लोग पिछले ७० सालों में न सिर्फ पढ़े लिखे हैं, पहले से अधिक समझदार और जागरूक भी हुए हैं. तथाकथित धर्मनिरपेक्ष दलों, उनके द्वारा नियंत्रित मीडिया और बुद्धिजीवियों की बुद्धि पर लोगों ने भरोसा करना अब बंद कर दिया है.
Since PM Modi is always talking about "Sabka Saath, Sabka Vikas", the opposition got jittery because this new narrative does not fit in the scheme of things crafted by these fake secular parties over the decades.
Today’s BJP is the Congress of independence era - just that it is headed by Patel and not Nehru. Until Congress can connect to its foundation ideology, its chances will continue to be grim.
The majority of minorities and not only them but most of the people on this earth are more interested in employment, education and other progressive aspects of social life.
जहां एक तरफ मोदी का करिश्मा और अमित शाह की रणनीति की जीत हुयी है, वहीं उन सभी लोगों की हार हुयी है, जो मोदी, भाजपा और संघ को नीचा दिखाने के चक्कर में यह भी भूल गए थे, कि वे सभी देश हित, समाज हित और जन हित के खिलाफ काम कर रहे हैं.
The wily leftist cabal seeks to surreptitiously substitute the truth of sedition and spin it into the loaded political narrative of "Secular liberal Vs Communal intolerant" debate. They love 'certain' debates.
छात्र तो मोहरा भर हैं असली राजनीति तो वे समझ ही नहीं पा रहे। शायद इसीलिए 27 फरवरी को रामजस कालेज के प्रिंसिपल राजेन्द्र प्रसाद छात्रों के बीच खुद पर्चे बाँट रहे थे जिसमें उन्होंने साफ तौर पर लिखा कि देशभक्ति की हवा तले शिक्षा को खत्म न होने दें।