हे वामपंथी लम्पटों! अपने एलीटिज़म से बाहर निकलों, ज़मीनी हक़ीक़त को समझों और काम की बात करों। वर्ना सर्वहारा तो तुम्हारा मार्क्सवादी यूटोपिया कब की नकार ही चुकीं हैं, कहीं ये न हो कि बची कूची मान्यता भी ख़त्म हो जाए और कॉलेज-यूनिवर्सिटी के बाहर कोई श्वान भी ना पूछे।
राम को न मानने, न जानने और न समझने वालों को ये सामाजिक सन्देश युक्त शुभकामनाएँ और फोन फोन तक इनकी पहुंच अपने एजेंडा को जन जन तक पहुँचाने का एक सशक्त माध्यम लगीं और उन्होंने इसका दोहन आरम्भ कर दिया।
On one hand our historians praised the Soviet accomplishments beyond belief; and on the other hand, they totally sidestepped all the horrid and dark facts of the Soviet history, just to ensure that a decent impression should be left in the minds of Indian readers about the communist theory and leadership.
CAB, naturally addresses the historical wrongs committed against people from these 6 communities, who were caught in the crossfire and have suffered over the years.
People have seen through the hypocrisy, hollowness, and elitism of this privileged lot which calls themselves as 'liberals' but are anything but that in true sense of the word.