आश्चर्य है, स्त्रियों के जीवन में इतना व्यापक परिवर्तन होने के बाद भी, वामपंथ प्रायोजित नारी विषयक मुद्दे नहीं बदले, कविताएँ नहीं बदलीं और उनकी मांगें भी उसी कूप के मंडूक की तरह वहीँ कूदती रहती हैं।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को मनाने का सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य महिलाओं और पुरुषों में समानता बनाना और इसके प्रति लोगो में जागरूकता लाना है। लेकिन आज इतने सालों बाद भी दुनियाँ भर में ऐसे कई देश हैं, जहां महिलाओं को समानता का अधिकार प्राप्त नहीं है।
Contribution of women in the growth history is quite visible however, as a society we have failed to maintain the dignity of a woman. We need to change our mind set and vision.
inequality is not exactly an issue rather, discrimination needs to be targeted and steps must be taken to dismantle it. This, in turn, will pave the way for having a progressive society.
It so stupid to see that people who advocate for equality among all castes, creeds, races, religions and gender, are the same people who say we should uphold India's diversity