जो हो न सका!
खबर आई कि ३९ भारतीयों की मृत्यु की पुष्टि हुई है। सुषमा स्वराज ने इसकी जानकारी लोक सभा में दी। सुषमा जी नम आंखों से अपना वक्तव्य पढ़ रहीं थीं, देश सुन रहा था। और सदन में सन्नाटा पसरा हुआ था। वक्तव्य खत्म होने पर सुषमा जी बैठ गईं और अपनी सफेद रुमाल निकाल कर आंसू पोंछने लगीं और संसद में बिलकुल खामोशी छा गई।
ऐसी चुप्पी थी जिसने सारे देश का दिल मरोड़ कर रख दिया। पूरे देश की संवेदना उन आतंक के हत्थे चढ़े बेचारों के परिवार के साथ थी। इसी सन्नाटे को चीरती हुई एक आवाज उठी। और फिर सन्नाटा छा गया। एक एक करके सभी सांसद उठते और सदन के समक्ष अपनी सहानुभूति प्रस्तुत करते, मृतकों के परिजनों को संतावना देते और फिर से गहरी शांति में सदन डूब जाता।
अंत में एक स्वर सभी सांसदों ने आईएसआईएस और सभी आतंकवादी संगठनों की भर्त्सना करते हुए राष्ट्र को भरोसा दिलाया कि भारत और भी सुदृढ़ता से आतंकवाद से लड़ेगा। हर संभव वैश्विक मंच पर भी इस मुद्दे को तब तक उठाता रहेगा जब तक सभी देश मिलकर इसका समाधान नहीं कर लेते।
इसके बाद सुषमा जी उठकर राज्य सभा की ओर चल दीं। उन्हें यही कठोर सूचना वहां भी देनी है। सभी सांसदों ने उनके जाते वक्त उनकी भी हिम्मत बढ़ाई।
सारे भारत ने देखा कि कैसे उनके चुने हुए प्रतिनिधि जो हर दिन आपस में लड़ते रहते हैं, वो आज जब राष्ट्र को जरूरत पड़ी तो एक स्वर में खड़े हैं।
भारत के जनतंत्र की आज जो परीक्षा हुई उसमें हम खरे उतरे। मुझे यकीन है जिन भी युवाओं को राजनीति में कुछ करने की अभिलाषा है उन सभी के लिए आज का दिन न सिर्फ स्मरणीय रहेगा बल्कि उनको पूरे जीवन एक प्ररेणा भी प्रदान करेगा।
आज हमारे नेताओं ने न सिर्फ अगली पीढ़ी के लिए पथ प्रदर्शित किया है बल्कि हमारा भी साहस बढ़ाया है।
यह सत्र और आज के भाषण मुझे हमेशा याद रहेंगे।
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आक् थू!! #शर्मनाक!!!