीब 11 से 12 दौर की बातचीत हुई जिसमें विदेश मंत्री जयशंकर के अलावा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और उनके चीनी काउंटरपार्ट शामिल रहे। सितंबर 2020 में जब चीन के विदेश मंत्री भारत के विदेश मंत्री से शंघाई कारपोरेशन ऑर्गनाइजेशन के साइड लाइन में मिले तो दोनों के बीच बड़ी ही लंबी बातचीत हुई जिसमें चीनी विदेश मंत्री ने यह कहा था कि चाइना और भारत के लिए विचारों में अंतर हो सकता है लेकिन दोनों बहुत बड़े देश हैं और साथ ही पड़ोसी हैं इसलिए दोनों को साथ मिलकर चलना चाहिए। दोनों देश बड़ी तेजी से आगे चल रहे हैं और ऐसे में जब स्थिति तनावपूर्ण है तो यह जरूरी है कि दोनों देश अपने रिश्तो में स्थिरता रखें, आपसी विश्वास बनाए रखें। भारत और चीन के रिश्ते एक चौराहे पर थे और जब तक दोनों सही दिशा में चलते रहेंगे हम इन मुश्किल स्थितियों से उबर जाएंगे। चीन और भारत के बीच स्थितियों में तनाव उस समय शुरू हुआ जब गलवान्न वैली में हिंसक झड़पें हुई और भारत के 20 सैनिक मारे गए बाद में चीन ने अपने स्टेट मीडिया को यह बताया उसके भी 4 सैनिक मारे गए हैं। हालांकि रूसी समाचार एजेंसी ताश के मुताबिक चीन के 45 सैनिक मारे गए थे। अब जबकि दोनों सेनाएं विशेषकर चीन की सेना अपने सभी स्थाई और अस्थाई निर्माण नष्ट करके सीमा रेखाओं से पीछे चली गई है यह भारत की सामरिक और कूटनीतिक जीत के रूप में देखा जा सकता है। भारत के पास एक ऐसा बेहतरीन विदेश मंत्री है जो ना सिर्फ करोना काल में अपने देश के तमाम नागरिकों को सुरक्षित भारत वापस लाने के लिए सराहे गए बल्कि अब जब वैक्सीन आ चुकी है वह प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में संपूर्ण दुनिया को टीके उपलब्ध करा रहे हैं ।चीन के मामले में भी उन्होंने कूटनीतिक जीत हासिल की है।

यहां यह ध्यान देना जरूरी है जब सुश्री सुषमा स्वराज विदेश मंत्री थी तो हमारे विदेश मंत्री उनके मातहत थे। वह भारतीय विदेश सेवा के एक चुनिंदा,वरिष्ठ और बहुत ही काबिल अफसर है और विदेश मंत्री के रूप में उन्होंने भारत का पक्ष हर जगह बड़ी मजबूती से रखा है और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत को कूटनीतिक विजय दिलाई है ।दूसरी ओर हाल ही में पाकिस्तान के एक आतंकवादी संगठन जैस – उल – हिंद ने जम्मू और कश्मीर के सभी सरपंचों को जान से मारने की धमकी दी थी और उसके बाद भारत के सबसे बड़े बिजनेसमैन मुकेश अंबानी के घर के सामने विस्फोटकों से लदी एक जीप पाई गई जिसमें भी जैस – उल – हिंद का हाथ था यह सभी आतंकवादी गतिविधियां पाकिस्तान में पनपे और वही से नियंत्रित किए जा रहे आतंकवादी संगठन कर रहे हैं।जैश उल हिंद  ने एक चिट्ठी और जारी की है जिसे एबीपी न्यूज़ की उसी संवाददाता ने अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया है,जिससे मैं अयोध्या में मिला था और जिसका नाम आस्था कौशिक है।

यह चिट्ठी एक बार फिर मुझे सोचने पर विवश करती है कि क्या भारत और भारत वासी किसी संभावित खतरे के मुहाने पर हैं। क्योंकि यह बात तो तय है कि हमारी सुरक्षा व्यवस्था, सुरक्षा एजेंसियों, डिफेंस एस्टेब्लिश मेट,और सरकारी कार्यालयों पर साइबर अटैक के साथ ही साथ सीमाओं के उस तरफ से फिजिकल अटैक की तैयारी भी चलती रहती है और देश के अंदर से इन्हें देश में ही चल रही स्लीपर सेल्स मदद देती हैं। स्लीपर सेल्स वह होती हैं जिनके सदस्यों का संबंध और संपर्क देश के बाहर बैठे इनके हैंडलर से रहता है। वह ज्यादातर हम जैसे होते हैं, हमारे समाज में होते हैं, हमारे मित्र भी हो सकते हैं और हमारे पड़ोसी भी हो सकते हैं, वह हमें बाजार में भी मिलते हैं, वह हमें दुकानों पर भी मिलते हैं, वह भीड़ भरे रास्तों और चौराहों पर हमें मिलते हैं, लेकिन हम उन्हें पहचान नहीं पाते। यह एक्शन में तब आते हैं जब इनके हैंडलर्स इन्हें आदेश करते हैं कि अब रास्ता साफ है सुरक्षा व्यवस्था थोड़ी ढीली है, अब आप अपना काम कीजिए। आस्था कौशिक ने जो चिट्ठी अपने ट्विटर हैंडल से पोस्ट की है वह मेरी इस बात की तस्दीक करती है।

