सूमो बाबू, को जब CM का संदेसा मिला, तब दोपहर ढल रही थी। वह Secretary के साथ GST Council की दो दिनों में होने वाली meeting की तैयारी में जुटे थे। इतनी हड़बड़ी में बुलाया,यह सुनकर थोडे से चकित भी हुये। फिर उन्होंने हल्कीसी आह भरी। उन्हें मालूम था CM को किस बात की चिंता सताये जा रही थी – १२० सीटे! उन्होने मीटिंग आधे घंटे में खत्म कि,और CM से मिलने चल दिए।
फीकी मिठाई और खाली डिब्बा
३ महीने हो गए इस बात को। सूमो बाबू,आज CM के लिए मिठाई और खुशख़बरी ले जा रहे थे।और उन्हें संतोष इस बात से था, कि बड़ी आसानी से उन्होंने अपना वादा निभा लिया था। उनके हिसाब से बड़ा जरूरी था, के यह खबर मीडिया से पहले वह जा कर CM को देते। तब वह उनका प्रसन्न मुख देखना चाहते थे। पर उस समय बेचारे सूमो बाबू को ज़रा भी अंदाजा नहीं था की उनकी ख़ुशी इतनी अल्पायु होगी।
जब सामना हुआ, तो उन्हें लगा कि मुख्यमंत्री उन्हीके इंतज़ार में बैठे थे। और सूमो बाबूने मिठाई का डब्बा खोलने के पहले CM ने तीर चलाया…
”काजुकतली फीका ही लाये है ना?”
सूमो बाबू थम से गये, दिल की धड़कन तेज हो गई। फिर भी डब्बा खोला और हिम्मत करके बोले,
“आपका इच्छा पूरा हो गया। आप चाहते थे उसे २ और हमारी पार्टी से १ ज्यादा। लीजिये…”
CM ने मिठाई बिना हाथ में लिये, दूसरा तीर चलाया “बड़े भोले है आप…आपके दिल्ली वाले मिठाई ले लिये! और खाली डब्बा छोड़ दिया मेरे और आपके लिये!!”
सूमो बाबू के चेहेरे की मुस्कान अब गायब हो चुकी थी। उन्होंने मिठाई का डब्बा बंद कर दिया।
“आखिर में मामा के लड़के को दूध पिलाकर खड़ा कर दिये।क्या कीजिये १२० सीटों का, बताईयें?” CM
सूमो बाबू इस हमले के लिये बिलकुल तैय्यार नहीं थे। फिर भी उन्होंने अपने आपको संभाला और जवाब दिया… “अरे आप क्यों चिंता कर रहे है इन मार्जिनल प्लेयर्स का? बिठा देंगे कोने में कही पे।”
CM आज रुकने वाले नहीं थे…“ काश आपकी हाई कमान भी इनके बारे में यही सोचती। रोज हम पे जहर उगलता है।और बोलता है के मेरा छाती भी चीर कर देखिएगा तो, मालिक का ही तस्वीर मिलेगा।और देखे नहीं, निर्दलीय का कैसा हेरा फेरी मचा रखा है? ”
“पार्टी ने स्पष्ट किया है, CM तो आप ही रहेंगे।” सूमो बाबू
इसपे CM हस दिये,और बोले “बड़ी मेहेरबानी आपकी…और आपही डिप्टी रहेंगे। पर जब १०० सीट मोटा भाई का,और ५० हमारा, तो क्या CM,और क्या डिप्टी? बताइए ?”
“और फिर साथ में यह घर का चिराग।”
और फिर वह रुक गये…अपनी बातों का असर आँख़ने के लिये।
“यह सब बोलना अच्छा लगता है क्या? पर क्या करे? एक आप ही तो है जो दोनों तरफ की नजर रखते है।”
और फिर अनपेक्षित तरीकेसे उन्होंने मिठाई के डब्बे के तरफ निदर्शन करते हुए सूमो बाबू को बोला “चलिए मिठाई तो खिलाइए।”
अब तो सूमो बाबू को मिठाई सचमुच फीकी लग रही थी।
“बाकी, ‘कोने में’ हम और आप मिलेंगे! २ साल में…” उठते उठते CM ने आखिरी तीर चलाया।
Corona से संक्रमित होने के बाद,AIIMS में पड़े पड़े सूमो बाबू सोच रहे थे,आज इस बात को करीब १ महीना हो गया। जब डॉक्टर ने उन्हें यह बुरी खबर दी, तो उन्होने सबसे पहले CM को इत्तला दी….“मुझे अब २ हफ़्तों के लिए छोड़ेंगे नहीं। यहाँ से पूरा प्रचार आप ही को संभालना पड़ेगा।”
CM “आराम कीजिये। वैसे तो मेरा भी कोई काम नहीं है मंच पे… साहब भाषण देते है मै सुनता हूँ। देखे नहीं FM मैडम ने किस तरह से, जो टीका अभी आया नहीं वह भी टिका दिया? वह भी मुफ़्त में!”
