फरवरी 2007 में पाकिस्तान का विदेशमंत्री खुर्शीद कसूरी भारत दौरे पर आये थे. उन्होंने देश के सभी प्रमुख न्यूजचैनलों, विशेषकर अंग्रेज़ी न्यूजचैनलों को इंटरव्यू दिया था और पाकिस्तानी एजेंडे का जमकर प्रचार किया था. उस समय सभी न्यूजचैनलों के साथ खुर्शीद कसूरी के इंटरव्यू बहुत मीठे मीठे सवालों के साथ बहुत सुखद और शांतिपूर्ण माहौल में हंसी खुशी संपन्न हो गए थे. लेकिन एक इंटरव्यू ऐसा भी हुआ था जिसमें गर्मागर्मी बहुत ज्यादा बढ़ गयी थी और नौबत हाथापाई की आ गयी थी.
22 फ़रवरी 2007 को खुर्शीद कसूरी का वो इंटरव्यू अरनब गोस्वामी ने लिया था जिसने बाकि पत्रकारों की तरह मीठे मीठे सवाल नहीं पूछे थे. अरनब गोस्वामी ने तथ्यों तर्कों से लैस होकर पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद और समझौता एक्सप्रेस बम विस्फोट से सम्बंधित सवालों से इंटरव्यू की शुरुआत करी जिस से पहले तो खुर्शीद बुरी तरह तिलमिला गए और उसके बाद ISI के अफसरों ने इंटरव्यू रुकवा दिया. उस समय अरनब गोस्वामी पाकिस्तानी दूतावास के अंदर भी जिस प्रकार ISI के उन अफसरों से भिड़ गया था वो नजारा प्रत्येक भारतीय, विशेषकर पत्रकारों के लिए अत्यन्त गर्व का क्षण था.
याद रहे उस समय नरेंद्र मोदी का केंद्र की राजनीती से कोई लेना देना तक नहीं था और देश में कॉग्रेस की सरकार थी। कई सामाजिक राजनीतिक मुद्दों पर मेरी भी असहमति रही है. जैसे समलैंगिकता सम्बन्धित कानून, ललित मोदी आदि पर. उस के चिल्ला चिल्ली वाले पत्रकारिता शैली की वजह से उसका शो देखना भी बंद कर चूका हूँ , परन्तु एक भी ऐसा प्रकरण मुझे याद नहीं जिसमें अरनब गोस्वामी ने- भारतीय सेना के खिलाफ ज़हर उगला हो. आतंकवादियों के लिए सहानुभूति प्रकट की हो. कश्मीरी अलगाववादियों/, आतंकवादियों, नक्सलियों, माओवादियों और NGO गैंग की आरती उतारी हो.
आप उसका समर्थन नहीं करते न करिये, लेकिन राष्ट्रवाद को एक मुखर आवाज अरनब गोस्वामी के रूप में मिली है.इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता, यही वजह है कि वैचारिक रूप से मै हमेशा अर्नब का प्रशंसक ही रहा हूँ. आज शिवसेना और महाराष्ट्र पुलिस जो कर रही है वो तो याद रखा ही जायेगा परन्तु इस अधर्म को चुपचाप देखने वाले हिन्दू ह्रदय सम्राट और उनके चाणक्य याद रखें इस देश में चुप्पी तो भीष्म की भी माफ़ नहीं करी गयी थी