Thursday, April 25, 2024
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डेटा लीक घोटाला: 5 से 10 हज़ार रुपये में ऑनलाइन बिक रहा है NEET-JEE स्टूडेंट्स का डेटा

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Vivek Pandey
Vivek Pandey
Vivek Pandey is an Indian RTI Activist, Freelance Journalist, MBBS, Whistelblower and youtuber. He is Writing on RTI based information, social and political issue's also covering educational topics for Opindia. He is also well known for making awareness, educational and motivational videos on YouTube.

देश व दुनिया में पिछले कई वर्षो से डेटा लीक एक बहुत गंभीर मुद्दा रहा है। फेसबुक हो या आधार कार्ड, डेटा लीक होने की खबरें लगातार आती ही रही हैं लेकिन आपको पता नहीं होगा कि NEET-JEE की परीक्षा की तैयारी करने वाले स्टूडेंट्स का भी डेटा खुलेआम बिक रहा है। इस डाटा लीक के खेल में कक्षा 6 से लेके 12 तक के छात्रों का डाटा बेचा जा रहा है, एक एक्टिविस्ट के रूप में पिछले 3 वर्षो से मैं इस मुद्दे को लोगों के सामने लाने का प्रयास कर रहा हूं। वर्ष 2018 में सबसे पहले मेरे द्वारा इस घोटाले को उजागर किया गया, जिसके बाद कई मीडिया हाउस ने इस खबर को प्रकाशित किया। वर्ष 2019 में मेरे द्वारा सीबीआई को भी इस घोटाले की शिकायत की गई मगर कोई उचित कर्रवाई नहीं हुुई।

कैसे होता है डेटा लीक?

आम तौर पर नीट एवं जेईई की तैयारी करने वाले स्टूडेंट्स का डेटा दो ही जगह मिल सकता है। पहला है वह सरकारी संस्थान जिसके पास परीक्षा को कराने की ज़िम्मेदारी होती है, नीट और जेईई के मामले में यह ज़िम्मेदारी NTA (नैशनल टेस्‍ट‍िंग एजेंसी) को दी गई है। जबकि स्कूल में पढने वाले छात्रों का डाटा यातो सीबीएसई से लीक हो सकता है या फिर स्टेट बोर्ड्स से जोकि राज्य स्तर पर परीक्षायें कराती है .

जब स्टूडेंट्स परीक्षा फॉर्म भरते हैं, तो उनकी अधिकतर जानकारी उस फॉर्म में मौजूद होती है। उनके साथ-साथ उनके माता-पिता की भी जानकारी उस फॉर्म में होती है।

दूसरा कोचिंग संस्थान है, जहां स्टूडेंट्स प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने के लिए जाते हैं। वर्तमान समय में आपको हर गली-मोहल्लों में कोचिंग संस्थान दिख जाएंगे। आमतौर पर देश के बड़े-बड़े नामी कोचिंग संस्थान स्टूडेंट्स से नीट-जेईई के फॉर्म भरते ही फॉर्म की एक प्रति मांग लेते हैं। उसे अपने पास बतौर डेटा रखते हैं। अब ऐसा क्यों किया जाता है, उसका जवाब तो इन बड़े-बड़े कोचिंग संस्थानों के पास ही मिलेगाइस तरह से मूलतः स्टूडेंट्स की निजी जानकारी इन दो माध्यमों से लीक होने की ओर इशारा करती है। अब यह तो निष्पक्ष जांच के बाद ही पता चलेगा कि आखिर स्टूडेंट्स का डेटा लीक हो कहां से रहा है और कितने बड़े स्तर पर लीक किया जा रहा है

क्या होता है स्टूडेंट्स के डेटा लीक होने के बाद

परीक्षाओं की तिथि नज़दीक आते ही एमबीबीएस की सीटों पर दाखले के लिए खेल शुरू हो जाता है। दलाल विभिन्न वेबसाइट्स के माध्यम से स्टूडेंट्स के डेटा को खरीदते हैं। मेरे द्वारा पहले ही करीब 15 से ज़्यादा ऐसी वेबसाइट्स की जानकारी दी गई है, जो आज भी नीट-जेईई के स्टूडेंट्स की निजी जानकारी खुलेआम बेच रहे हैं। आपको इन वेबसाइट्स पर वर्ष 2016-17 से लेकर 2020 तक के तमाम डेटा मिल जाएंगे, जिसकी कीमत करीब 3 हज़ार से 10 हज़ार रुपये होती है। वर्ष 2018 में लगातार हुई मीडिया न्यूज़ के कारण कई वेबसाइट को बंद कर दिया गया था पर इस वर्ष और भी बड़े इस्तर डाटा लीक हुआ है और खुले आम बेचा जा रहा है . मेरे द्वारा इस वर्ष भी करीब 17 से ज्यादा वेबसाइट की जानकारी ईमेल के माध्यम से सीबीआई को भेजी गई है.

