इक्कीसवीं सदी भारतीय ज्ञान-विज्ञान-विचार-परंपरा की सदी है। कम-से कम 21 जून को मनाया जाने वाला अंतरराष्ट्रीय योग-दिवस और उसे मिलने वाला विश्व-बिरादरी का व्यापक जन-समर्थन यही संकेत और संदेश देता है।
This Patanjali case provides an insight into the tactics adopted by a young company to place the brand at the right time and gain a significant market share.
ये IMA वालों की चाल आज से नहीं है आयुर्वेद, योग ख़त्म करने की ये बहुत बरसों से चला आ रहा है क्यूंकि आयुर्वेद, योग बिना खर्च के बीमारी ठीक करता है ऐसे में तो इनका एकाधिकार ख़त्म हो जायेगाl
Suffering from political suppression, burning of books, destruction of colleges, and slaughter of its practitioners, Ayurveda still survives a miracle and testament to the effectiveness of its medication in disease prevention and control.
After a full week of controversy, on 1-07-2020 the Ayush Ministry told that the kit could be sold all over India. But, AYUSH Ministry allowed Patanjali to sell this kit only as an immunity booster not as a 'cure' of Corona Virus.
इस वर्ग ने जैसे ही पतंजलि और विशेषकर आयुर्वेद का नाम सुना, इसके गुर्दों का कीड़ा तिलमिला उठा। ठीक वैसे ही जैसे नाली में दवा डालने के पश्चात बदबूदार कीड़े तिलमिला उठते हैं।
The big question is why many of those institutionally qualified AYUSH Vaidyas are harming the system by engaging in cross pathy if not they develop the system?