Is it acceptable to slaughter millions of animals during a particular festival? Although research and analysis clearly show that it has an impact on soil, water, and air pollution, no one objects to it when they object to Hindu festivals.
It appears that the vigorous liberal lobby of the nation wants to destroy this secular bond. That is why they have been strongly inventing one or the other reasons to remove all fun elements from our festivals.
हम उस पीढ़ी से हैं जिसने बचपन में लोकपर्व बहुत आनन्द लिया है और अब धीरे धीरे इसका विलोपन सा होते देख रही है। तब ये छोटे छोटे लोकपर्व भी महापर्व हुआ करते थे।
कोरोना महामारी के चलते कुछ हद तक प्रतिबंध लगाना अनुचित नही होगा, लेकिन सरकार को होली मनाने के पीछे की बैज्ञनिकता और फायदा को समझना चाहिए और होलिका दहन करने बालों की सहायता करनी चाहिए।
सावरकर का मानना था कि सामाजिक अनुबंध के आधार पर राष्ट्र राज्य मजबूत नहीं हो सकता है तथा राष्ट्रीय एकता स्थापित करने के लिए कोई मजबूत बंधन आवश्यक है। आज जब देश के अलग-अलग क्षेत्रों में जिहादी-वामपंथी गठजोड़ के नेतृत्त्व में अलगाववादी आवाज़े उठती हैं तो सावरकर का सामाजिक अनुबंध को लेकर दृष्टिकोण स्पष्ट समझा जा सकता है।
प्यारे लेफ्ट लिबरल्स, तुम एक बात भूल गए, तुम न जाने कितने दशकों से एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हो, लेकिन हमारी सभ्यता, संस्कृति, आदत, खान पान, शादी विवाह, परिवार, बच्चे, करवा चौथ, होली, दिवाली, रक्षाबंधन, भाई दूज, पोंगल, खिचड़ी, छठ, कावड़ यात्रा, अर्ध कुम्भ, महा कुम्भ, राम नवमी , शिवरात्रि, विजयदशमी, दुर्गा अष्टमी, चारों धाम, गंगा दशहरा, पांच कोसी परिक्रमा, लाल बाग़ के राजा की शान कछु नाही बदल पाए।