Friday, November 29, 2024
HomeHindiफूहड़ वेबसिरीज़

फूहड़ वेबसिरीज़

Also Read

Shivam Sharma
Shivam Sharmahttp://www.badkalekhak.blogspot.com
जगत पालक श्री राम की नगरी अयोध्या से छात्र, कविता ,कहानी , व्यंग, राजनीति, विधि, वैश्विक राजनीतिक सम्बंध में गहरी रुचि. अभी सीख रहा हूं...

मुगल शासक औरंगजेब ने जब नई धार्मिक नीति और नैतिक नियम प्रस्तुत किए. तो उसने सभी प्रांतों में मुहतासिब नियुक्त किए. उन मुहतासिबों का कार्य समाज में ऐसे नैतिक नियम स्थापित करना था. जो शरिया के कानून पर आधारित हों.

इस ऐतिहासिक तथ्य का आप और हमारे जीवन से कोई लेनादेना भले ना हो, पर आज के समाज में भी ऐसी युक्तियों का खुल्लमखुला प्रयोग हो रहा है. मुगल शासन की धज्जियाँ उड़ जाने के बाद भला आज कौन औरंगजेब के असंवैधानिक नियम लाद सकता है.

आज का ओटीटी. जी हाँ, वर्तमान मनोरंजन के साधनों में सर्वविदित और सर्वनाशी वेबसिरीज़ के बारे में भला कौन नहीं जानता. कक्षा ग्यारह का कोई छात्र हो या फिर ऑफिस से थककर लौटा कोई युवक या युवती. जब वर्तमान फिल्म समाज किसी कोने में पड़ी बजबजाती नाली हो गई हो, तो नये साधनों की खोज स्वाभाविक होती है.

मनोरंजन का यह संसार सिर्फ मनोरंजन लेकर नहीं आया है. इसने हमारे अनजाने में हमारे ही घर तोड़ने का मन बनाया है. भारत में ओटीटी का वार्षिक व्यापार कई मिलियन्स में है. पर इन्हीं मिलियन्स ने मिल-मिलकर भारतीय संस्कृति, हिंदू धार्मिक मान्यताओं देवी देवताओं, प्रतीक चिन्हों, हिंदू धार्मिक विश्वास और त्योहारों आदि पर लक्षित हमला किया है.

आपने आए दिन कश्मीर में सीजफायर का उल्लंघन करते पाकिस्तान की खबरें सुनी होंगी. पाकिस्तान पर हमले और बदले की भावना भी आई होगी. पर मैं जब हर रोज एक नई सिरीज़ में सरेआम हिंदू धार्मिक मान्यताओं पर बिना किसी सीजफायर के हमले देखता हूँ, तो मन अशांत हो जाता है.

मैं असहाय सा देखता हूँ कि युगों युगों की शाश्वत संस्कृति पर सड़कछाप नौटंकीबाज हमला करते हैं. बड़ी ही सहजता से किसी जानवर का नाम किसी देवता के नाम से जोड़ दिया जाता है. शिक्षक को मादकता का चोला पहनाकर छात्र के प्रति कामुकता भरे अंदाज़ में प्रस्तुत किया जाता है. और इन सभी प्रयोजनों का सधा उद्देश्य होता है. यह सिर्फ अकास्मात घटी घटना नहीं होती. पूरी योजना के साथ किया गया हमला होता है.

नित्य प्रति निर्लज्जता के शीर्ष की ओर अग्रसर अभिनेता अभिनय की जगह अंग प्रदर्शन की ओर जा रहे. और पैसे पर बिकने वाले स्वाभिमान और आंतरिक गरिमा को राइट टू नंगगई कह रहे हैं.

कितने आसानी से नई पीढ़ी के दिमाग में यह भरा जा रहा है कि संस्कृति, संस्कार सब ओल्ड फैशन की चीजें हैं. अब तो नंगानाच ही जीवन का परम उद्देश्य बन गया है.

आप सतर्क रहिए, ये सभ्यता पर हमारी ही पीढ़ी को आत्मघाती हमले की तैयारी करवाई जा रही है. प्रत्येक किरदार एक नये टारगेट के साथ आता है. उसका लक्ष्य होता है कि वैश्यावृत्ति जैसे दृश्यों के फिल्मांकन में हिंदू पौराणिक मान्यताओं वाले नाम रखे जाएँ.

आप स्वयं विचार करिए कि एसिड अटैक जैसे दुर्दांत अपराधों को अंजाम देने वाले किसी दूसरे समुदाय (गारंटी देता हूँ समझ गये होंगे) के अपराधी का नाम बदलकर बड़ी ही चालाकी से हिंदू कर लिया जाता है. जब उसे किसी फिल्म में शामिल किया जाता है. यह साजिश नहीं तो क्या है कि सिरीज़ में दिखाए गए माॅब लिंचिंग में कोई ना कोई नारंगी रंग का ही गमछा क्यों लेता है? बाजार में गमछे की कमी है या फिर डायरेक्टर के आँख में नारंगी के अलावा कोई रंग ही नहीं है.

पंद्रह फीट के दुसाले को अनुच्छेद 30 के तहत अपना अधिकार और प्राउड फीलिंग कराने वाले आखिर कब तक जौहर प्रथा के नाम पर ताने मारेंगे. और वो प्रथा भी कोई हम ऊपर से लेके नहीं पैदा हुए थे. यहीं शिकारी आए, यहीं हमपर झटके तो हमने उनके द्वारा अंतड़ी नोचवाने से बेहतर अग्नि में प्राणदाह उचित समझा.

