The Idea of India, is a nuanced structure composed of often opposing and complementing tendencies, coupled with persistent attempts to emphasise fraternity.
भारत सिर्फ एक देश ही नहीं अपितु एक राष्ट्र भी है। जिसकी संस्कृति, ज्ञान एवं विचार का अनुशीलन, अनुपालन और अनुसरण संपूर्ण विश्व प्राचीन काल से ही करता आया है।
आप एक ऐसे देश में रहते हैं जहां नियम कानून के विषय में सोचना नही। बस अपने अनुसार चलते रहो। खुश रहो और अपने को राजनैतिक दलों का भेड़ मानते हुए बस निष्ठावान बने रहो।
आज देश को बोस के विचारों को और गम्भीरता से पढ़ने और समझने की ज़रूरत है, भगत सिंह के सारे लेखों को पढ़ने समझने की ज़रूरत है, ज़रूरत है कि सावरकर और अम्बेडकर के विचारों को भी खुले दिमाग़ से समझा जाए और विभाजनकारी सोच को पूरी तरह ख़त्म किया जाए।
Challenging my ideals since childhood, I asked myself, what makes us so proud of our Unity in Diversity? To go deep first let us see what makes anybody proud of anything?
Nationalism when we invoke and the ethos of one India when we kindle, such a move is only meant to protect and encourage the diversity and not to destroy it.
It's now time for the opposition to Stand up and deliver. It's time for the opposition to believe in "Mana Kutumbam" and deliver for the Indian Family by putting aside their prejudices, egos and individual ambitions.