TOPIC
Liberals problem with Indian Festivals
Why a false portrayal of Hindu festivals?
Is it acceptable to slaughter millions of animals during a particular festival? Although research and analysis clearly show that it has an impact on soil, water, and air pollution, no one objects to it when they object to Hindu festivals.
Why bursting cracker is important for maintaining the secular fabric of the nation
viz110 -
It appears that the vigorous liberal lobby of the nation wants to destroy this secular bond. That is why they have been strongly inventing one or the other reasons to remove all fun elements from our festivals.
“बिशुन बिशुन बार बार”– खो गया परम्परा का प्रवाह
हम उस पीढ़ी से हैं जिसने बचपन में लोकपर्व बहुत आनन्द लिया है और अब धीरे धीरे इसका विलोपन सा होते देख रही है। तब ये छोटे छोटे लोकपर्व भी महापर्व हुआ करते थे।
होलिका दहन से बैक्टीरिया और वायरस खत्म होते हैं
vivekji -
कोरोना महामारी के चलते कुछ हद तक प्रतिबंध लगाना अनुचित नही होगा, लेकिन सरकार को होली मनाने के पीछे की बैज्ञनिकता और फायदा को समझना चाहिए और होलिका दहन करने बालों की सहायता करनी चाहिए।
संस्कृति के अस्तित्व का संघर्ष और सनातन की तैयारी
दीपावली से रक्षा बंधन तक सनातन संस्कृति के समस्त पर्व निशाने पर हैं।सनातन संकृति आज अपनी उद्भव भूमि पर ही अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही है।
आखिर क्या है वीर सावरकर का हिंदुत्व जिससे वामपंथी चिढ़ते हैं?
सावरकर का मानना था कि सामाजिक अनुबंध के आधार पर राष्ट्र राज्य मजबूत नहीं हो सकता है तथा राष्ट्रीय एकता स्थापित करने के लिए कोई मजबूत बंधन आवश्यक है। आज जब देश के अलग-अलग क्षेत्रों में जिहादी-वामपंथी गठजोड़ के नेतृत्त्व में अलगाववादी आवाज़े उठती हैं तो सावरकर का सामाजिक अनुबंध को लेकर दृष्टिकोण स्पष्ट समझा जा सकता है।
लेफ्ट लिबरल्स
alka30 -
प्यारे लेफ्ट लिबरल्स, तुम एक बात भूल गए, तुम न जाने कितने दशकों से एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हो, लेकिन हमारी सभ्यता, संस्कृति, आदत, खान पान, शादी विवाह, परिवार, बच्चे, करवा चौथ, होली, दिवाली, रक्षाबंधन, भाई दूज, पोंगल, खिचड़ी, छठ, कावड़ यात्रा, अर्ध कुम्भ, महा कुम्भ, राम नवमी , शिवरात्रि, विजयदशमी, दुर्गा अष्टमी, चारों धाम, गंगा दशहरा, पांच कोसी परिक्रमा, लाल बाग़ के राजा की शान कछु नाही बदल पाए।
होली विशेषांक 2018: वीर्य का गुब्बारा
Ashish -
यही घटना अगर होली पे ना हो के ईद या क्रिस्मस पे हुई होती तो?
When Barkha Dutt’s ‘liberalism’ backfired
devv -
This is what happens when you trying to en-cash your hypocrisy even you be a liberal literature people will never accept this type of hypocrisy