रक्षाबंधन की तरह ही जन्माष्टमी पर भी HeTA के नये कैंपेन का बिलबोर्ड सामने आया, कहा कृष्ण का अनुसरण करते हुए गाय को अपना दोस्त मानें और इस जन्माष्टमी चमड़ा मुक्त बनें।
मौर्यकालीन बिहार जो उस समय देश का सबसे शक्तिशाली और समृद्ध क्षेत्र हुआ करता था, आचार्य चाणक्य ने कल्पना भी नहीं की होगी कि विदेशी आक्रांता और देशी राजनीति उनके बिहार को गरीबी, अशिक्षा, बीमारी, अपराध, भ्रष्टाचार और जातिवाद से इस तरह संक्रमित कर देगी।