उस चिट्ठी का हिंदी तर्जुमा मैं यहां आपके लिए लिख रहा हूं। अंग्रेजी में लिखी इस चिट्ठी का शीर्षक है “अंबानी के घर आतंक” आगे चिट्ठी कहती है, “खुदा की मर्जी से जिस भाई ने अंबानी के घर के सामने एसयूवी रखी थी वह सुरक्षित घर पहुंच गया है। यह एक ट्रेलर था और बड़ी तस्वीर अभी बाकी है। आप सोच रहे होंगे हम कौन हैं? हम वही अखलाक है जिसका आपने गाय के लिए कत्ल कर दिया। हम वही लोग हैं जिन्हें दिल्ली में आप ने मार दिया। हम वह बहने हैं जिनका आपने गुजरात में बलात्कार किया। हम आप के सबसे खतरनाक सपने हैं। हम आपके पड़ोसी हो सकते हैं, हम आप के दफ्तर में काम कर रहे होते हैं, सड़कों पर हम एक सामान्य आदमी की तरह आप के बगल से निकलते हैं, और आप हमें पहचान नहीं पाते। अभी आप जिस भिखारी को भीख देते हुए गुजरे वह हम हो सकते हैं, हम सब जगह हैं। हमें व्यवसाई दलालों और वैश्याओं से नफरत है जो बीजेपी और आरएसएस के हाथों बिक चुके हैं। हम एजेंसियों को चुनौती देते हैं अगर उन में दम है तो हमें रोक ले। आप हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकते। जब हमने आपकी नाक के नीचे दिल्ली में आतंक फैलाया, आप हमारा कुछ नहीं कर पाए। आपने इजरायली खुफिया विभाग से समझौता किया लेकिन आप तब भी हमारा कुछ नहीं कर पाए। हम आपको फिर नाको चने चबाएंगे और धूल चटाएंगे, क्योंकि अल्लाह की यही मर्जी है। नीता अंबानी और मुकेश अंबानी भैया भाभी अगली बार आपने हमारी मांगे नहीं मानी तो हमारी एसयूवी आपके मोटे से लड़के की कार को रौंद सकती है।”

यह चिट्ठी उस बात की तस्दीक करती है जिसका मुझे अंदेशा है कि भारत में अभी भी सैकड़ों स्लीपर सेल्स काम कर रही हैं और अपने हैंडलर्स के एक इशारे पर वह कुछ भी कर गुजरने की क्षमता रखते हैं। ऐसे में जरूरत इस बात की है कि हमारी वर्तमान सुरक्षा एजेंसियों में काम कर रही वर्कफोर्स, उपकरणों, हथियारों,कंप्यूटर प्रणाली, हमारे पैरामिलिट्री फोर्सेस को जरूरत पड़े तो अद्यतन किया जाए। उनका मनोबल बढ़ाया जाए, और उन्हें सुसज्जित किया जाए। हमें उस हर एक लड़ाई से लड़ने के लिए अभी से कमर कसनी पड़ेगी जिसकी चुनौती यह 2 चिट्ठियां दे रही है, क्योंकि अगर हम आज तक सुरक्षित हैं तो यह इस बात की गवाही देता है कि हमारी राजनैतिक इच्छाशक्ति जो प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने और उनके सरकार के सभी अंगों ने, उनके अधिकारियों ने और शीर्ष पर बैठे निर्णायक या निर्णय लेने वाले तत्वों ने हमें सुरक्षित रखा है, और इसके लिए हमें उनका धन्यवाद देना चाहिए।

