Wednesday, April 24, 2024

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Bihar Elections 2020

अमेरिकी-बिहार चुनाव

सत्ता परिवर्तन लोकतंत्र को जिंदा रखता है और भारत में तो चुनावी प्रक्रिया और खास तौर पर ईवीएम को भी सही साबित करता रहता है। लोकतंत्र की ताकत अहंकारी शासक को वोट मात्र से उखाड़ फेंकने में है। २०२४ आने तक केंद्र में वर्तमान सरकार के १० वर्ष पूरे हो जाएंगे। केन्द्र में सरकार बदले ऐसा स्वाभाविक ही है और सत्ता परिवर्तन लोकतंत्र की दृष्टि से वांछनीय भी है।

बिहार चुनाव और महिलाएं

यह जानकारी उत्साह जनक है और उससे भी ऊपर यह सुखद है कि बिहार के राजनीति में लालू के जाति गोलबंदी और और तुष्टीकरण से ऊपर महिला विकास और सशक्तिकरण की एक स्वस्थ और बहुप्रतीक्षित विमर्श शुरू हुई जो अब तब बिहार के राजनीतिक पृष्टभूमि से नदारद थी!

नए आत्मनिर्भर बिहार का रोडमैप

इस लेख में मैं लालू यादव जी के 15 वर्षों के शासन का तुलनात्मक अध्ययन एनडीए के 15 वर्षों के शासन से भी करना चाहता हूँ, ताकि यह तथ्य स्थापित हो सके की भाजपा अपने घोषणापत्रों में जो कहती है उसे पूरा करती है.

मिले न मिले हम- स्टारिंग चिराग पासवान

आज के परिपेक्ष्य में बिहार का चुनाव कई मायनो में अलग है। मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री पारम्परिक राजनीती वाली रणनीति का अनुसरण कर रहे है तो वही युवा चिराग और तेजस्वी विरासती जनाधार को नए भविष्य का सपना दिखने का प्रयास कर रहे है।

बिहार चुनाव फैसला किसके पक्ष में?

नीतीश कुमार जो कि वर्तमान में मुख्यमंत्री हैं और सुशासन बाबू के नाम से जाने जाते हैं उन्होंने जेडीयू की पूर्व मंत्री मंजू वर्मा जो कि मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड की आरोपी हैं और फिलहाल जमानत पर बाहर हैं उन्हें टिकट देकर अपने सुशाशन की पोल खोल दी है।

When Rahul Ji, Modi Ji and Lalu Ji met at a roadside dhaba!

Just prior to Bihar election, these three indulge into discussion. Read where it leads to and ends to.

बिहार में का बा

ये एक ऐसा सवाल है जो चुनाव ख़त्म होने के बाद अगले पांच साल हम जरुर पूछते है पर जब वोट डालने का समय आता है तब हम बिहार को भूल कर जातिवाद जैसे विभाजनकारी मानसिकता को चुन लेते है। इस मानसिकता को बदले बिना हम बिहार के विकास की कल्पना भी नहीं कर सकते।

The off track Sushashan: Tracing the straying governance in Bihar

The track of Sushashan seems to be lost in the battle for chair. Analyzing the aftermath complexities of the Nitish regime possibly indicates whether Mr. Kumar stood out in justifying his title, “sushashan babu” or not.

बिहार: कोरोना,बाढ़ और चुनाव

मौर्यकालीन बिहार जो उस समय देश का सबसे शक्तिशाली और समृद्ध क्षेत्र हुआ करता था, आचार्य चाणक्य ने कल्पना भी नहीं की होगी कि विदेशी आक्रांता और देशी राजनीति उनके बिहार को गरीबी, अशिक्षा, बीमारी, अपराध, भ्रष्टाचार और जातिवाद से इस तरह संक्रमित कर देगी।

AAP & Congress created migrant crisis to win Bihar Elections

AAP is going to contest in Bihar for the very first time with Shatrughan Sinha, being Bihar state chief for AAP. The party aims to capitalize on anti-BJP sentiment.

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