जब इस धरा पर ना तो अब्राहम थे, ना यहूदी थे, ना ईसाई थे और ना इस्लाम था और यही नहीं जब ना तो रोमन सभ्यता थी, ना तो बेबिलोनिया की सभ्यता थी, ना तो मिश्र की सभ्यता थी, ना मेसोपोटामिया अस्तित्व में थी और ना माया और यूनानी सभ्यता थी, तब भी हमारे भोले बाबा की काशी थी जिसे आज आप बनारस या वाराणसी के नाम से जानते हैँ।
“For Every Aurangazeb, there has been a Shivaji”- One of the most powerful & meaningful statements reflecting the history of world’s most ancient civilization...
जब अब काशी विश्वनाथ का केस आगे बढ़ रहा है, तो कुछ लोग पूछ रहे है की हिन्दुओ के पास इतने हजारो मंदिर है इतने ज्योतिर्लिंग है तो काशी विश्वनाथ में ऐसा क्या है, हिन्दू तो किसी और मंदिर से भी काम चला सकते हैं। उनके लिए ये पोस्ट पढ़ना जरूरी है, और काशी के लोगो के लिए भी जो वहाँ रहते तो है लेकिन उन्हें ये नहीं पता की काशी कितना महत्वपूर्ण स्थल है।
रक्षाबंधन की तरह ही जन्माष्टमी पर भी HeTA के नये कैंपेन का बिलबोर्ड सामने आया, कहा कृष्ण का अनुसरण करते हुए गाय को अपना दोस्त मानें और इस जन्माष्टमी चमड़ा मुक्त बनें।
The original temple of Kashi was demolished by Aurangzeb and there was no Kashi Vishwanath temple for more than 100 years. Later in 1775, Ahalyabai Holkar built a new structure adjacent to Gyanvapi Mosque which we now worship as Kashi Vishwanath Temple.