“आपको पता भी था?”
बात तो सही थी। डिजिटल रैली के बाद में यह फिर एक बार High Command ने, बिना सलाह मशवरा किये ‘जनता की भलाई’ का फैसला ले लिया था। और घोषित भी कर दिया था! बात कहीं न कहीं सूमो बाबू को भी खली तो।पर वह अपनी दिल की बात किसे बताते? CM के पास उनका कंधा था। उनके पास कौन था? फिर उनको CM की एक एक बात याद आने लगी।
दोस्त, दोस्त ना रहा…गठबंधन कैसे टुटा?
क्या सचमुच यह उन दोनों को अपाहिज करने की चाल है? क्या यह दोनों का आख़िरी चुनाव होगा? क्या २०२० में बिहार की ‘जोड़ी नंबर वन’ इतिहास जमा हो जाएगी? और इसी तरह के कई सवाल। और जब उन्होंने, मामा के लड़के(CM के दिए हुए इस नाम पे उनको अभी भी हसी आयी) को इलेक्शन रैली में, “हम CM को जेल भिजवायेंगे” यह बोलते हुए सुना, तो वह दंग रह गए! यह क्या हो रहा है?
क्या पार्टी सचमुच उनको निपटाने की तैयारी कर रही है? सोचते सोचते थक से गए। शायद दवाई का असर हो…नींद लग गई।आँख खुली तब अंधेरा छट रहा था…अभी सुबह थोड़ी दूर थी। कहीं दूर से मोर की आवाज़ आ रही थी। सूमो बाबू को घूमने जाने ही इच्छा हुई। फिर याद आया की वह अस्पताल में है। अपनी विफलता पे हँसी आयी। क्या भगवान भी शायद…
उनको, फिर २०१५ याद आया। गठबंधन कैसे टूटा ? उनसे पार्टी ख़ासी नाराज़ हो गयी थी। CM को संभालना उनका काम था। सच्चाई तो यह थी, जीस तरह से पार्टी ने २०१३ के सितम्बर से करवट बदली, उससे CM कमाल के विचलित हुए थे। २०१४ में जब २८० सीटे आई तो उन्होंने मन बना लिया था। और फिर असेम्ब्ली चुनाव के पहले उन्होंने पाला बदल दिया।
अब,सूमो बाबू का दर्द यह था, की युति टूटने का दोष तो उनपे थोप दिया गया; पर २०१७ में वापस युति और सत्ता में वापसी हुई, तब सारा श्रेय High Command ले गयी। उसकी वजह भी सूमो बाबू जानते थे। पार्टी, युति टूटने को मौक़ा मान रही थी…अपना सिक्का राज्य में जमाने का। बताते है, उस मौके पे,सूमो बाबू के बारे में, PM ने कहा था, “इनको CM से छाया से बाहर आना चाइये था,उसके बजाय,यह छाया बन के रह गये।”
नीमो तूफान
भूतकाल से वर्तमान वह आये, घंटी से। उनकी छाया,मतलब धर्मपत्नी के फ़ोन की! डॉक्टरों ने मना करने के बाद भी वह खाना लेके आने वाली थी। और वह फिर, जिस सवाल का उनको डर था वही पूछेगी “२०२५ में तो आप बन जाईगा ना?मैं तो थक गयी हूँ यह डिप्टी लगा के।” और फिर वह हर बार की तरह इस बार भी ,जवाब टाल जायेंगे। पर इसका जवाब इनको दिल ही दिल में मालूम था। उन्हें यह मालूम था की २०१५ से २०१७ ही उनके पास मौका था। और अब वह जा चुका है।
इतने मे दरवाजे पे टक-टक हुई और Security Guard, अख़बार ले आया। शीर्षक देख, सूमो बाबू विस्मित हुए और फिर ख़ुशी से मुस्कुराये।
नीमो तूफान का अवतरण – महागठबंधन की सिट्टीपिट्टी गुम
और निचे, PM और CM की रैली के लिए उमड़ी हुए जन-सैलाब को साथ में, वंदन करते हुए तस्वीर। सूमो बाबू को पत्रकार ने दिया हुआ नाम पसंद आया – नीमो! और दोनों को साथ में देंख वह निश्चिंत हो गए। ना बागी विधयाक,ना मौसम वैज्ञानिक पार्टी…किसी की जरूरत नहीं पड़ेगी।
उन्होंने मोबाइल उठाया और डॉक्टर को फ़ोन मिलाया, “नमस्ते। ५ दिन हो गए यहाँ पड़े-पड़े…कृपा कीजिए और २ दिन में रिहा कीजिये हमें.”
“वरना फिर से जंगल राज आ गया तो आप जिम्मेदार होंगे”
दोनों खिल खिला के हस दिए !!!