अभी हाल में हुए गुजरात चुनाव में कांग्रेस के रवैये में आये अचानक बदलाव लगभग सभी को चकित कर दिया, राहुल गांधी ने पूरे चुनाव के दौरान लगभग 28 मंदिरों के दर्शन किये उन्हें देखकर यह लग रहा था जैसे उन्होंने गुजरात के एक भी मंदिर को न छोड़ने का मन बना लिया हो।
यही नहीं उन्होंने खुद को व अपने परिवार को शिवभक्त बताया व कांग्रेस ने उनकी जनेऊ के साथ फोटो दिखाकर उन्हें जनेऊधारी साबित करने की कोशिश की, लेकिन आज इस बात का विश्लेषण करना जरूरी है कि क्या राहुल की शिवभक्ति असली है या ये सिर्फ ये ढोंग है।
आज कुछ प्रश्न उठाना चाहूंगा राहुल गांधी की इस शिव भक्ति पर,
१:- आखिर राहुल तब कहाँ थे जब देश व विदेश में हिंदुओं को आतंकवादी साबित करने की कोशिश की जा रही थी?
(बल्कि राहुल ने खुद अमेरिकन राजदूत से कहा था कि भारत को इस्लामिक आतंकवाद से ज्यादा खतरा हिन्दू आतंकवाद से है)
२:- राहुल का हिंदुत्व तब क्यों नही जागा जब मनमोहन सिंह ने कहा था कि देश के संसाधनो पर पहला हक़ मुसलमानों का है
3:- आखिर राहुल की पार्टी ने कभी हिंदुहित में समान नागरिक संहिता को लाने के बारे क्यों नही सोचा
4:- क्या राहुल बता सकते हैं कि वे गुजरात चुनाव से पहले आखरी बार मंदिर कब गए थे
5:- अभी हाल में ही अमरनाथ गुफा में मंत्रों के उच्चारण पर लगाई गई रोक पर राहुल क्यो चुप थे
उपरोक्त प्रश्नों पर मनन करने के बाद समझ में यही आता है कि राहुल की शिवभक्ति सिर्फ चुनावी है इनका हिन्दू व हिंदुत्व से कोई लेना देना नही है अपितु कांग्रेस एक हिन्दू विरोधी पार्टी है।