Libertarianism essentially is the polar opposite of the socialist/Ashokan "nanny State" or, as is known in more respectful terminology, the "welfare State".
We aren't divisive, but believe in Vasudaiva Kutumbakam and are tolerant enough to live and let live with us the invaders, colonisers and the archaical system.
लोकतंत्र और स्वतंत्रता ही तब तक है जब तक भारत का विचार है और भारतीयता का मूल ही संवाद की परंपरा और एकं सद् विपदा बहुदा वदंति का विचार है। अपनी बात और मार्ग को मनवाने के लिए दूसरों का कत्ल करने वाले भारतीयता के शत्रु हैं।
वर्तमान में देवभूमि भारतवर्ष पर विदेशी तंत्र स्थापित है जिसका नाम इंडिया है। इस विदेशी तंत्र ने ही इस भारतवर्ष के ऊपर इंडिया नाम थोप दिया है, नाम के अतिरिक्त संविधान, कानून, कोर्ट, पुलिस आदि इसका हिस्सा है।
India has seen differences on religion or ethnicity both from majorities and minorities side, which occurred, in every era of it’s history. Still it can proudly be the flag bearer of secularism.
वर्तमान समय में भी अधिकांश दलित अपने स्वंय के लाभ मात्र के लिए अधर्मी दलित नेताओ को अपना सामर्थ्य यानी की वोट बैंक प्रदान कर रहे है, नाकि किसी राष्ट्रीय हित में।
Bharat has always offered women equal and at times superior opportunities, be it the archery division of army in Chanakya’s time, performing a yagna, conferring degrees like Ganini, Mahattara,etc; or mastering the 64 Kalas that was a must for a woman that included art of solving riddles, mechanics, knowledge of foreign languages, etc.
Since ancient times, people in India have had a tradition of performing their duties — even in partial disregard of their rights and privileges. Since time immemorial, an individual’s “kartavya” — the performance of one’s duties towards society, his/her country and his/her parents — was emphasised.
आप एक ऐसे देश में रहते हैं जहां नियम कानून के विषय में सोचना नही। बस अपने अनुसार चलते रहो। खुश रहो और अपने को राजनैतिक दलों का भेड़ मानते हुए बस निष्ठावान बने रहो।