Friday, March 29, 2024

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Baba Saheb Ambedkar

संविधान निर्माता ने बौद्ध धर्म अपनाया, इस्लाम क्यों नहीं? एक वामपंथी से एक सनातनी का शाश्त्रार्थ: भाग-२

आइये देखते हैं कि "बाबासाहेब भीमराव रामजी आंबेडकर का इस्लाम के बारे में विचार क्या था?

बाबा साहेब एक विचार

भारतीय इतिहास के एक ऐसे ज्योतिपुंज जिन्होंने अंधियारी सदियों को प्रकाशित किया- वे थे बाबासाहेब भारत में जिन्होंने संतप्त और पीड़ित मानवता के कल्याण के लिए स्वयं के शरीर को चंदन की तरह घिसा है- वह थे बाबासाहेब व्यक्ति स्वतंत्र्य और शिक्षा के द्वारा समता और न्याय प्राप्त करने के लिए संघर्ष करते हुए स्वर्ण की तरह जिन्होंने स्वयं को तपाया है- वे थे बाबासाहेब वंचितों के लिए अधिकार न्याय, समता, स्वतंत्रता और शिक्षा के महान यज्ञ में समिधा बनकर स्वयं को जिन्होंने जलाया है -वे थे बाबासाहेब हिंदू विचार जो "बहुजन हिताय" से कहीं आगे "सर्वजन हिताय" की बात करता है किंतु काल के प्रवाह में विकृति ने संस्कृति को प्रतिस्थापित कर दिया इसका परिणाम यह हुआ कि समाज व्यवस्था में विषमता का विष घुलता गया। अन्याय, अवमानना, उपेक्षा की सोच ने अपने ही समाज बंधुओं को दलित बना दिया। इस दौरान दलित समाज की चेतना कुंठित तो हुई किंतु समाप्त ना हुई। समाज ने फिनिक्स पक्षी की तरह अपनी ही राख से पुनः उत्पन्न होकर जीवन जीने का प्रयास निरंतर जारी रखा। स्वातंत्र्य पूर्व के 30- 40 वर्ष तक भारत में चार व्यक्तित्व भारत की जनता को प्रमुखता से प्रभावित करते रहे। यह चारों ही पाश्चात्य शिक्षा से शिक्षित व्यक्तित्व थे।

Bhimrao “Ramji” Ambedkar to Bhimrao Amedkar

From our childhood till adult we were taught that his name was B.R Ambedkar or Babasaheb Ambedkar, but why not RAMJI? Because RAMJI didn’t fit in the narrative of those so called secular historians and parties.

Unfortunately, we remember our fundamental rights but forget our fundamental duties

Since ancient times, people in India have had a tradition of performing their duties — even in partial disregard of their rights and privileges. Since time immemorial, an individual’s “kartavya” — the performance of one’s duties towards society, his/her country and his/her parents — was emphasised.

संविधान दिवस: संविधान को मजबूत करने की दिशा में मोदी सरकार का एक कदम

नवंबर, 2015 में सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रधानमंत्री ने तय किया कि 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाया जायेगा। हम जानते हैं कि हमारे देश का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है जिसमें 448 अनुच्छेद और 12 अनुसूचियां शामिल हैं।

लाला लाजपत राय व आंबेडकर का वो डर हिन्दुओं के लिए इस्लाम को लेकर, देश को पुनः खंडित करने का आभास दिला रही है

ये चिंतन करने का विषय है कि आग कहीं न कहीं जलती रहती है इसीलिए इस देश के इतने टुकड़े करने के बाद भी धर्म के आधार पर फिर से उसी मोड़ पर खड़े होकर धुआं निकलते हुए देखते रहते हैं।

अम्बेडकरवादियों का सच

बाबासाहेब का यथार्थवाद वर्तमान समय में किसी भी राजनीतिक दल के खांचे फिट नहीं बैठता। आंबेदकरवाद का पुर्ण अनुकरण किसी दल या नेता के बस की बात नहीं हैं।

A revisit of the philosophy of Hinduism as described by Ambedkar

Hindu philosophy by Ambedkar was an economist's interpretation of Hinduism.

BR Ambedkar burning Manusmriti – why the act was flawed

An attempt to understand and analyse the act

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