Showing the caste names opening on the wheels and investing wholeheartedly of to which caste one is brought into the world is such backward and in reverse and absolutely not dynamic or forward looking.
आप जिसे अपना ब्राह्मण भाई समझ कर शेर बता रहे हैं या उसके अपराधी बनने के पीछे सिस्टम को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं, आपके उसी शेर विकास दुबे ने जितनी हत्याएं अब तक की है उनमें से 80% ब्राह्मण ही हैं।
इस समाज को यदि जातिवाद के जाल से निकलना है तो, इतिहास को सही परिप्रेक्ष्य मे पढ़ाना होगा, सभी जन मानस को समान समझना होगा और पुत्र मोह को त्यागना होगा, तभी हम एक सभ्य समाज कि रचना कर सकते है जिसकी कल्पना हमारे पूर्वजों ने की थी।
Caste- the original phrase carries as much weight as claiming to disbelieve in capitalism. The question of belief does not arise at all. As the duality of rich and poor exists, so does caste. And it will stay.
माना की जातीय परंपरा एक भाग हैं भारतीय समाज काI परन्तु ये जातीय परंपरा कम और अंतरजातीय संघर्ष ज्यादा प्रतीत होता हैI भारत में लोग जात के नाम पर भीड़ जाते है, मार दिए जाते हैंI
भारत में व्याप्त सामाजिक असामानता केवल एक वर्ग विशेष के साथ जिसे कि दलित कहा जाता है के साथ ही व्यापक रूप से प्रभावी है परंतु आर्थिक असमानता को केवल दलितों में ही व्याप्त नहीं माना जा सकता।