If we summarize current situation amid corona pandemic and series of acts done by the Talibaghi Jamatis and some miscreants belongs to Muslim community, one cannot simply brush aside the fact that yes; there is a sense of fear amongst general public.
It is time to revisit and revise all strategies that have been implemented to flatten the curve. Else, in one fell swoop, everything would turn topsy-turvy.
It is as important to check the growth of divisive forces in the society, as it is to curb the spread of COVID-19, by therapeutic interventions, the former requires an education system oriented towards social goals.
सब इंस्पेक्टर गौरव सिंह ने लाक डाउन की बात कहते हुए दुकान को बंद करने का आग्रह किया लेकिन मीट विक्रेता कलीम ने उनकी बात नहीं सुनी और धारदार हथियार से हमला कर दिया।
अन्ना आंदोलन के बाद सरकार विरोधी बात करने वालों को अभूतपूर्व रूप से महिमामंडित करने की प्रवृत्ति ने असफल लोगों के अंदर कुंठा उत्पन्न की और यही कुंठा आज देश के अंदर बात बात पर पुलिस पर हमले के रूप में सामने आ रही हैं।
अभी के कोरोना संकट में जो तब्लीगी जमात ने किया वो फिर से इस बात की पुष्टि करता है की मुस्लमान परिवार सहित मरने को तैयार है लेकिन भारत के कानून को नहीं मानेगा।
लिबरल ट्विटर योद्धाओ की बेशर्मी देखिए कि, सच को सच दिखाने पर वो मीडिया, आम लोग, यहां तक की मेडिकल कर्मचारियों को भी इस्लामोफोबिक बताने लगे। लेकिन बीमारी को धर्म के चश्मे से ना देखने वाले यही लोग उसी वक़्त मंदिर, पंडित, पूजा, आरती, आदि पर निरंतर प्रहार करते नज़र आये।