भारत ही नेहरू के नेतृत्व में पहला गैर साम्यवादी जनतांत्रिक राज्य था जिसने जनवादी कम्युनिस्ट चीन को मान्यता प्रदान की. नेहरू उस दौर में चीन को लेकर इतने रोमांटिक (कल्पनावादी) हो गए थे कि तिब्बत पर चीन का आधिपत्य स्वीकार कर लिया. पर जब 1962 में चीन ने भारत पर हमला किया तो नेहरू की विदेश नीति चौपट हो गई थी.
कल ही चीन के रक्षा मंत्री ने बयान जारी कर कहा है कि दोनों देश एक समान सैन्य व कूटनीतिक क्षेत्र में क्षमता रखते है, एलएसी पे जारी तनाव हमरे लिए चिंता की बात है, और चीन ये मानता है कि दोनों देश बात चित से इस मामले को सुलझाने में सक्षम है।
The only issue that needs to be taken care in this situation is that if Nepal’s economy collapses china will keep giving loans and when the burden of loan will increase on Nepal China will start occupying Nepal's area for its military purposes
By taking action against Pakistan and leaving the Chinese side or any other side which might be benefiting, unattended is the work half done. India should look on all angles and sides
China may have tons of shiny toys but it's never about those shiny toys, it's all about the person who plays with them. Indian Army for sure knows how to play with them.