1.https://www.databaseserviceprovider.com/

2.http://studentsdatabase.in/

3.https://www.odishastudentdatabase.com

4.http://studentdatabaseindia.com/

5.http://chennaidatabase.com/

6.https://ukinfotechdatabase.blogspot.com/

7.http://www.datapark.co.in/

8.http://allstudentsdatabase.com/

9.https://www.mystudentsdatabase.com/

10.http://12thstudentsdata.in/

11.https://allindiadatabase.net/

12.https://freestudentdatabase.com/

13.http://chennaidatabase.com

14.http://datastorecentre.com/

15.https://spaceedgetechnology.com/students-database/

16.http://indiansdatabase.com/neet-aiims-students-database/

17.http://www.12thdata.com/

http://studentsdatabase.in/category.asp?id=3&category=Medical%20Entrance%20Exams

ऊपर दी गई यह कुछ वेबसाइट है जो खुले आम छात्रों की निजी जानकरियो को बेच रही है, इसमें छात्रों के नाम ,उनके माता पिता का नाम ,उनका ईमेल , फ़ोन नंबर ,जन्मतिथि से लेके पता तक आपको मिल जायेगा . 

डेटा मिलते ही ये दलाल एक्टिव हो जाते हैं। वे कॉल, टेक्स्ट मैसेज, ईमेल, व्हाट्सएप्प मैसेज के ज़रिये स्टूडेंट्स से सम्पर्क करना शुरू कर देते हैं। ये दलाल कई प्रकार के दावे करते हैं। कुछ का कहना होता है कि वे शासकीय मेडिकल कॉलेज में दाखिला दिला देंगे, तो कुछ 50 से 70 लाख रुपये में प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में दाखिला दिलाने की बात करते हैं।

पर इसके अलावा इस वर्ष कुछ और नया हुआ ,ओयो रूम्स के पास भी NEET-JEE के छात्रों का डाटा आ गया 

और परीक्षा होने के ठीक पहले ओयो रूम्स की तरफ से कई 

ईमेल और एसएमएस छात्रों को आने लगे जिसमे होटल बुकिंग पर 40% डिस्काउन देने की बात कही जा रही थी .

अब सवाल यही है ओयो रूम्स के पास डाटा आया कहाँ से ? ट्विटर के माध्यम से ओयो रूम्स से हमने सवाल किया पर उनकी तरफ से कोई भी जवाब नही मिला।

http://Made by me

डेटा खरीद कर छात्रों से संपर्क करने वाले अधिकतर मामलों में ठग होते हैं, जो स्टूडेंट्स का डेटा पाने के बाद मोटी कमाई की फिराक में होते हैं लेकिन कई लोग वाकई में सीटों की हेराफेरी कर के एक मेहनती स्टूडेंट्स का हक छीन लेते हैं। मध्यप्रदेश का व्यापम घोटाला इसका सबसे बड़ा और जीता जागता उदाहरण है।

दलालों के झांसे में कई परिजनों ने लाखों रुपये गवाएं हैं

अधिकतर मामलो में अभिभावक अपनी प्रतिष्ठा को बचाने के लिए इन धोखाधड़ी वाले मामलों में शिकायत नहीं करते हैं। फिर भी कई मामले हैं, जो हर वर्ष सामने आते रहते हैं।वर्ष 2019 में कोटा में एक  गिरोह का पर्दाफाश हुआ जो MBBS की सीट दिलाने के बहाने लाखों की धोखाधड़ी करता था। बहरहाल, डेटा लीक होने के यह वह दुष्प्रभाव हैं जिनकी बात सिस्टम नहीं करता है। इस वर्ष भी करीब 40 लाख रुपये की धोखाधड़ी का मामला सामने आया है, दलालो द्वारा कर्नाटक एवम महाराष्ट्र में MBBS की सीट दिलाने का वायदा किया गया था। 

निजता का अधिकार

अगस्त 2017 में दिए गए एक ऐतिहासिक फैसले में न्यायमूर्ति के.एस. पुट्टस्वामी बनाम भारतीय संघ के तहत भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने मान्यता दी। संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत एक मौलिक अधिकार के रूप में “निजता का अधिकार” “जीवन” और “व्यक्तिगत स्वतंत्रता” के अधिकार का हिस्सा है। भारत के हर नागरिक के पास अपनी निजी जानकारी को निजी बनाये रखने का पूरा अधिकार है, इस तरह से डेटा लीक होने और किया जाना हम सभी के मौलिक अधिकारों का हनन है।

सरकार को इस मामले में सख्त कदम उठाने चाहिए। मैं अपने लेख के माध्यम से सभी स्टूडेंट्स एवं अभिभावकों को सचेत करना चाहूंगा कि किसी भी दलाल के बहकावे में ना आएं। यदि कोई आपसे मेडिकल कॉलेज की सीट दिलाने की बात करता है तो तुरंत उसकी शिकायत करें।

एक अच्छे भारतीय नागरिक होने का कर्तव्य निभाएं। अकेले इस भ्रष्टाचार को रोक पाना मुश्किल है लेकिन यदि सभी सचेत हो जाएं और इसकी मुखालफत करें तो ज़रूर डेटा लीक और धोखाधड़ी का यह खेल रुक सकता है।

“आपकी निजता और सुरक्षा आपके हाथों में है”

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