लेकिन अगर हम आज तक सुरक्षित हैं तो इसका यह मतलब यह कतई नहीं लगाना चाहिए कि हमें अपनी सुरक्षा में कोई बढ़ोतरी नहीं करनी चाहिए, उसको चाक-चौबंद नहीं करना चाहिए, उसको अपडेट नहीं करना चाहिए और उसको अद्यतन नहीं करना चाहिए ।इन सभी चीजों की तत्काल जरूरत है। इसमें साइबरसिक्योरिटी से लेकर हमारे सेटेलाइट मॉनिटरिंग सिस्टम, हमारी फिजिकल सिक्योरिटी, हमारे पैरामिलिट्री फोर्स, हमारी पुलिस फोर्स, हमारी मिलिट्री उसमें काम कर रहे निचले पायदान से लेकर शीर्ष तक बैठे सभी कर्मचारी, अधिकारी और निर्णय लेने वाले अधिकारी इन सभी को अद्यतन होना पड़ेगा, ट्रेनिंग लेनी पड़ेगी और हर एक कमजोर कड़ी को तलाशना पड़ेगा जो किसी भी चूक का जनक हो सकता है। तभी जो आज तक सुरक्षा सुनिश्चित हुई है वह आगे सुनिश्चित होगी। साथ ही जरूरत इस बात की है कि उस नेटवर्क को तोड़ा जाए जिसमें स्लीपर सेल का संपर्क हैंडलर से होता है। और स्लीपर सेल के उन सदस्यों को चिन्हित किया जाए जो हमारे समाज के हर एक हिस्से में ठीक उसी तरह बैठे हैं जैसे ऊपर वर्णन किया गया है। और साथ ही आतंक के आकाओं को जरूरत पड़े तो जिस तरह पूर्वर्ती कार्यवाही की गई उसी तरह की और कार्यवाही की जाए। तभी भारत और भारत के लोग चैन की नींद सो सकेंगे और एक मजबूत देश के रूप में उभर सकेंगे।

साथ ही भारत ने रक्षात्मक से आक्रामक नीति अपनी कूटनीति और सामरिक नीति में जो अपनाई है उसे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री डॉक्टर जयशंकर, गृह मंत्री अमित शाह और इन सबके ऊपर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में निरंतर उसी क्रम में बनाए रखना जरूरी है और तभी संभव है कि भारत की सुरक्षा व्यवस्था को कोई खतरा उत्पन्न ना हो और भारत हर उस चुनौती का जवाब पूरी मजबूती से दे जैसे कि वह दे रहा है।

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Prof (Dr) Ratnesh Dwivedi is a Seasoned and Award Winning Media Academician,Author,Journalist,NASA Certified Educator,Interdisciplinary Scientist,Award Winning Security,Intelligence and Defense Expert,Peace Prize Winner and Board Member with 20+ years in teaching and corporate and is best termed as Interdisciplinary Scientist. Prof Dwivedi is awarded seven certifications from NASA and have attended a 3 credit course in which his son Ratnanshu Dwivedi was an Active Respondent at age of 7 years. He conducts its Essay Contest in India since 2012.He is widely published Author in interdisciplinary area with 25 Books to his credit and 36 Paper publications and presentations across globe with 30000+ downloads,which itself is a record. He holds membership with a dozen Globally Reputed Research Organizations such as Lifeboat Foundation,USA,American Astronomical Society,USA and AusieHem,Australia. He is on reviewer’s panel of ECREA,Brussels and AITNER,Greece and serves on Advisory Board with more than two dozen global firms. Prof (Dr) Ratnesh Dwivedi is an Award Winning Academic by Russian Communication Association,Moscow, Globally recognized Journalist & Writer for Russian International Affairs Council,Moscow & Global Ethics Network,Carnegie Council,Washington, Interdisciplinary Scientist,NASA Trained Educator & Scientist with Seven Certifications,Adviorsy Borad member with Three Dozen Research organizations and firms,Awarded Intelligence Officer,Terrorism Expert & Defense Expert by OSI Intelligence,USA and Peace Prize Winner by Center for Peace Studies,Colombo. He is Chancellor of Yesbud University's India Campus which is Head Quartered in Lusaka,Zambia and is also Prof & Dean-Academics. Prof Dwivedi is CEO of Belgium based firm E-NIce Center and a Defense & Security firm Idronewall based in Peru which has 30000 personnel on its roll. He is Director-TNM with Global Institute for IT Management,NY,USA and ESJ-Paris set up in 1899.He serves as Country Head with AEJ, USA and is Partner with Pro Energy Trade Inc USA.He is also Asset Manager with globally reputed finance company Equiti.com headquartered in Jordan,Dubai and London. He is Expert Writer with RIAC,Russia & Global Ethics Network,USA. He is Country Director/Professor/Sec,Intel & Def Expert with OSI Intelligence, an Israel & USA based Intelligence agency and works along Central Intelligence Agency,C.I.A. He is Founder of a Research Consultancy firm Global Advisers & Consultants Corporation which has network in 34 countries. He carries five curated e-newspapers daily.
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