Friday, April 26, 2024
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क्या इसे ही कहेंगे गंगा जमुनी तहजीब?

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Ritesh Kashyap
Ritesh Kashyaphttp://www.rashtrasamarpan.com
#Journalist, Writer, Blogger हिंदुस्तान, राष्ट्र समर्पण, पांचजन्य एवं झारखंड ऑब्जर्वर

शव को कन्धा देकर भ्रामक खबर को किया वायरल। गंगा जमुनी तहजीब, हिन्दू परिवार और हिन्दू संस्कृति को किया बदनाम।

झारखण्ड/रामगढ़। विगत दिनों सोशल मीडिया पर यह खबर वायरल हुई की रामगढ़ के दुसाध मोहल्ला में एक हिंदू महिला की मौत के बाद पड़ोसियों सहित समाज के अन्य लोगों ने दाह संस्कार में सहयोग नहीं किया। जिसके बाद पड़ोस में रहने वाले मुस्लिम समुदाय के लोगों ने अर्थी को कंधा देकर श्मशान घाट तक पहुंचाया और दाह संस्कार किया। सोशल मीडिया पर यह खबर वायरल होते ही कई अखबारों और न्यूज पोर्टलों ने इस खबर को ऐसे लपका जैसे उनके हाथ कोरोना की दवा लग गई हो। समाज के अन्य लोगों द्वारा बधाइयों का तांता लग गया। एक विशेष समुदाय के लोगों द्वारा इस खबर को शेयर किया जाने लगा। लोगों ने गंगा जमुनी तहजीब की बातें करते हुए उस परिवार पर भी तंज कसना शुरू कर दिया जिनके परिवार में यह घटना घटी थी। इस खबर को पढ़ने के बाद किसी भी व्यक्ति में यह स्वाभाविक प्रतिक्रिया होगी कि आखिर मृतिका के परिवार वालों ने साथ क्यों नहीं दिया?

फैक्ट चेक

खैर किसी ने भी इस खबर के बारे में जांच-पड़ताल करने का कष्ट नहीं किया और करते भी क्यों। एक तरफ मृतिका जो किसी की पत्नी थी और किसी माँ भी थी उनके मृत्यु के बाद पूरा परिवार किसी अपने के जाने के गम से उबरा भी नहीं था की अब उन्ही के परिवार को बदनाम करने का कुत्सित प्रयास किया गया। इन ख़बरों के वायरल होने के बाद मृतिका के पति सूबेदार सिंह भी आहत हुए। हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार किसी घर में अगर मृत्यु होती है तो 13 दिनों तक उनके परिवार वालों को उनकी शोक में कई अनुष्ठान कराने पड़ते हैं मगर मृतिका के पति सूबेदार सिंह को अपने पत्नी के जाने के गम के साथ-साथ उनके परिवार की बदनामी भी सहनी पड़ रही थी । इसी से आहत होकर उन्होंने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर अपनी बात कहने की कोशिश की। प्रेस विज्ञप्ति में उन्होंने इस पूरे खबर को सिरे से फर्जी और भ्रामक करार कर दिया। मृतका के पति सूबेदार सिंह कहा कि उनकी पत्नी की मृत्यु के बाद शहर में रहने वाले रिश्तेदार और आस पड़ोस के लोगों ने दाह संस्कार के लिए हर तरह से सहयोग किया और श्मशान घाट तक साथ ही थे। रास्ते में पड़ोस के कुछ मुस्लिम युवक इस दौरान साथ हो लिए क्योंकि उनके रिश्तेदारों के जनाजे में कई बार वो खुद और अन्य हिन्दू भी कब्रिस्तान जाते रहे हैं और हिंदुओं द्वारा भी मुस्लिमों के जनाजे को कई बार कांधा दिया जाता रहा है लेकिन इन बातों का उन लोगों ने कभी प्रचार नही किया। हमारे मामले में कुछ शरारती तत्वों ने दुर्भावना से ग्रसित दिखाई दिए, उनलोगों ने अर्थी का फोटो खींचकर सोशल मीडिया पर भ्रामक खबर फैलाई जिसमे उनकी, उनके परिवार और हिन्दू संस्कृति पर कुठाराघात किया। किसी भी घर में अगर ऐसी दुर्घटना घटे तो हर हिन्दू स्वतः संवेदनशील हो जाता है। उन्होंने सोशल मिडिया में फैलाई खबर को पूरी तरह से बेबुनियाद, फर्जी और दुर्भावना से ग्रसित बताया। सूबेदार सिंह ने बताया कि इस खबर से आहत होकर उन्होंने थाने में आवेदन भी देने भी गए थे  मगर थानेदार ने आवेदन लेने से इनकार कर दिया।

सोशल मिडिया में फर्जी खबर फैलाकर कमेंट और लाइक बटोरने वालों की कमी नहीं है। एक ढूंढने पर हजार मिल जाते हैं। रामगढ़ में हिंदू मुसलमानों की एकता में किसी कोई लेश मात्र भी सन्देह नहीं है। अगर किसी खबर से कोई समुदाय आहत होता है तो वैसी ख़बरों का उद्देश्य कभी भी गंगा जमुनी तहजीब को बढ़ावा देना नहीं हो सकता अपितु उसी तहजीब पर अघात करना ही कहेंगे। खबर फैलाने की आखिर क्या मंशा थी ये तो खबर फैलाने वाले जाने, मगर प्रश्न विचारनीय तो है।

सुलगते सवाल

किसी भी तरह का फर्जी खबर बना कर किसी परिवार को और किसी की संस्कृति पर कुठाराघात करने की क्या आवश्यकता आन पड़ी? क्या इस खबर के बाद रामगढ में गंगा जमुनी तहजीब को ख़त्म करने का नया षड़यंत्र तो नहीं रचा जा रहा? फेक न्यूज़ फैलाने वालों पर अब तक कोई कार्यवाई क्यों नही हुआ?

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