हिंदू धर्म में गुरुकुल परम्परा को साक्षात देवतुल्य माना गया है. पर उस पर भी सधे एजेंडे के साथ भारतीय संस्कृति और नैतिकता पर हमला किया गया. जब एक सिरीज़ में खरखरा खाँसकर बीटभरी बनकर अपने से आधे या उससे भी कम उम्र के छात्र को कामुक करना चाहती हैं. छात्र को शिक्षिका के प्रति प्रदूषित विचार सोचते हुए दिखाना इसी गुरु-शिष्य परम्परा पर चोट है. ध्यान दें, यह साजिश है. यह साजिश है .

मैं बार बार कहूँगा यह साजिश है. हमारे धर्म ने, हमारे संस्कार ने जो सीमाएँ और मर्यादाएँ निर्धारित की हैं. ये उन्हीं सीमाओं को तोड़ने के लिए हमारी पीढ़ी को उकसावा है. नई पीढ़ी के दिमाग में यह भरा जा रहा है कि, हाँ जिन सीमाओं ने तुम्हें बाँध रखा है. तुम उसे भी तोड़कर अपने धर्म और संस्कृति को आग लगाकर वामपंथ के नशे में झूमो. और सम्बंधों, संस्कारों की बलि देकर हमारे पाले में आओ .

हिंदू धार्मिक मान्यता में परिवार व्यक्ति के विकास की पहली सीढ़ी है. यहाँ विवाह सिर्फ एक उत्सव नहीं है यह जीवन निर्धारण की एक प्रक्रिया है. यह सामाजिक और नैतिक दायित्वों एवं विकास का सूचक है. यह दो संस्कृतियों का मिलन है. दुर्भाग्यवश वेबसिरीज़ ने इसे भी अपना लक्ष्य बनाया है.

प्रत्येक सिरीज की नायिका पर परिवार एक बोझ के रूप में दिखाया जा रहा. वेबसिरीज़ के माध्यम से परोसी जा रही अश्लीलता के अतिरिक्त यहाँ फैमिली डम्पिंग का एजेंडा चल रहा है.

बड़ी चालाकी से राइट टू फ्रीडम को ढाल बनाकर वैवाहिक जीवन में भी प्रेम प्रसंगों के प्रति लोगों में सहानुभूति और ललक जगाई जा रही है. इसका असर ट्विटर आदि पर दिखने भी लगा है. जहाँ कुछ कथित अति नारीवादी हैंडल्स ने वैवाहिक जीवन में बाहरी प्रेम प्रसंगों को जायज़ ठहराया है. यद्यपि यह व्यक्ति के निजी जीवन का विषय है. परंतु सिरीज के माध्यम से फैलाया जा रहा यह नैरेटिव हिंदू परिवार एवं विवाह का नाश करना है. यह परिवार का विनाश कर पशुगत स्वच्छंदता की वकालत है. जो मनुष्य एक सामाजिक प्राणी माना गया है. उसे ये निरीह निष्ठुर स्वार्थ और यौनेच्छा में सबकुछ लुटाने वाले माॅडर्न कूल सोसायटी का सदस्य बनाना चाहते हैं.

ऐसे कई अन्य तथ्यों और षड़यंत्रों की लम्बी श्रृंखला है. परंतु इन सबके पीछे का उद्देश्य सनातन धर्म का भक्षण है. कलतक जातिवाद का जहर घोलने वाले आज तकनीक के यंत्रों से प्रहार कर रहे हैं.

बड़े स्तर पर इन्हीं हथियारों से हमारे विरुद्ध षड़यंत्र कर रहे हैं. यह एक मानसिक युद्ध है. और इस युद्ध में आप और हम शिकार हैं. हमारे पास कहने को हथियार भी नहीं और हम स्वयं बिना ढाल के इस युद्ध जगत में घूम रहे हैं. इस युद्ध का प्रभावित पक्ष भी हम हैं. इस युद्ध का खर्चा भी हम उठा रहे हैं. घर हमारे टूट रहे हैं, बच्चे हमारे खिलाफ ही हो रहे हैं. विश्व के सबसे पुरातन सभ्यता पर प्रश्न चिन्ह उठ रहे हैं.

हम अब तक शांत होकर प्रत्येक वार सहते जा रहे हैं. हमारे अपने बच्चे हमारी ही पुरातनता पर प्रश्न कर रहे हैं. हमें पिछड़ा कहा जा रहा है. हमें स्वयं भी आत्मग्लानि से भर दिया गया है. हमें यह महसूस कराया जा रहा है कि हिंदू सभ्यता में दोष के अतिरिक्त कुछ नहीं है. हमें ज्ञात है कि यह सब मिथ्या है. हमें इन हमलों से बचने का मार्ग भी ज्ञात है. फिर भी हम चुप हैं!

अंत में किसी भी राज्य में राजनीतिक परिवर्तन शीघ्र प्रक्रिया है. परंतु सामाजिक, सांस्कृतिक एवं नैतिक नियम लम्बी अवधि तय करते हैं. इन परिवर्तन में फिल्म बड़ी भूमिका अदा करती है.

आगे आइए! घर से इन कूड़ा वेब सिरीज़ को बाहर कर दीजिए. शांति के साथ अनसब्सक्रिप्शन आपके हित में है. यह आपकी किसी मुहतासिबी संस्कृति से रक्षा कर सकती है.

#बड़का_लेखक

  Support Us  

OpIndia is not rich like the mainstream media. Even a small contribution by you will help us keep running. Consider making a voluntary payment.

Trending now

Shivam Sharma
Shivam Sharmahttp://www.badkalekhak.blogspot.com
जगत पालक श्री राम की नगरी अयोध्या से छात्र, कविता ,कहानी , व्यंग, राजनीति, विधि, वैश्विक राजनीतिक सम्बंध में गहरी रुचि. अभी सीख रहा हूं...
- Advertisement -

Latest News

Recently Popular