समग्रह संसार के साथ साथ भारत भी इस महामारी के दौर में अपने लोगो को इलाज, दावा,खाना, आदि की व्यवस्था करना ही अपना धर्म मानता है। और भारत सरकार उम्मीद से बढ़ कर उस धर्म का पालन भी कर रही है। देश व्यापी लाकडाउन कर के सरकार ने अपनी प्राथमिकता व संवेदनशीलता जाहिर कर दी।
देश की राजधानी दिल्ली के निजामुद्दीन से निकले मरकज के लोगो ने पूरे देश में अपने नापाक, नासमझ और अमानवीयता की पराकाष्ठा पार कर देने वाले कित्यों से भारत में कोरोना संकट को भायावह बना दिया। अस्पतालों में महिला कर्मियों से बदशुलुकी किया गया, थूका गया, अपशब्द बोले गए फिर भी सरकार उनकी जीवन बचना अपना कर्तव्य मानती ही है। पूरे देश भर में ऐसे कहीं शहर है जहां चिकित्सको पे पत्थर बरसाए गए, पुलिस कर्मियों को मारा गया। ये दृश्य अत्यंत दुखदाई होते है, जो किसी असामान्य व्यक्ति के मन को भी विचलित कर दे।
एक अत्यंत संवेदनशील व विचार करने पे बाध्य कर दे ऐसी स्तिथि उत्पन हो गई है। इस युग में सोशल मीडिया बहुत बड़ा किरदार निभा रहा है, ऐसी बहुत सी वीडियो देखने को मिली जिनमें कोई फलो पे थूक लगा कर बेंच रहा है, कोई पैसे में थूक लगा रहा है, ऐसी बहुत सी अन्य परकर की चीजे हो रही है। सबसे खास बात ये है कि, ये सारे कार्य मुस्लिम समाज के व्यापारी कर रहे है। धीरे धीरे लोगो में बात फैल गई (वैसे भी हमारे देश में धर्म की बात पेट्रोल से तेज गति से फैलती है) गांव में शहरों में आम लोगो के मन में ये भय उत्पन हो गया ,एक गंभीर प्रश्न उत्पन हो गया। कहीं जिस ठेले वाले से में सब्जी/फल इत्यादि के रहा हूं/रही हूं कहीं वो मुसलमान तो नहीं? कहीं उसने इन सब्जी व फल इत्यादि में थूक तो नहीं लगाया? ऐसे अनेक-नेक प्रश्न उत्पन होने लगे। फलस्वरूप यह हुआ कि जो हिन्दू समाज के व्यापारी थे, खरीददार उनको भी मुस्लिम समाज का मान के भय में आ गया। अपनी बुद्धि के अनुसार अपने व्यापार व परिवार को बचाने के लिए हिन्दू समाज के व्यापारी भगवा झण्डा तथा अपनी दुकानों पे हिन्दू लिखने लगे। इसके पीछे इन भोले व्यापारियों की कोई ग़लत या घृणा की मंशा नहीं थी, वो तो सिर्फ अपना पेट पालने के लिए यथासंभव प्रयास कर रहा है।
राजनीति कहाँ बाज आती है। हर तवे पे अपनी रोटी सेंक ही जाती है।
इस राजनीति रोटी को सेकने का कार्य सर्वप्रथम झारखंड सरकार द्वारा किया गई, राज्य में एक हिन्दू समाज के व्यापारी के ऊपर सिर्फ इसलिए प्राथमिकी दर्ज कर ली गई, क्योंकी उसने दुकान पे हिन्दू लिख रखा था। मामले ने तूल पकड़ा तो पूरे देश भर राजनीतिक प्ररतिक्रिया आने लगी और ये प्रचलन होने लगा है बहुत सारे दुकान पर भगवा झण्डा तथा हिन्दू लिखना शुरू हो गया है। ये सब देख कर हमारे देश में रहने वाले विवेक- हिन बुद्धिजीवी और स्वार्थी ज्ञानी है जीहने इस बात से असंतोष हो रहा की दुकानों पर हिन्दू क्यों लिखा जा रहा है? किन्तु उनको इस बात का संतोष है कि मुस्लिम समाज के व्यापारी थूक लगा के समाग्री बेंच रहे है।
“”जग में कहा कोई यम का मार्ग रोक पाता है।।
हे मिट्टी के देह, आत्मा कब यम से भय खाता है।।”‘
इस महामारी में हमारे कुटुम्ब से हजारों मृत्यु हो गई। भारत विश्व का सबसे प्राचीन जीवित सभ्यता सनातन संस्कृति को जीता है, जो कहता है समग्रह संसार एक परिवार है, और मैं आप उस परिवार के हिस्से है, विश्व में कहीं किसी भी कोने में कोई संकट क्यों ना हो भारत के हर नागरिक का कर्तव्य है कि उसके निवारण के उपाय करें। जिस प्रकार से भारत ये प्रथानमत्री नरेंद्र मोदी जी ने इस महामारी के दौर में विश्व को एक दिशा दिखाई है ,एक उम्मीद जगाई है, और भारत, विश्व को एक कुटुम्ब मानते हुए सबसे आगे खड़े होकर इस लड़ाई को लड़ रहा है।
जिन तालिबानी जमतिओ ने देश में कोरोना को भती बम की तरह इस्तेमाल किया इस्लाम के नाम पे घिनौना जिहाद कर रहे है, कई लोगो के जान को खतरे में डाल दिया, राज्य सरकार से लेकर केंद्र सरकार की नींद उड़ा दी। आज देश में एक ऐसा भी तबका है जो इन तालिबानी जमात के लोगो को कोरोना वॉरियर का नाम से रहा है। और इस लिए क्यों की एक-आत लोगो ने प्लास्मा डोनेट किया। ये तो ठीक वैसा ही है जैसे एक अतंकवादी को सैनिक बोल दो, उसके मारने के बाद उसको शहीद बोल दो, पकड़ा जाए तो उसे हेड- मास्टर का बेटा बोल दो, फांसी हो जाए तो माननीय न्यायालय को खूनी बोल दो, मारा जाए तो निर्दोष बोल दो।
कुछ प्रश्न है मेरे यदि समय हो तो विचार अवश्य करें- 1 क्या ये वक़्त नहीं है कि मुस्लिम समाज के धर्म गुरु बाहर मिडिया में आए और अपने कौम के लोगो को देशहित का रास्ता दिखा सके यदि है तो?
2 यदि मुस्लिम समाज के व्यापारी गलती ना करते, सचे भाव से व्यापार करते तो क्या ये स्तिथि उत्पन होती, की अचानक लोग भय में आ जाए मुसलमानों के दुकानों से?