Gender studies researchers are now focusing on how feminism as a movement has been propagated by patriarchs to oppress women and other non-binary infinite genders.
विश्व के मुख्य तीन बड़े धर्म इस्लाम, क्रिश्चियनिटी और सत्य सनातन हिंदू धर्म में से हिंदू धर्म ही एकमात्र ऐसा धर्म है जिसमें परमेश्वर के स्त्री रूप को समान मान्यता दी गई है। भगवान शिव को कई अलग-अलग रूप में पूजा जाता है। जिनमें से एक है उनका अर्द्धनारीश्वर रूप। शिव का यह अवतार स्त्री और पुरुष की समानता दर्शाता है।
पिछले लगभग ढाई दशकों में कुछ अपवादों को छोड़कर स्त्री विकास या स्त्री सशक्तीकरण पर बाज़ार और उपभोक्ता संस्कृति का प्रत्यक्ष प्रभाव रहा है, जिसके कारण उसका संघर्ष शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वावलंबन, निर्णय क्षमता और अधिकार, आध्यात्मिक विकास जैसे मूल विषयों से भटक कर, “मैं जो चाहूं वो करूँ” पर सिमट कर रह गया है।
While commenting on the debate of misogyny, who are to the real blame, the parochial political agenda? The patriarchal media trial? The outburst on “Timaurh-Khana? Or many more women either pitted or to be pitted against one another?
It so stupid to see that people who advocate for equality among all castes, creeds, races, religions and gender, are the same people who say we should uphold India's diversity
Feminism was and is a good and powerful tool but the Left-Liberals have made it a weird thing. Radical feminists literally hate men and blame everything on patriarchy when things don’t go their way.