मोदी विरोध में अपने ही देश के सेना पर सवाल खड़े कर दिया था इन लोगों ने। सुरक्षाबलो पर बलात्कार का आरोप लगाना हो या बीएसएफ जवान का पतली दाल वाला नौटंकी सब साजिश का हिस्सा था। पूरी छवि बिगाड़ने की कोशिश की गई थी लेकिन पुलावामा हमले के बाद वही सीआरपीएफ के जवान इनके लिए राजनीतिक मुद्दा बन जाते है।
अफ़सोस की आपके नेतृत्व मे विपक्ष को हर काम मे सिर्फ कमियाँ ही दिखती हैं। आपकी पार्टी ने जहाँ हमारे वैज्ञानिकों द्वारा बनाई गयी स्वदेशी वैक्सीन पर सवाल उठाए, वहीं सेना के द्वारा अद्भुत शौर्य दिखाकर की गयी सर्जिकल स्ट्राइक को भी विपक्ष के नेताओं ने फर्जी बता दिया।
Traitors often disguise under the “freedom of expression”, “right to question”, “democracy”, “principles of journalism” and the similar-sounding words. It is better to not fall in their propaganda and curb their rights at the time of war.
This is the time for change, requesting all the opposition to adopt a new era of retaliation towards terrorism, infiltration, and expansions and not to politicize these issues of national security and interests.
When you question Army and Government at the time of war like situation, it only deteriorates the morale of the Army personnel who are standing tall on the border without thinking about their life and family.
चमन चुरनों का असली दर्द बालाकोट का सर्जिकल स्ट्राइक है. वरना जो सवाल पुलवामा को लेकर उठाये जाते हैं वही सवाल 26/11 और तमाम दूसरे आतंकवादी हमलों को लेकर हैं बल्कि वो सवाल और भी व्यापक हैं.
Modi government in 2014, present with indigenous solution of Dhanush and ATAGS guns at nascent stages, successfully tackled the uphill task of improving army's firepower. Here is how it was done these 5 years.